इंदौर में मुस्लिम छात्रवृत्ति घोटाला: खंडहर और खाली मैदानों को स्कूल बताकर हड़पे लाखों रुपये, 27 संस्थान संदिग्ध, 5 पर FIR
Indore fake Islamik institutions scam | मध्य प्रदेश के इंदौर में अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के लिए दी जाने वाली छात्रवृत्ति में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। इस घोटाले में 27 स्कूलों और मदरसों पर फर्जीवाड़े का शक जताया गया है, जहां संचालकों ने खंडहरों और खाली मैदानों को शिक्षण संस्थान बताकर लाखों रुपये की छात्रवृत्ति हड़प ली। क्राइम ब्रांच की जांच में यह सामने आया है कि इन संस्थानों ने नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर फर्जी छात्रों का पंजीकरण कर 12.55 लाख रुपये से अधिक की राशि निकाली। इस मामले में 5 संस्थानों के संचालकों—मोहम्मद रफीक खान, शबनम शाह, शहनाज खानम, और दो संस्थानों के संचालक आफताब खान—के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। यह घोटाला न केवल सरकारी धन की हेराफेरी को उजागर करता है, बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय के लिए बनाई गई कल्याणकारी योजनाओं के दुरुपयोग को भी सामने लाता है। Indore fake Islamik institutions scam
घोटाले का खुलासा
पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सहायक संचालक अनिल कुमार सोनी की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने 17 जून 2025 को इस मामले की जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि कई संस्थानों ने खंडहरों, खाली मैदानों, और गैर-मौजूद इमारतों को स्कूल या मदरसा बताकर छात्रवृत्ति के लिए फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए। इन संस्थानों ने नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर 9वीं और 10वीं कक्षा के अपात्र और फर्जी छात्रों का पंजीकरण कर लाखों रुपये की राशि हासिल की। कुल 27 शिक्षण संस्थानों को संदिग्ध पाया गया, जिनमें से 5 के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचना की धाराओं में FIR दर्ज की गई है।
संदिग्ध संस्थान और आरोपित
जांच के दौरान क्राइम ब्रांच ने निम्नलिखित संस्थानों और उनके संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की:
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केयर वेल स्कूल (डाइस कोड-23260101344): संचालक मोहम्मद रफीक खान (बैकुंठधाम कॉलोनी) ने फर्जी छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति हड़पी।
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मदरसा साफिया (डाइस कोड-23260104265): संचालिका शबनम शाह (हीना पैलेस, खजराना) पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए राशि निकालने का आरोप।
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मदरसा उस्मानिया (डाइस कोड-23260100149): संचालिका शहनाज खानम (चंदननगर) ने गैर-मौजूद छात्रों का पंजीकरण कर धन हड़पा।
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सेंट जेवियर कॉन्वेंट (डाइस कोड-23260103838): संचालक आफताब खान (खजराना) ने 7 लाख से अधिक की छात्रवृत्ति ली, लेकिन जांच में स्कूल का कोई अस्तित्व नहीं मिला।
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सेंट जेआर डीआरडी मेमोरियल स्कूल (डाइस कोड-23260104238): संचालक आफताब (सब्जीमंडी) पर भी फर्जीवाड़े का आरोप।
क्राइम ब्रांच ने जब आफताब खान के ठिकाने पर दबिश दी, तो वह मोबाइल बंद कर फरार हो गया। जांच में यह भी सामने आया कि इन संस्थानों को केवल 8वीं कक्षा तक की मान्यता थी, फिर भी इन्होंने 9वीं और 10वीं के छात्रों का पंजीकरण कर छात्रवृत्ति निकाली।
जांच की प्रक्रिया
निरीक्षक माधवसिंह भदौरिया के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच ने भौतिक सत्यापन किया, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। कई संस्थानों के पते पर कोई स्कूल या मदरसा नहीं मिला, बल्कि खंडहर या खाली मैदान पाए गए। डीसीपी (क्राइम) राजेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि पोर्टल के विश्लेषण में इन संस्थानों द्वारा फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई। शासन ने 27 संस्थानों को रेड फ्लैग चिह्नित किया, और भौतिक सत्यापन के बाद 5 संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई। जांच में यह भी पता चला कि इन संस्थानों ने अपने लॉग-इन का उपयोग कर अपात्र छात्रों का पंजीकरण बढ़ाया और फर्जी दस्तावेजों के जरिए राशि हासिल की।
घोटाले का आर्थिक प्रभाव
जांच में अब तक 12.55 लाख रुपये के घोटाले की पुष्टि हुई है, लेकिन क्राइम ब्रांच का मानना है कि यह राशि और बढ़ सकती है, क्योंकि प्रदेश भर में ऐसे और भी संस्थान हो सकते हैं। यह घोटाला अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, और पारसी) के लिए शुरू की गई प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक, और मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति योजनाओं का दुरुपयोग दर्शाता है। इन योजनाओं का उद्देश्य जरूरतमंद छात्रों को शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना था, लेकिन फर्जीवाड़े ने इस नेक मंशा को नुकसान पहुंचाया।
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सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घोटाले ने इंदौर और मध्य प्रदेश में व्यापक चर्चा छेड़ दी है। X पर इस मुद्दे को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं, जहां कुछ लोग इसे “वित्तीय जेहाद” का नाम दे रहे हैं और इसे अल्पसंख्यक योजनाओं के दुरुपयोग से जोड़ रहे हैं। स्थानीय लोग और संगठन, जैसे बजरंग दल, इस मामले को लेकर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस घोटाले ने अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं और प्रशासन से पारदर्शिता की मांग को बढ़ावा दिया है।
सरकार और प्रशासन की कार्रवाई
पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार को विस्तृत रिपोर्ट भेजने की तैयारी की है। क्राइम ब्रांच अन्य संदिग्ध संस्थानों की जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दे रही है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने पहले ही भोपाल जिले के 83 संस्थानों को रेड फ्लैग किया था, और अब इंदौर में हुए इस खुलासे ने इस समस्या की व्यापकता को उजागर किया है।
क्राइमब्रांच के अतिरिक्त डीसीपी शैलेंद्रसिंह चौहान ने बताया कि जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि क्या इन संस्थानों ने केवल छात्रवृत्ति के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए या फर्जी छात्र भी तैयार किए। प्रदेश भर में ऐसे संस्थानों की संख्या 100 से अधिक हो सकती है, जिससे घोटाले का दायरा और बढ़ सकता है। सरकार और प्रशासन से अपेक्षा है कि इस तरह के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर सख्त निगरानी और भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया को और मजबूत किया जाए। Indore fake Islamik institutions scam
इंदौर में सामने आया यह छात्रवृत्ति घोटाला अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। खंडहरों और खाली मैदानों को स्कूल बताकर लाखों रुपये हड़पने का यह मामला न केवल आर्थिक अपराध है, बल्कि जरूरतमंद छात्रों के अधिकारों का हनन भी है। हिंदू समुदाय सहित स्थानीयलोग इस घोटाले को लेकर आक्रोशित हैं और मांग कर रहे हैं कि दोषियों को सख्त सजा दी जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। यह मामला न केवल इंदौर, बल्कि पूरे देश में कल्याणकारीयोजनाओं के कार्यान्वयन पर गंभीर सवाल उठाता है। Indore fake Islamik institutions scam
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।