महाकुंभ 2025: छोटू बाबा गंगापुरी महाराज की अनोखी कहानी
32 साल से नहीं नहाए, संकल्प नहाएंगे तो सिर्फ शिप्रा में
Mahakumh 2025 | प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ मेले की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं। देशभर से लाखों श्रद्धालु और साधु-संत इस पवित्र आयोजन में हिस्सा लेने के लिए यहां पहुंच रहे हैं। महाकुंभ में साधु-संतों की धुनी, अखाड़ों की शोभायात्राएं, और धार्मिक अनुष्ठानों का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। इन्हीं साधु-संतों के बीच एक नाम ऐसा है जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है—गंगापुरी महाराज, जिन्हें लोग प्यार से “छोटू बाबा” या “टाइनी बाबा” कहते हैं।
छोटू बाबा की अनोखी पहचान
57 वर्षीय गंगापुरी महाराज की सबसे बड़ी खासियत उनकी कद-काठी है। केवल तीन फीट ऊंचे महाराज की काया पांच-छह साल के बच्चे के समान है। लेकिन उनकी साधना, ज्ञान, और आध्यात्मिक गहराई ने उन्हें साधुओं और श्रद्धालुओं के बीच एक खास स्थान दिलाया है। उनका मानना है कि उनका छोटा कद उनके लिए कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत है।
गंगापुरी महाराज कहते हैं:-
“यह रूप भगवान की देन है, और मैं इसे पूरे गर्व के साथ स्वीकार करता हूं। लोग मेरे पास आते हैं, मुझसे बातचीत करते हैं, और मेरी साधना से प्रेरणा लेते हैं। यही मेरी शक्ति है।”
32 साल से नहीं किया स्नान: एक गुप्त संकल्प
गंगापुरी महाराज की सबसे अनोखी बात यह है कि उन्होंने पिछले 32 वर्षों से स्नान नहीं किया है। यह बात सुनकर लोग चौंक जाते हैं, लेकिन महाराज इसके पीछे का रहस्य बताने से बचते हैं। उनका कहना है कि यह एक गुप्त संकल्प है जिसे वह तब तक पूरा नहीं करेंगे जब तक कि उनका उद्देश्य पूर्ण नहीं हो जाता। गंगापुरी महाराज ने अपनी बात रखते हुए कहा, “शारीरिक स्वच्छता से ज्यादा जरूरी है आत्मा की शुद्धता। जब मेरा संकल्प पूरा होगा, तो मैं सबसे पहले क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाऊंगा।” यह वचन उनके दृढ़ संकल्प और आध्यात्मिक विश्वास को दिखाता है।
महाकुंभ में पहली बार गंगापुरी महाराज की उपस्थिति
प्रयागराज महाकुंभ 2025 में यह गंगापुरी महाराज की पहली यात्रा है। हालांकि, उन्हें अभी तक स्थायी शिविर नहीं मिला है। वह कभी किसी संत के शिविर में रहते हैं, तो कभी गंगा के तट पर एकांत में साधना करते हैं। उनकी उपस्थिति ने श्रद्धालुओं और साधुओं के बीच नई चर्चा को जन्म दिया है। श्रद्धालु उनके छोटे कद और 32 वर्षों से स्नान न करने की बात सुनकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं। लोग उनसे मिलने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए घंटों इंतजार करते हैं। महाराज की लोकप्रियता इतनी है कि लोग उनके साथ फोटो खिंचवाने और सेल्फी लेने की कोशिश करते हैं। Mahakumh 2025
कामाख्या पीठ और जूना अखाड़े से जुड़ाव
गंगापुरी महाराज जूना अखाड़े के नागा संत हैं और असम की प्रसिद्ध कामाख्या पीठ से जुड़े हुए हैं। उनका कहना है कि उन्होंने जीवन को सांसारिक मोह-माया से दूर रखते हुए आत्मा और परमात्मा के मिलन को ही अपना ध्येय बनाया है।
आध्यात्मिक संदेश और जीवनशैली
गंगापुरी महाराज का मानना है कि बाहरी स्वच्छता केवल शरीर को शुद्ध कर सकती है, लेकिन आंतरिक शुद्धता आत्मा को मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा, “यह शरीर नश्वर है। असली साधना आत्मा की होती है।” उनकी गूढ़ और आध्यात्मिक बातें सुनकर साधु-संत और श्रद्धालु उनसे प्रेरणा लेते हैं। दूसरे संत भी मानते हैं कि गंगापुरी महाराज भले ही कद में छोटे हैं, लेकिन उनका ज्ञान और साधना बहुत गहरी है। Mahakumh 2025
महाकुंभ और क्षिप्रा नदी का महत्व
महाकुंभ के आयोजन में स्नान का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि कुंभ मेले के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगापुरी महाराज ने हालांकि घोषणा की है कि वह किसी भी स्नान पर्व में शामिल नहीं होंगे। उनका कहना है कि जब उनका संकल्प पूरा होगा, तब वह पहली बार स्नान करेंगे। महाराज ने क्षिप्रा नदी का उल्लेख करते हुए कहा, “जब मेरे संकल्प का समय आएगा, तो क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाकर इसे पूरा करूंगा।” उनके इस कथन ने श्रद्धालुओं के बीच उत्सुकता बढ़ा दी है। Mahakumh 2025
छोटू बाबा का जीवन: प्रेरणा और रहस्य
गंगापुरी महाराज का जीवन एक प्रेरणा है। उन्होंने अपने शारीरिक कद और समाज की सामान्य अपेक्षाओं को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उनकी कहानी यह सिखाती है कि आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय से कोई भी व्यक्ति अपनी अलग पहचान बना सकता है। उनकी 32 साल से बिना स्नान की कहानी और क्षिप्रा नदी से जुड़े उनके संकल्प ने महाकुंभ के इस भव्य आयोजन में उन्हें विशेष स्थान दिया है। श्रद्धालु और साधु-संत उनकी साधना और जीवनशैली से प्रेरित होकर आत्मिक शुद्धता की ओर आकर्षित हो रहे हैं। गंगापुरी महाराज की कहानी केवल महाकुंभ के लिए ही नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने जीवन में आत्मविश्वास और आध्यात्मिकता का महत्व समझता है। उनकी उपस्थिति ने महाकुंभ में नई चर्चा और उत्सुकता का माहौल बना दिया है। उनका संकल्प और क्षिप्रा नदी से जुड़ा उनका वादा इस आयोजन को और भी खास बनाता है। Mahakumh 2025
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