केन-बेतवा लिंक परियोजना: बुंदेलखंड के विकास का नया अध्याय
Ken-Betwa Link Pariyojana | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को खजुराहो, छतरपुर में केन-बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास करेंगे। यह परियोजना देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना है और बुंदेलखंड के लिए एक ऐतिहासिक पहल है। यह परियोजना न केवल सूखाग्रस्त बुंदेलखंड की जल समस्या को दूर करेगी, बल्कि कृषि, उद्योग, और पर्यटन के लिए नए अवसर भी सृजित करेगी।
परियोजना का परिचय
केन-बेतवा लिंक परियोजना को भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नदी जोड़ो सपने को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य केन नदी से अतिरिक्त जल को बेतवा नदी में स्थानांतरित करना है, जिससे दोनों नदियों के कैचमेंट क्षेत्रों में जल की उपलब्धता बढ़ेगी। यह परियोजना दो चरणों में पूरी की जाएगी और इससे मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के 13 जिलों को लाभ मिलेगा।
परियोजना के लाभ
- कृषि क्षेत्र को बढ़ावा:- परियोजना से 8.10 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इससे किसान न केवल रबी और खरीफ की फसलें उगा सकेंगे, बल्कि तीसरी फसल भी ले पाएंगे। इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी और किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
- पेयजल की आपूर्ति:- इस परियोजना से 44 लाख लोगों को पेयजल की सुविधा मिलेगी। जल संकट से जूझ रहे बुंदेलखंड के गांवों और कस्बों में जल की समस्या का समाधान होगा।
- ऊर्जा उत्पादन:- परियोजना के तहत 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा। इससे क्षेत्र में ऊर्जा की उपलब्धता बढ़ेगी और उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा।
- पर्यटन को बढ़ावा:- परियोजना के माध्यम से जलाशयों और बांधों का निर्माण होगा, जो क्षेत्र में पर्यटन को आकर्षित करेंगे। खजुराहो जैसे विश्व धरोहर स्थल के पास परियोजना का विकास, पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
- रोजगार के अवसर:- परियोजना के निर्माण और संचालन के दौरान हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा, जल की उपलब्धता बढ़ने से औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थायी रोजगार सृजित होंगे।
- भूजल स्तर में सुधार:- बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखे और जल संकट की समस्या के कारण भूजल स्तर गिरता जा रहा है। परियोजना से जलाशयों और नहरों के माध्यम से भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा मिलेगा।ken-betwa-link-pariyojana
परियोजना का कार्यान्वयन
परियोजना के तहत केन नदी पर दौधन बांध, लिंक नहर, और अन्य संरचनाओं का निर्माण होगा।
- प्रथम चरण:दौधन बांध और लिंक नहर का निर्माण। इससे 4.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर माइक्रो इरिगेशन की सुविधा मिलेगी।
- द्वितीय चरण:बेतवा कछार में बीना कॉम्पलेक्स, कोठा बैराज और लोअर ओर परियोजनाओं का निर्माण। इससे 2.06 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होगी।
वित्तीय प्रावधान और क्रियान्वयन
इस परियोजना पर कुल ₹44,605 करोड़ की लागत आएगी, जिसमें 90% केंद्र सरकार और 10% राज्य सरकारें योगदान करेंगी। परियोजना के कार्यान्वयन के लिए 2021 में प्रधानमंत्री की उपस्थिति में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ जल शक्ति मंत्रालय के बीच त्रिपक्षीय समझौता (MOA) हुआ था।
वर्तमान स्थिति
परियोजना के प्रथम चरण के कार्यों में दौधन बांध का 90% और लिंक नहर का 40% कार्य पूरा हो चुका है। द्वितीय चरण के लिए डीपीआर तैयार कर ली गई है और निर्माण कार्य प्रगति पर है। भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास, और पर्यावरणीय स्वीकृतियां प्राप्त कर ली गई हैं।ken-betwa-link-pariyojana
परियोजना के तकनीकी पहलू
- दौधन बांध के निर्माण से 6017 हेक्टेयर वन भूमि प्रभावित होगी, जिसके बदले 5913.43 हेक्टेयर भूमि का पुनर्वनीकरण किया जा रहा है।
- परियोजना के तहत प्रभावित गांवों के लोगों के पुनर्वास और मुआवजे के लिए उचित प्रावधान किए गए हैं।
- पर्यावरणीय स्वीकृतियों के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व पर प्रभाव को कम करने के लिए विशेष योजना बनाई गई है।
क्षेत्रीय विकास और आत्मनिर्भरता
परियोजना के पूरा होने से स्थानीय लोगों में आत्मनिर्भरता आएगी। सिंचाई और पेयजल की उपलब्धता से पलायन रुकेगा और लोग अपने गांवों में रहकर कृषि, पशुपालन और अन्य आर्थिक गतिविधियों में संलग्न हो सकेंगे।ken-betwa-link-pariyojana
भविष्य की संभावनाएं
मध्य प्रदेश सरकार ने 2028-29 तक प्रदेश में 1 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई का लक्ष्य रखा है। केन-बेतवा लिंक परियोजना इस दिशा में एक बड़ा कदम है। परियोजना के पूरा होने से बुंदेलखंड क्षेत्र जल संकट से मुक्त होगा और औद्योगिक और सामाजिक विकास का एक प्रमुख केंद्र बनेगा।
केन-बेतवा लिंक परियोजना भारत की नदी जोड़ो योजना का एक आदर्श उदाहरण है। यह परियोजना न केवल बुंदेलखंड के लोगों के जीवन में बदलाव लाएगी, बल्कि अन्य क्षेत्रों में ऐसी योजनाओं को प्रेरित करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पहल देश के विकास में एक नया अध्याय जोड़ेगी।
प्रमुख बिंदु (सारांश)
- परियोजना से 8.10 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई।
- 44 लाख लोगों को पेयजल की सुविधा।
- 103 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन।
- सूखाग्रस्त बुंदेलखंड में भूजल स्तर में सुधार।
- पर्यटन, औद्योगीकरण, और रोजगार को बढ़ावा।
- ₹44,605 करोड़ की परियोजना लागत।
- 10 जिलों के किसान और 2 हजार गांव लाभान्वित।
- बुंदेलखंड की तकदीर और तस्वीर बदलने के इस ऐतिहासिक प्रयास का प्रभाव आने वाले वर्षों में स्पष्ट दिखाई देगा।ken-betwa-link-pariyojana
यह भी पढ़ें…
श्याम बेनेगल: भारतीय सिनेमा के युगपुरुष को भावभीनी श्रद्धांजलि