उज्जैन के तीन साहित्यकारों को म.प्र. लेखक संघ के वार्षिक समारोह में मिला सम्मान

तीन साहित्यकारों को म.प्र. लेखक संघ के वार्षिक समारोह में मिला सम्मान

डॉ. मोहन गुप्त, मुकेश जोशी और संदीप सृजन को साहित्यिक योगदान के लिए किया गया सम्मानित

Madhya Pradesh Lekhak Sangh Samman 2025 | उज्जैन। मध्य प्रदेश लेखक संघ, भोपाल द्वारा 5 जनवरी 2025, रविवार को मानस भवन में 31वें वार्षिक समारोह का आयोजन किया गया। इस भव्य कार्यक्रम में उज्जैन के तीन ख्यातिलब्ध साहित्यकारों को विशेष सम्मान से अलंकृत किया गया। महर्षि पाणिनी वैदिक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं संभागायुक्त डॉ. मोहन गुप्त को उनके पौराणिक और ऐतिहासिक लेखन के लिए डॉ. राधेश्याम द्विवेदी पौराणिक/ऐतिहासिक उपन्यास/नाटक सम्मान प्रदान किया गया। व्यंग्यकार मुकेश जोशी को सरदार दिलजीत सिंह ‘रील’ सम्मान और युवा कवि एवं पत्रकार संदीप सृजन को डॉ. देवेंद्र जोशी हिंदी-मालवी सेवी सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान समारोह साहित्यिक गरिमा और भव्यता से भरपूर रहा। सम्मानित साहित्यकारों को प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह, शाल, श्रीफल और सम्मान राशि देकर सम्मानित किया गया।

सम्मान समारोह में गरिमामयी उपस्थिति

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री संतोष चौबे उपस्थित रहे। अध्यक्षता पूर्व सांसद श्री रघुनंदन शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि के तौर पर डॉ. उमाशंकर पचौरी, लेखक संघ के अध्यक्ष श्री राजेंद्र गट्टानी, डॉ. रामवल्लभ आचार्य, मनीष बादल, डॉ. हरीमोहन बुधोलिया, ऋषि श्रंगारी और अन्य गणमान्य साहित्यकार उपस्थित थे। पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में साहित्य के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “जिसमें मानवता नहीं, वह मनुष्य होते हुए भी मनुष्य नहीं है। साहित्य हमें सच्चे अर्थों में मनुष्य बनाता है। आज लोग साहित्य से विमुख हो रहे हैं, जिससे मानवता का ह्रास हो रहा है।” मुख्य अतिथि संतोष चौबे ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मानव बुद्धि के संदर्भ में कहा, “भले ही ए.आई. मानव बुद्धि को चुनौती दे रही है, परंतु मुझे विश्वास है कि यह मानव सोच और उसकी रचनात्मकता को बाधित नहीं कर सकती।” सारस्वत अतिथि डॉ. उमाशंकर पचौरी ने कहा कि साहित्य केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि उसमें समाज के लिए प्रेरणादायक संदेश होना चाहिए। सम्मानित साहित्यकारों ने साझा किए अनुभव सम्मान ग्रहण करते हुए डॉ. मोहन गुप्त ने साहित्य को “असमय का सहायक” बताया। उन्होंने कहा, “साहित्यकारों के योगदान को मान्यता मिलने से उनका मनोबल बढ़ता है और उन्हें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभाने की प्रेरणा मिलती है।” व्यंग्यकार मुकेश जोशी ने अपने सम्मान के प्रति आभार जताते हुए व्यंग्य लेखन को समाज की विसंगतियों का आईना बताया। वहीं, युवा कवि संदीप सृजन ने कहा कि “भाषा और साहित्य का संरक्षण ही हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेज सकता है।” डॉ. श्रीराम परिहार ने इस अवसर पर शब्द की साधना को मनुष्य के भीतर के अंधकार को दूर करने के समान बताया और लेखक संघ जैसी संस्थाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। 30 साहित्यकारों को किया गया सम्मानित इस समारोह में साहित्य की विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट योगदान देने वाले 30 साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। यह आयोजन साहित्यिक समुदाय के लिए प्रेरणादायक साबित हुआ। सांस्कृतिक और साहित्यिक रंग से सजा आयोजन समारोह की शुरुआत वंदे मातरम् और सरस्वती वंदना से हुई, जिसे मधुर शर्मा और उनके साथियों ने प्रस्तुत किया। लेखक संघ के अध्यक्ष श्री राजेंद्र गट्टानी ने स्वागत उद्बोधन दिया। संघ की गतिविधियों का विवरण मनीष श्रीवास्तव बादल ने प्रस्तुत किया। डॉ. प्रार्थना पंडित ने सम्मानित साहित्यकारों का परिचय दिया। अंत में ऋषि श्रंगारी ने आभार प्रदर्शन किया और कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस समारोह ने साहित्यिक गरिमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और साहित्यकारों के योगदान को रेखांकित करने का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। Madhya Pradesh Lekhak Sangh Samman 2025


यह भी पढ़ें….

अजय देवगन की फिल्म ‘आजाद’ का ट्रेलर लॉन्च, 17 जनवरी को होगी रिलीज

Leave a Comment

बाइक और स्कूटर चलाने वालों के लिए बड़ी खबर! Anti-Lock Braking System लो हो गया पंचायत सीजन 4 रिलीज, यहां देखें एमपी टूरिज्म का नया रिकॉर्ड, रिकॉर्ड 13 करोड़ पर्यटक पहुंचे Astronauts को सैलरी कितनी मिलती है MP CM Holi | होली के रंग में रंगे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव pm modi in marisas : प्रधानमंत्री मोदी मॉरीशस दौरे पर