खरमास: जानिए इसका महत्व, अवधि और धार्मिक मान्यताएं

खरमास: जानिए इसका महत्व, अवधि और धार्मिक मान्यताएं 

kharmas kya hain | खरमास हिंदू धर्म और ज्योतिषीय गणनाओं में एक विशेष काल है, जिसे शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। यह समय हर वर्ष तब आता है जब सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करता है। इस अवधि को धार्मिक दृष्टि से आत्मचिंतन, पूजा-पाठ और साधना के लिए उपयुक्त समय माना गया है, लेकिन विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। खरमास को “मल मास” के नाम से भी जाना जाता है। kharmas kya hain

खरमास का नामकरण और पौराणिक संदर्भ

“खर” का अर्थ होता है “गधा” और “मास” का अर्थ होता है “महीना”। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस समय सूर्य की स्थिति कमजोर हो जाती है और शुभ कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है।

हिंदू पुराणों में खरमास का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि इस अवधि में देवगण विश्राम करते हैं और धर्म-कार्य में उनकी उपस्थिति नहीं रहती। इस समय को भगवान की आराधना और आत्मचिंतन के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

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खरमास कब और कैसे लगता है?

खरमास का निर्धारण हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना के अनुसार होता है। जब सूर्य धनु राशि (Sagittarius) या मीन राशि (Pisces) में प्रवेश करता है, तब यह समय खरमास कहलाता है। यह अवधि लगभग 30 दिनों तक रहती है। इस दौरान सूर्य के प्रभाव में बदलाव होता है, जिससे गुरु ग्रह (बृहस्पति) के शुभ प्रभाव कमजोर हो जाते हैं। kharmas kya hain

2024 में खरमास की अवधि

  • शुरुआत: 16 दिसंबर 2024
  • अंत: 14 जनवरी 2025

इस अवधि के दौरान सभी शुभ कार्यों को टालने की परंपरा है।

खरमास के धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

खरमास का महत्व धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों दृष्टियों से है।

धार्मिक महत्व

  1. आध्यात्मिक साधना का समय: खरमास को पूजा-पाठ, ध्यान, और जप-तप के लिए उपयुक्त समय माना गया है। यह आत्मशुद्धि और ईश्वर के प्रति समर्पण का अवसर प्रदान करता है।
  2. दान-पुण्य का महत्व: इस अवधि में जरूरतमंदों को दान करना, विशेषकर अनाज, वस्त्र, और धन दान, अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास में दान से कई गुणा पुण्य प्राप्त होता है।
  3. गंगा स्नान और व्रत: खरमास के दौरान गंगा स्नान और उपवास का विशेष महत्व है। यह व्यक्ति के पापों का नाश करता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

ज्योतिषीय महत्व

  1. सूर्य और बृहस्पति का प्रभाव: इस समय सूर्य की गति धीमी हो जाती है, और यह गुरु ग्रह के प्रभाव को कमजोर करता है।
  2. शुभ कार्य वर्जित: विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य मांगलिक कार्यों को इस अवधि में टालने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि इस समय शुरू किए गए कार्यों में बाधा आती है।

खरमास में क्या करें?

खरमास को आत्मशुद्धि और धार्मिक क्रियाकलापों के लिए अत्यंत शुभ समय माना गया है।

ध्यान और साधना:

  • भगवद् गीता, रामायण, और अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
  • रोजाना ध्यान और जप करें।

दान-पुण्य:

  • अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें।
  • गो सेवा और अन्य परोपकारी कार्यों में भाग लें।

सात्विक जीवन:

  • इस दौरान सात्विक भोजन करें और तामसिक आहार से बचें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।

खरमास में क्या न करें?

  1. शुभ कार्य: विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य बड़े आयोजनों से बचना चाहिए।
  2. नई शुरुआत: कोई नया व्यापार, योजना, या निवेश खरमास के दौरान शुरू नहीं करना चाहिए।
  3. तामसिक भोजन: मांसाहार और शराब का सेवन वर्जित है।

खरमास से जुड़े धार्मिक अनुष्ठान

खरमास के दौरान विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। इनमें भगवान विष्णु की पूजा और गीता पाठ प्रमुख हैं।

विशेष अनुष्ठान:

  • “विष्णु सहस्रनाम” और “गायत्री मंत्र” का जाप।
  • व्रत रखना और धार्मिक स्थलों पर दर्शन करना।
  • गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और कपड़ों का दान।

खरमास और समाज पर प्रभाव

खरमास का प्रभाव समाज पर भी देखा जाता है। इस अवधि में शादियों और अन्य बड़े समारोहों में कमी होती है, जिससे लोग आत्ममंथन और धार्मिक क्रियाओं की ओर प्रेरित होते हैं।

खरमास से जुड़ी मान्यताएं और लोक कथाएं

भारतीय लोक कथाओं में खरमास से संबंधित कई कहानियां हैं। इनमें से एक कहानी के अनुसार, भगवान विष्णु ने इस समय देवताओं और असुरों के बीच युद्ध को रोकने के लिए विश्राम किया। इसलिए इसे एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक समय माना जाता है। kharmas kya hain

खरमास का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो खरमास के समय सूर्य की गति और ऊर्जा में बदलाव होता है। इस दौरान पृथ्वी पर कुछ विशेष खगोलीय घटनाएं होती हैं, जो प्रकृति और मानव जीवन पर असर डालती हैं। kharmas kya hain

खरमास हिंदू धर्म और ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण समय है। यह आत्ममंथन, ध्यान, और धार्मिक कार्यों का समय है। इस दौरान शुभ कार्यों से बचना चाहिए और दान-पुण्य, साधना, और आत्मशुद्धि पर ध्यान देना चाहिए। धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के साथ-साथ, यह समाज और संस्कृति को शुद्ध और शांतिपूर्ण बनाने का संदेश देता है। kharmas kya hain


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