मध्यप्रदेश पुलिस का सबसे कम उम्र का जवान: संवेदनशीलता और कर्तव्य की नई मिसाल

मध्यप्रदेश पुलिस का सबसे कम उम्र का जवान: संवेदनशीलता और कर्तव्य की नई मिसाल

Madhya Pradesh Police Ujjain ka Bal Arakshak | उज्जैन।  मध्यप्रदेश पुलिस ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी और मानवीयता का एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, स्वर्गीय आरक्षक लोकेश बिसारिया के पांच वर्षीय पुत्र दैविक बिसारिया को अनुकंपा नियुक्ति के तहत “बाल आरक्षक” का नियुक्ति पत्र सौंपा। यह ऐतिहासिक पहल न केवल पुलिस विभाग की संवेदनशीलता का परिचायक है, बल्कि प्रशासनिक प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।

परिवार को सहारा देने का प्रयास

दैविक बिसारिया के पिता, स्वर्गीय लोकेश बिसारिया, उज्जैन के झारड़ा थाना में आरक्षक के पद पर कार्यरत थे। दुर्भाग्यवश, बीमारी के कारण उनका हाल ही में निधन हो गया। उनके असामयिक निधन से परिवार को गहरा आघात पहुंचा। ऐसे में पुलिस विभाग ने परिवार की सहमति से दैविक को “बाल आरक्षक” के रूप में नियुक्त कर उनके भविष्य को संवारने का प्रयास किया। यह पहल पुलिस विभाग की सामाजिक और मानवीय जिम्मेदारी को रेखांकित करती है।

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एसपी ने गोद में बैठा सौंपा नियुक्ति पत्र

बुधवार को एक विशेष समारोह में, उज्जैन के पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्रदीप शर्मा ने दैविक और उनके परिवार को बुलाकर औपचारिक रूप से नियुक्ति पत्र सौंपा। इस दौरान एसपी शर्मा ने दैविक को अपनी गोद में बैठाकर सांत्वना दी और परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, “स्वर्गीय लोकेश बिसारिया एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारी थे। उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा। हम उनके परिवार के साथ मजबूती से खड़े हैं।”

सोशल मीडिया पर वायरल हुई यह तस्वीर

एसपी प्रदीप शर्मा और दैविक की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। इस तस्वीर में दैविक पुलिस की वर्दी में मुस्कुराते हुए नजर आ रहा है, जो पुलिस विभाग की मानवीय पहल का प्रतीक बन गई है। तस्वीर को देखकर लोग पुलिस विभाग की इस संवेदनशीलता और समर्पण की प्रशंसा कर रहे हैं।

आरक्षक स्वर्गीय लोकेश बिसारिया को श्रद्धांजलि

एसपी शर्मा ने स्वर्गीय लोकेश बिसारिया को एक बहादुर और ईमानदार कर्मचारी बताया। उन्होंने उनकी सेवा और समर्पण को याद करते हुए कहा, “स्वर्गीय बिसारिया ने अपने कर्तव्य के प्रति जो निष्ठा दिखाई, वह सभी के लिए प्रेरणादायक है। हम उनके परिवार की हर संभव मदद करेंगे।”

बाल आरक्षक बनने की प्रक्रिया

पुलिस विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के तहत बाल आरक्षक के रूप में नियुक्ति का यह मामला पहली बार सामने आया है। दैविक की नियुक्ति इस बात का प्रमाण है कि पुलिस विभाग अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों की देखभाल के लिए प्रतिबद्ध है।

मानवीयता और प्रशासनिक प्रतिबद्धता का अनूठा उदाहरण

बाल आरक्षक की नियुक्ति ने न केवल संवेदनशीलता का परिचय दिया, बल्कि यह भी दर्शाया कि पुलिस विभाग जरूरतमंद परिवारों को सहारा देने के लिए हर संभव प्रयास करता है। उज्जैन पुलिस की इस पहल को देशभर में सराहा जा रहा है।

पुलिस विभाग की सामाजिक जिम्मेदारी

यह घटना पुलिस विभाग की सामाजिक जिम्मेदारी और मानवीयता को दर्शाती है। इस तरह की पहल से न केवल परिवारों को सहारा मिलता है, बल्कि समाज में पुलिस विभाग की सकारात्मक छवि भी बनती है।

भविष्य की उम्मीदें

एसपी शर्मा ने दैविक के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि पुलिस विभाग हमेशा उनके साथ रहेगा। उन्होंने कहा, “दैविक अभी छोटा है, लेकिन हमें विश्वास है कि वह अपने पिता की तरह कर्तव्यनिष्ठ और बहादुर बनेगा।”

उज्जैन पुलिस की मिसाल

मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा इस प्रकार की पहल न केवल अन्य सरकारी विभागों के लिए प्रेरणा है, बल्कि समाज में मानवीयता और संवेदनशीलता के नए मानदंड स्थापित करती है। उज्जैन पुलिस ने इस पहल से इंसानियत की मिसाल पेश की है। पांच वर्षीय दैविक बिसारिया को “बाल आरक्षक” के रूप में नियुक्त कर पुलिस विभाग ने यह सिद्ध किया है कि वे अपने कर्मचारियों के परिवारों की भलाई के प्रति प्रतिबद्ध हैं। यह घटना मध्यप्रदेश पुलिस की मानवीय पहल और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का उत्कृष्ट उदाहरण है।


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