महाकाल मंदिर में भस्म आरती के लिए नई सुविधा: श्रद्धालुओं के लिए अब आसान हुई प्रक्रिया
उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में भस्म आरती में भाग लेने के इच्छुक श्रद्धालुओं के लिए नई व्यवस्था की गई है। अब भस्म आरती में प्रवेश के लिए फॉर्म लेने और जमा करने के काउंटर को मंदिर के पिनाकी द्वार के पास स्थानांतरित कर दिया गया है। इस बदलाव का उद्देश्य श्रद्धालुओं को अधिक सुविधा देना और लंबी कतारों से बचाना है।
भस्म आरती फॉर्म लेने और जमा करने के नए नियम
मंदिर समिति ने निर्णय लिया है कि अब श्रद्धालु दो दिन पहले रात 10 बजे से फॉर्म ले सकते हैं और इसे अगले दिन सुबह 7 बजे के बाद कभी भी जमा करा सकते हैं। इससे भक्तों को रातभर लाइन में लगने की परेशानी से छुटकारा मिलेगा और समय की भी बचत होगी।
इस नई व्यवस्था के तहत शनिवार से ही भक्तों को शक्ति पथ स्थित पिनाकी द्वार के पास काउंटर से रात 10 बजे से फॉर्म मिलना शुरू होंगे। भक्त इस फॉर्म को अपने साथ ले जाकर अगले दिन सुबह 7 बजे के बाद आराम से जमा करा सकते हैं।
भस्म आरती की पुरानी व्यवस्था
पहले महाकाल मंदिर समिति प्रतिदिन 300 श्रद्धालुओं को निशुल्क भस्म आरती परमिशन देती थी। इसके लिए भक्तों को एक दिन पहले महाकाल मंदिर के प्रशासक कार्यालय के पास बने काउंटर पर सुबह 7 बजे पहुंचना पड़ता था। वहां से फॉर्म लेने के बाद तीन घंटे बाद उसे लाइन में लगकर जमा कराना पड़ता था, जिससे भक्तों को काफी समय इंतजार करना पड़ता था।
भस्म आरती की नई प्रक्रिया के फायदे
नई प्रक्रिया के तहत भक्तों को दो दिन पहले फॉर्म लेना और अगले दिन सुबह सात बजे के बाद कभी भी आकर फॉर्म जमा करने की सुविधा मिलेगी। इससे श्रद्धालुओं को समय की अधिक सुविधा होगी और उन्हें रात भर जागकर फॉर्म लेने के लिए लंबी कतार में खड़े होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
समझें नई प्रक्रिया
यदि किसी श्रद्धालु को सोमवार अलसुबह भस्म आरती में भाग लेना है तो उसे शनिवार की रात 10 बजे पिनाकी द्वार के पास बने काउंटर से फॉर्म लेना होगा। इसके बाद, अगले दिन रविवार को सुबह 7 बजे के बाद अपने साथियों के साथ काउंटर पर फॉर्म जमा करना होगा। इसके बाद उन्हें भस्म आरती में शामिल होने की अनुमति मिल जाएगी।
महाकाल मंदिर के भक्तों के लिए यह बदलाव एक बड़ी राहत है और उनकी भक्ति यात्रा को अधिक सुगम बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें –
[maxbutton id=”3″]
[maxbutton id=”4″]
यह खबर भी पढ़ें –
दीपावली पर्व: रोशनी, परंपराओं और नई ऊर्जा का पांच दिवसीय महोत्सव
धनतेरस 2024: जानिए इसकी पूजन विधि, इतिहास और महत्व
धन और समृद्धि के लिए लक्ष्मी और कुबेर की पूजा: कौनसी पूजा है अधिक प्रभावी?