भारत की अंतरिक्ष यात्रा में ऐतिहासिक कदम: इसरो ने स्पैडेक्स मिशन से अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक की शुरुआत की
ISRO Spadex Mission 2024 | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2024 के अंतिम मिशन के रूप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। सोमवार रात को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (शार) से इसरो ने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) लॉन्च किया। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष में अमेरिका, रूस और चीन के चुनिंदा क्लब में शामिल करता है, जो डॉकिंग तकनीक में महारत रखते हैं। यह उपलब्धि न केवल भारत के अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि चंद्रयान-4 जैसे मानव अंतरिक्ष मिशनों की नींव भी मजबूत करती है।
स्पैडेक्स मिशन क्या hain
स्पैडेक्स मिशन को सोमवार रात 10 बजे लॉन्च किया गया। 44.5 मीटर लंबे पीएसएलवी-सी60 रॉकेट ने दो अंतरिक्ष यान, चेजर (एसडीएक्स01) और टारगेट (एसडीएक्स02), को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया। दोनों यान 470 किमी की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक अलग हो गए और पृथ्वी की परिक्रमा करने लगे। इसरो के अनुसार, आने वाले दिनों में वैज्ञानिक इन यानों को आपस में जोड़ने की प्रक्रिया करेंगे।
डॉकिंग तकनीक का महत्व
डॉकिंग तकनीक अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नई क्रांति लेकर आती है। जब अंतरिक्ष में कई ऑब्जेक्ट्स किसी विशेष उद्देश्य के लिए एक साथ लाए जाते हैं, तो इस प्रक्रिया को डॉकिंग कहते हैं। इस तकनीक का उपयोग अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर चालक दल के मॉड्यूल को जोड़ने, उपग्रहों की मरम्मत, मलबा हटाने और मिशन उद्देश्यों को साझा करने के लिए किया जाता है।
डॉकिंग के जरिए अंतरिक्ष यानों के बीच पावर ट्रांसफर और ईंधन भरने जैसी प्रक्रियाएं की जा सकती हैं। यह तकनीक विशेष रूप से भारी अंतरिक्ष यानों और उपकरणों के लिए उपयोगी है, जिन्हें एक बार में लॉन्च करना संभव नहीं होता।
कैसे काम करेगा स्पैडेक्स मिशन?
स्पैडेक्स मिशन के तहत, चेजर यान टारगेट का पीछा करेगा और दोनों यान तेज रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए एक-दूसरे के करीब पहुंचेंगे। शुरू में दोनों यान 20 किमी की दूरी पर होंगे। धीरे-धीरे यह दूरी 10-20 किमी, फिर 5 किमी, 1.5 किमी, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर और अंत में 3 मीटर तक कम की जाएगी। अंतिम चरण में दोनों यान आपस में जुड़ जाएंगे।
डॉकिंग के बाद वैज्ञानिक अंतरिक्ष यानों के बीच पावर ट्रांसफर की प्रक्रिया का प्रदर्शन करेंगे और फिर उन्हें अलग कर दिया जाएगा। यह मिशन उपग्रहों की मरम्मत, ईंधन भरने और अंतरिक्ष मलबा हटाने के लिए आधार तैयार करेगा।
स्पैडेक्स मिशन की सफलता क्यों महत्वपूर्ण है?
इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि पीएसएलवी-सी60 ने यानों को सही कक्षा में स्थापित किया है और वे सफलतापूर्वक एक-दूसरे का पीछा कर रहे हैं। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक मील का पत्थर है, जिसकी स्थापना 2035 तक पूरी करने की योजना है।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में पांच मॉड्यूल होंगे, जिन्हें 2028 से 2035 तक अलग-अलग चरणों में लॉन्च किया जाएगा। स्पैडेक्स मिशन इस पूरी प्रक्रिया के लिए आवश्यक तकनीकी कौशल विकसित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
2035 तक भारत का अंतरिक्ष स्टेशन: एक दृष्टि
भारत की योजना 2035 तक अपने अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना की है, जिसमें पांच मॉड्यूल शामिल होंगे। इन मॉड्यूल्स को अंतरिक्ष में जोड़ने के लिए डॉकिंग तकनीक की आवश्यकता होगी। पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाएगा। स्पैडेक्स जैसे मिशन इसरो को उन तकनीकों में कुशल बनाएंगे जो मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ानों, अंतरिक्ष में ईंधन भरने और उपकरणों की मरम्मत में सहायक होंगी।
चंद्रयान-4 और मानव अंतरिक्ष उड़ानों की नींव
स्पैडेक्स मिशन केवल अंतरिक्ष स्टेशन तक सीमित नहीं है। यह चंद्रयान-4 जैसे मानव अंतरिक्ष मिशनों की तैयारी के लिए भी अहम है। मिशन के दौरान विकसित की जा रही तकनीक भविष्य में अंतरिक्ष यानों को जोड़ने और मानवयुक्त मिशनों में उपयोग की जाएगी।
सफलता की ओर बढ़ता भारत
इसरो ने उम्मीद जताई है कि 7 जनवरी तक दोनों यानों को जोड़ने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में नए आयामों की ओर ले जाएगा। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत अब उन देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में पारंगत हैं।
स्पैडेक्स मिशन न केवल इसरो के लिए बल्कि भारत के अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय साबित होगा। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर मजबूत करेगा और भविष्य की कई अंतरिक्ष परियोजनाओं का आधार बनेगा।
स्पैडेक्स मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का एक ऐतिहासिक कदम है। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना, मानव अंतरिक्ष उड़ानों और भारी उपकरणों को अंतरिक्ष में जोड़ने जैसी परियोजनाओं के लिए अहम साबित होगा। यह न केवल भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि अन्य देशों के साथ सहयोग के नए अवसर भी खोलेगा।
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।