मध्यप्रदेश परिवहन विभाग का सख्त आदेश: अब दूसरे जिले में अटैचमेंट पर काम नहीं कर सकेंगे कर्मचारी

मध्यप्रदेश परिवहन विभाग का सख्त आदेश: अब दूसरे जिले में अटैचमेंट पर काम नहीं कर सकेंगे कर्मचारी

Madhya Pradesh Transport Department Attachment Rule | मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग ने एक महत्वपूर्ण और सख्त निर्णय लेते हुए जिला कार्यालयों में पदस्थ कर्मचारियों के अन्य जिलों में अटैचमेंट या प्रतिनियुक्ति पर काम करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही, विभाग ने ऐसे सभी कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से अपने मूल कार्यालय में वापस लौटने और कार्यभार ग्रहण करने का आदेश जारी किया है। आदेश का पालन न करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। Madhya Pradesh Transport Department Attachment Rule

मध्यप्रदेश के राज्यपाल के नाम से परिवहन विभाग के सचिव मनीष सिंह द्वारा जारी इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि कई जिला स्तरीय कार्यालयों में कर्मचारी अपने मूल कार्यालय से अलग, अन्य जिलों में संलग्न होकर कार्य कर रहे हैं। इस प्रथा के कारण मूल कार्यालयों में कर्मचारियों की कमी हो रही है, जिससे कार्यालय का नियमित कामकाज प्रभावित हो रहा है।इससे आम जनता को भी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि परिवहन संबंधी सेवाओं में देरी और अव्यवस्था। इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए, राज्य शासन ने सभी संभागीय, क्षेत्रीय, अतिरिक्त क्षेत्रीय, और जिला परिवहन कार्यालयों में संलग्न कर्मचारियों के अटैचमेंट को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है।

आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि सभी कर्मचारियों को तुरंत अपने मूल कार्यालय में वापस लौटकर कार्य शुरू करना होगा। यदि कोई कर्मचारी इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी, जिसमें निलंबन या अन्य अनुशासनात्मक कदम शामिल हो सकते हैं। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया हैऔर सभी संबंधित कार्यालयों को इसका कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। Madhya Pradesh Transport Department Attachment Rule

पृष्ठभूमि और कारण:

विभागीय अधिकारियों के अनुसार, परिवहन मुख्यालय हमेशा कार्यालयों की जरूरतों के आधार पर कर्मचारियों की पदस्थापना करता है ताकि सभी कार्यालयों में कार्य सुचारू रूप से चल सके। हालांकि कई कर्मचारी अपने गृह जिले या उन स्थानों पर जाने के लिए, जहां उनकी व्यक्तिगत सुविधा या अतिरिक्त आय की संभावना होती है अपनी पदस्थापना बदलवाकर अन्य जिलों में अटैचमेंट ले लेते हैं। इस प्रक्रिया में कई बार वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होते हैं, जो ऐसे अटैचमेंट को अनुमति दे देते हैं। इस तरह की अनियमितताओं के कारण मूल कार्यालयों में कर्मचारियों की कमी हो जाती है, जिससे प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है।

उदाहरण के तौर पर, बाबू डीएन गौड़ का मामला सामने आया है, जो उज्जैन जिले में पदस्थ होने के बावजूद इंदौर कार्यालय में अटैच होकर कार्य कर रहे थे। ऐसे कई अन्य मामले भी सामने आए हैं, जिनके कारण विभाग को यह सख्त कदम उठाना पड़ा।

आदेश का प्रभाव:

इस आदेश के लागू होने के बाद, परिवहन विभाग के सभी कर्मचारियों को अपने मूल कार्यालय में कार्य करना अनिवार्य होगा। इससे न केवल कार्यालयों में कर्मचारियों की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि जनता को मिलने वाली सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार होने की उम्मीद है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस कदम से प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, कर्मचारियों के बीच अनुशासन और कार्य के प्रति जिम्मेदारी की भावना भी मजबूत होगी।

आगे की कार्रवाई:

परिवहन विभाग ने सभी जिला और क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिए हैं कि वे इस आदेश के अनुपालन की स्थिति की निगरानी करें और किसी भी उल्लंघन की स्थिति में तुरंत कार्रवाई करें। इसके लिए एक निगरानी तंत्र भी स्थापित किया जा रहा है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी कर्मचारी अपने मूल कार्यालय में कार्यरत हैं।

मध्यप्रदेश परिवहन विभाग का यह आदेश एक महत्वपूर्ण कदम है जो न केवल कार्यालयों के कामकाज को सुचारू करेगा, बल्कि कर्मचारियों की जवाबदेही को भी सुनिश्चित करेगा। आम जनता को इस निर्णय से बेहतर सेवाएं प्राप्त होने की उम्मीद है। साथ ही, यह कदम भविष्य में अन्य विभागों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।

अतिरिक्त जानकारी:

यदि आप इस आदेश या इसके प्रभावों के बारे में और जानकारी चाहते हैं, तो आप परिवहन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं या संबंधित जिला कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।


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