उज्जैन सहित मध्यप्रदेश के धार्मिक नगरों में शराबबंदी का ऐलान: मुख्यमंत्री का बड़ा फैसला
Madhya Pradesh Dharmik Nagar Sharabbandi | मध्यप्रदेश सरकार ने धार्मिक नगरों में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आबकारी विभाग को प्रस्तावित नीति में आवश्यक संशोधन करने के निर्देश दिए हैं। यदि यह निर्णय लागू होता है, तो उज्जैन सहित प्रदेश के 17 धार्मिक नगरों में शराबबंदी जल्द ही प्रभावी होगी।
बजट सत्र में प्रस्तावित नीति पर मुहर लगेगी
मुख्यमंत्री ने सोमवार को घोषणा करते हुए कहा कि आगामी बजट सत्र में धार्मिक नगरों में शराबबंदी को लेकर संशोधित आबकारी नीति पेश की जाएगी। यह नई नीति 1 अप्रैल 2025 से लागू होने की संभावना है। उन्होंने कहा, “सरकार धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए इन नगरों को शराबमुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए धार्मिक नगरों की बाहरी सीमाओं पर शराब दुकानें खोलने की संभावना पर विचार किया जा रहा है।”
सिंहस्थ 2028 की तैयारी, शिप्रा को प्रवाहमान बनाएंगे
मुख्यमंत्री यादव ने सिंहस्थ 2028 के मद्देनजर उज्जैन में पवित्र शिप्रा नदी के जल को स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “सिंहस्थ 2028 में साधु-संतों को शिप्रा नदी के पवित्र जल से स्नान कराने की तैयारी चल रही है। इसके लिए सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी प्रोजेक्ट का भूमिपूजन केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल की उपस्थिति में किया जा रहा है।” मुख्यमंत्री ने पिछले सिंहस्थों का जिक्र करते हुए कहा, “2004 में गंभीर नदी का जल शिप्रा में मिलाया गया था। 2016 में नर्मदा नदी का जल शिप्रा में लाया गया। लेकिन 2028 के सिंहस्थ में साधु-संतों को शुद्ध शिप्रा जल उपलब्ध कराया जाएगा।”
धार्मिक नगरों को पवित्र घोषित करने का निर्णय पहले भी लिया गया
प्रदेश में धार्मिक नगरों को शराबमुक्त बनाने का विचार नया नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्रियों उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में इन नगरों को पवित्र घोषित किया गया था। हालांकि, इन क्षेत्रों में शराबबंदी को प्रभावी ढंग से लागू करने में सफलता नहीं मिल पाई। इस बार सरकार ने धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से इस फैसले को सख्ती से लागू करने की योजना बनाई है।
नर्मदा किनारे शराबबंदी का पर अब तक नहीं हुआ अमल- पटवारी
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “नर्मदा किनारे शराबबंदी का ऐलान पहले भी किया गया था, लेकिन आज भी वहां वैध और अवैध रूप से शराब बिक रही है। सरकार अपने वादों को पूरा करने में असफल रही है।” पटवारी ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे नए-नए वादे करके जनता को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “प्रदेश में आर्थिक कर्ज बढ़ता जा रहा है, कानून व्यवस्था कमजोर हो चुकी है, और माफिया का राज चल रहा है।”
नई आबकारी नीति जल्द आएगी
मुख्यमंत्री ने हाल ही में वाणिज्यिक कर विभाग की समीक्षा बैठक में नई आबकारी नीति पर चर्चा की। इसमें अधिकारियों को आवश्यक संशोधन करने के निर्देश दिए गए। सरकार का लक्ष्य है कि बजट सत्र से पहले इस नीति को कैबिनेट से मंजूरी मिल जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि धार्मिक नगरों को शराबमुक्त बनाने का निर्णय केवल सांस्कृतिक महत्व नहीं बल्कि सामाजिक स्वास्थ्य के लिए भी लिया गया है। धार्मिक नगरों में शराबबंदी लागू करना सरकार के लिए आसान नहीं होगा। इससे होने वाले राजस्व नुकसान को संतुलित करने के लिए वैकल्पिक उपायों पर विचार किया जा रहा है। साथ ही, अवैध शराब की बिक्री रोकने के लिए भी सख्त कदम उठाने की आवश्यकता होगी। धार्मिक नगरों में शराबबंदी का यह निर्णय न केवल प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करेगा, बल्कि सामाजिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित होगा। हालांकि, इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सरकार को सख्त नीति और निगरानी सुनिश्चित करनी होगी। आगामी बजट सत्र में इस प्रस्ताव पर चर्चा और इसे लागू करने की प्रक्रिया पर सभी की नजरें टिकी होंगी। Madhya Pradesh Dharmik Nagar Sharabbandi
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