लैंड फॉर जॉब घोटाला: लालू यादव को सुप्रीम कोर्ट का झटका, याचिका खारिज

लैंड फॉर जॉब घोटाला: लालू यादव को सुप्रीम कोर्ट का झटका, याचिका खारिज

Land for Job case Supreme Court update | बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से 30 जुलाई 2025 को एक बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कथित ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाले में निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की प्राथमिकी (FIR) रद्द करने की मांग की थी। यह मामला 2004-2009 के बीच लालू के रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में ग्रुप-डी नौकरियों के बदले जमीन हड़पने के आरोपों से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले RJD की राजनीतिक रणनीति और लालू परिवार की छवि पर गंभीर असर पड़ सकता है। कोर्ट ने हालांकि लालू को निचली अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट दी है और दिल्ली हाईकोर्ट को उनकी मुख्य याचिका पर जल्द सुनवाई करने का निर्देश दिया है। Land for Job case Supreme Court update

‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाला: क्या है मामला?

‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाला 2004-2009 के दौरान का है, जब लालू प्रसाद यादव यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे। CBI के अनुसार, इस अवधि में पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर जोन सहित मुंबई, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर जैसे विभिन्न रेलवे जोनों में ग्रुप-डी पदों पर नियुक्तियां की गईं। आरोप है कि इन नियुक्तियों के बदले उम्मीदवारों या उनके परिवारों ने अपनी जमीन लालू के परिवार के सदस्यों (पत्नी राबड़ी देवी, बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव) या उनके करीबी सहयोगियों के नाम पर हस्तांतरित की। CBI ने दावा किया कि लालू ने अपने पद का दुरुपयोग कर दो रेलवे अधिकारियों को प्रभावित किया, जिससे उनके हितों वाली जमीन के मालिकों या उनके परिवारों को नौकरियां दी गईं।

CBI ने 18 मई 2022 को इस मामले में FIR दर्ज की, जिसमें लालू, राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव, और अन्य 78 लोगों को आरोपी बनाया गया, जिनमें 30 सरकारी अधिकारी शामिल हैं। जांच में पाया गया कि इन नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था। इसके अतिरिक्त, जमीनें बाजार मूल्य से काफी कम (1/4 से 1/5) दरों पर हस्तांतरित की गईं। उदाहरण के लिए, CBI के अनुसार, लालू के परिवार ने 1 लाख वर्ग फुट से अधिक जमीन केवल 26 लाख रुपये में हासिल की, जबकि इसका सर्किल रेट 4.39 करोड़ रुपये से अधिक था।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। ED ने आरोप लगाया कि लालू के परिवार ने A.K. Infosystems Pvt Ltd और A B Exports Pvt Ltd जैसी शेल कंपनियों के जरिए जमीनें हासिल कीं, जिनके शेयर बाद में लालू के परिवार के सदस्यों को मामूली कीमत (1 लाख रुपये) में हस्तांतरित किए गए। ED ने इस मामले में 6 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की और 2023 में 1 करोड़ रुपये नकद और 1.25 करोड़ रुपये की अन्य कीमती वस्तुएं बरामद कीं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

30 जुलाई 2025 को जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने लालू की याचिका पर सुनवाई की। लालू ने मांग की थी कि दिल्ली की निचली अदालत में चल रही कार्यवाही को 12 अगस्त तक स्थगित किया जाए, जब तक कि दिल्ली हाईकोर्ट उनकी FIR रद्द करने की याचिका पर फैसला नहीं सुना दे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट में लंबित याचिका का परिणाम ट्रायल को प्रभावित करेगा, इसलिए कार्यवाही पर रोक लगाने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगा।

कोर्ट ने लालू को निचली अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी, जिससे उनकी उम्र (77 वर्ष) और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ राहत मिली। साथ ही, कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह लालू की मुख्य याचिका (CBI की FIR रद्द करने की मांग) पर 12 अगस्त 2025 को होने वाली सुनवाई को शीघ्र पूरा करे।

लालू प्रसाद यादव की दलीलें

लालू के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि:

  1. 14 साल की देरी: CBI ने 2008 में प्रारंभिक जांच शुरू की थी, जिसके बाद 2014 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई। फिर 2022 में नई FIR दर्ज करना गैरकानूनी और राजनीति से प्रेरित है।

  2. धारा 17A का उल्लंघन: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के तहत किसी लोक सेवक के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी जरूरी है। लालू ने दावा किया कि CBI ने ऐसी कोई मंजूरी नहीं ली, जिससे जांच और FIR अवैध है।

  3. राजनीतिक बदले की कार्रवाई: लालू ने इसे “शासन की बदले की भावना” और “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया, जिसमें उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

CBI की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जवाब दिया कि 2018 के संशोधन से पहले की गई गड़बड़ियों के लिए धारा 17A की मंजूरी जरूरी नहीं थी। साथ ही, अन्य सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मंजूरी ली गई थी, लेकिन लालू के लिए यह लागू नहीं था।

दिल्ली हाईकोर्ट का रुख

लालू ने दिल्ली हाईकोर्ट में भी ट्रायल पर रोक और FIR रद्द करने की याचिका दायर की थी। 29 मई 2025 को हाईकोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि इसके लिए कोई ठोस कारण नहीं है। हाईकोर्ट ने CBI को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त 2025 को निर्धारित की। लालू ने हाईकोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग भी की थी, लेकिन 24 जुलाई को जस्टिस रविंद्र ढिंगरा ने इसे खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि 12 अगस्त की तारीख ज्यादा दूर नहीं है।

कानूनी और राजनीतिक प्रभाव

कानूनी प्रभाव

  • ट्रायल की निरंतरता: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में ट्रायल जारी रहेगा। इस कोर्ट ने पहले ही लालू, उनके बेटों तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, और अन्य के खिलाफ CBI की अंतिम चार्जशीट का संज्ञान लिया था।

  • ED की जांच: CBI के साथ-साथ ED भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सितंबर 2023 में लालू के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दी थी। ED ने 6 अगस्त 2024 को लालू, तेजस्वी, और अन्य के खिलाफ पूरक अभियोजन शिकायत दायर की थी।

  • संभावित सजा: यदि दोषी पाए गए, तो लालू को जेल की सजा हो सकती है, जो उनकी राजनीतिक सक्रियता को और सीमित कर सकती है।

राजनीतिक प्रभाव

  • बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले यह फैसला RJD के लिए बड़ा झटका है। लालू और तेजस्वी यादव RJD की रणनीति के केंद्र में हैं। इस मामले का असर पार्टी के वोट बैंक, खासकर यादव और मुस्लिम समुदायों पर पड़ सकता है।

  • नीतीश कुमार और विपक्ष की रणनीति: नीतीश कुमार की JDU और BJP के गठबंधन, साथ ही प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी, RJD के लिए पहले से ही चुनौती पेश कर रहे हैं। लालू की कानूनी मुश्किलें विपक्ष को उनके खिलाफ प्रचार का मौका दे सकती हैं।

  • पारिवारिक प्रभाव: इस मामले में लालू के साथ उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटियां मीसा भारती, हेमा यादव, और बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप भी आरोपी हैं। यह परिवार की राजनीतिक छवि और भविष्य को प्रभावित कर सकता है।

पहले की कानूनी स्थिति

  • बेल: अक्टूबर 2024 में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू, तेजस्वी, और तेज प्रताप को ED के मामले में 1 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी थी, क्योंकि जांच के दौरान उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था।

  • CBI की चार्जशीट: CBI ने 7 जून 2023 को लालू, उनके परिवार, और 77 अन्य लोगों के खिलाफ विस्तृत चार्जशीट दायर की थी। राष्ट्रपति ने सितंबर 2023 में लालू के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दी थी।

  • ED की कार्रवाई: ED ने मार्च 2023 में छापेमारी की और नवंबर 2023 में इस मामले में अमित कटियाल को गिरफ्तार किया।

सुप्रीमकोर्ट का 30 जुलाई 2025 का फैसला लालू प्रसाद यादव और RJD के लिए एकमहत्वपूर्ण झटका है। ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाले में ट्रायल की निरंतरता और दिल्ली हाईकोर्ट में 12 अगस्त 2025 को होने वालीसुनवाई अब इस मामले के भविष्य को तय करेगी। लालू और उनके परिवार की कानूनी लड़ाई न केवल उनकी व्यक्तिगतछवि को प्रभावित कर रही है, बल्कि बिहार की राजनीति में भी व्यापक असर डाल रही है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आने के साथ, यह मामला RJD की रणनीति और मतदाता समर्थन पर भारी पड़ सकता है। इस मामले में अगला महत्वपूर्ण पड़ाव दिल्ली हाईकोर्ट की सुनवाई होगी, जहां लालू की FIR रद्द करने की याचिका पर फैसलालिया जाएगा। तब तक, लालू और उनके समर्थकों को इस कानूनी और राजनीतिक तूफान का सामना करना होगा। Land for Job case Supreme Court update


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