महाकालेश्वर और काल भैरव मंदिर: रहस्य, पहुँचने और ठहरने की जानकारी

महाकालेश्वर और काल भैरव मंदिर: रहस्य, पहुँचने और ठहरने की जानकारी

Mahakaleshwar Temple Ujjain | उज्जैन के महाकालेश्वर और काल भैरव मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि कई रहस्यमयी कहानियों और परंपराओं से भी जुड़े हुए हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर का शिवलिंग स्वयंभू माना जाता है, जबकि काल भैरव मंदिर अपनी अनूठी शराब चढ़ाने की परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। आइए इन मंदिरों से जुड़े तीन बड़े रहस्यों के साथ-साथ यहाँ पहुँचने और ठहरने की जानकारी भी प्राप्त करें। Mahakaleshwar Temple Ujjain

महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े तीन रहस्य:

  1. महाकाल के नाम का रहस्य: महाकाल नाम के पीछे दो मुख्य मान्यताएं हैं। पहली यह है कि प्राचीन काल में उज्जैन से ही दुनिया का मानक समय निर्धारित होता था, इसलिए इसे ‘काल’ (समय) का ‘महाकाल’ (महान स्वामी) कहा गया। दूसरी मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने एक राक्षस का वध करके अवंति नगरी (उज्जैन) के निवासियों की रक्षा की थी। वे उस राक्षस का ‘काल’ बनकर आए थे और भक्तों के आग्रह पर यहीं स्थापित हो गए, इसलिए वे ‘महाकाल’ कहलाए और माना जाता है कि वे काल के अंत तक यहीं विराजमान रहेंगे।

  2. राजा या मंत्री का रात न गुजारना: यह एक सदियों पुरानी मान्यता है कि उज्जैन में कोई भी राजा या मंत्री रात नहीं गुजारता है। किंवदंती है कि भगवान महाकाल ही इस शहर के राजा हैं और उनके अलावा कोई और राजा यहाँ नहीं रह सकता। ऐतिहासिक उदाहरण भी इस मान्यता को बल देते हैं। कहा जाता है कि विक्रमादित्य के समय से यह परंपरा चली आ रही है। यहाँ तक कि ग्वालियर के पूर्व राजा और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी आज तक उज्जैन में रात को नहीं रुके हैं। कुछ राजनीतिक हस्तियों के रात में ठहरने के बाद सत्ता खोने के उदाहरण भी दिए जाते हैं, जिसे कुछ लोग संयोग मानते हैं तो कुछ लोककथाओं का प्रभाव।

  3. भस्म आरती का रहस्य: भस्म आरती महाकालेश्वर मंदिर की एक अनूठी और महत्वपूर्ण परंपरा है। इसकी कहानी राजा चंद्रसेन के समय से जुड़ी हुई है। जब एक भक्त बालक की भक्ति देखकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने एक राक्षस दूषण का वध किया। कहा जाता है कि भगवान महाकाल ने उस राक्षस की राख से ही अपना श्रृंगार किया था, तभी से भस्म आरती की प्रथा चली आ रही है। यह दिन की पहली आरती होती है और इसके लिए कपिला गाय के गोबर के कंडे के साथ शमी, पीपल, पलाश, बेर, अमलतास और बरगद की जड़ की लकड़ियों को जलाकर बनी राख का उपयोग किया जाता है।

महाकालेश्वर मंदिर कैसे पहुँचें:

महाकालेश्वर मंदिर देश के सभी हिस्सों से सड़क, रेल और हवाई मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

  • सड़क मार्ग: उज्जैन देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप बस या निजी वाहन से आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं। राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों का एक अच्छा नेटवर्क उज्जैन को इंदौर, भोपाल, दिल्ली, मुंबई और अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ता है।

  • रेल मार्ग: उज्जैन में दो मुख्य रेलवे स्टेशन हैं: उज्जैन सिटी जंक्शन और विक्रम नगर रेलवे स्टेशन। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे बड़े शहरों से यहाँ के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं। दिल्ली से उज्जैन तक ट्रेन का किराया लगभग 1000 रुपये तक हो सकता है। स्टेशन से मंदिर तक पहुँचने के लिए स्थानीय बसें और टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हैं।

  • हवाई मार्ग: यदि आप हवाई मार्ग से यात्रा करना चाहते हैं, तो इंदौर का महारानी अहिल्या बाई होल्कर हवाई अड्डा उज्जैन का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, जो लगभग 55 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से उज्जैन तक पहुँचने के लिए टैक्सी या बस आसानी से मिल जाती है। दिल्ली से इंदौर तक हवाई यात्रा का खर्च लगभग 6000 रुपये तक आ सकता है।

महाकालेश्वर मंदिर के आसपास ठहरने की जगह:

महाकालेश्वर मंदिर के आसपास विभिन्न बजट के अनुसार ठहरने के विकल्प उपलब्ध हैं।

  • किफायती धर्मशालाएं: मंदिर के पास कई धर्मशालाएं हैं जहाँ आप बहुत कम पैसे में ठहर सकते हैं।

  • बजट होटल: मंदिर के आसपास 500 से 600 रुपये के बीच में कई अच्छे होटल भी उपलब्ध हैं। कृष्ण होटल और होटल आराध्य कुछ ऐसे ही विकल्प हैं जहाँ आप आरामदायक कमरे बुक कर सकते हैं।

महाकालेश्वर मंदिर के आसपास खाने की जगह:

महाकालेश्वर मंदिर के आसपास आपको कई तरह के भोजनालय मिल जाएंगे जहाँ आप स्वादिष्ट भोजन का आनंद ले सकते हैं।

उज्जैन के महाकालेश्वर और काल भैरव मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि इतिहास, रहस्य और अनूठी परंपराओं का संगम भी हैं। यहाँ की यात्रा आपको आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ इस प्राचीन शहर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से भी परिचित कराएगी। Mahakaleshwar Temple Ujjain

उज्जैन, एक प्राचीन और पवित्र नगरी, न केवल अपने भव्य मंदिरों और धार्मिक महत्व के लिए जानी जाती है, बल्कि इसके गर्भ में कई ऐसे रहस्य भी छिपे हैं जिनसे शायद आप अभी तक अनजान होंगे। महाकालेश्वर और काल भैरव मंदिरों से परे, इस शहर की मिट्टी में दबी कहानियाँ, किंवदंतियाँ और अलौकिक घटनाएं आज भी लोगों को आश्चर्यचकित करती हैं।

क्या आप जानते हैं कि उज्जैन की भूमि के नीचे सदियों पुराने रहस्य दफन हैं? क्या आप उन अद्भुत कहानियों को सुनना चाहेंगे जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं, लेकिन अभी भी व्यापक रूप से ज्ञात नहीं हैं? हम आपको उज्जैन के उन अनदेखे पहलुओं से परिचित कराएंगे, जहाँ इतिहास और रहस्य आपस में गुंथे हुए हैं।

हमारे साथ बने रहिए और पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट mpnewsbrief.com को। आने वाले लेखों में हम उज्जैन के उन गहरे रहस्यों को परत दर परत खोलेंगे, जो आपको इस प्राचीन शहर के बारे में एक नया दृष्टिकोण देंगे। तैयार हो जाइए एक रोमांचक यात्रा के लिए, जहाँ हर कहानी अपने में एक अनसुलझा रहस्य समेटे हुए है! Mahakaleshwar Temple Ujjain


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