मणिपुर संकट: एन. बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, जातीय हिंसा के बाद बढ़ा दबाव

मणिपुर संकट: एन. बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, जातीय हिंसा के बाद बढ़ा दबाव

Manipur Political Crisis 2025 |  मणिपुर (Manipur) में पिछले साल से जारी जातीय हिंसा (Ethnic Violence) के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह (N. Biren Singh) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया। इससे पहले उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात की थी। लंबे समय से राज्य में अस्थिरता बनी हुई थी और मुख्यमंत्री पर इस्तीफे का दबाव था। एन. बीरेन सिंह ने अपने इस्तीफे में मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता (Territorial Integrity), अवैध घुसपैठ (Illegal Infiltration), और नशे के आतंकवाद (Narco-Terrorism) जैसे मुद्दों पर चिंता व्यक्त की।

एन. बीरेन सिंह का इस्तीफा और उसकी पृष्ठभूमि

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार शाम अपना इस्तीफा दिया। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की सेवा करना उनके लिए गर्व की बात थी। उन्होंने केंद्र सरकार का आभार जताते हुए कहा कि केंद्र ने मणिपुर के विकास और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।

बीरेन सिंह के इस्तीफे से पहले राज्य में मैतेई समुदाय (Meitei Community) और कुकी समुदाय (Kuki Community) के बीच हिंसा ने गंभीर रूप ले लिया था। मई 2023 में शुरू हुई हिंसा के कारण अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

मुख्यमंत्री के इस्तीफे के प्रमुख कारण

  • एन. बीरेन सिंह ने अपने इस्तीफे में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को उठाया:
  • मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता (Territorial Integrity) को बनाए रखना आवश्यक है, क्योंकि यह राज्य हजारों वर्षों से समृद्ध संस्कृति और इतिहास को संजोए हुए है।
  • सीमा पर घुसपैठ (Border Infiltration) को रोकने और अवैध प्रवासियों (Illegal Immigrants) को निष्कासित करने की नीति बनाई जानी चाहिए।
  • नशे और नशे के आतंकवाद (Narco-Terrorism) के खिलाफ लड़ाई को और तेज किया जाना चाहिए।
  • एमएफआर प्रणाली (MFR System) को मजबूत और सुरक्षित बनाया जाना चाहिए, जिसमें बायोमेट्रिक जांच (Biometric Verification) अनिवार्य हो।
  • सीमा सुरक्षा (Border Security) को समयबद्ध तरीके से लागू किया जाना चाहिए।

 

मणिपुर में जातीय हिंसा का इतिहास

हिंसा की शुरुआत तीन मई 2023 को हुई थी, जब मणिपुर उच्च न्यायालय (Manipur High Court) ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह मैतेई समुदाय (Meitei Community) को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe – ST) का दर्जा देने पर विचार करे। इस आदेश के विरोध में आदिवासी छात्रों संघ (ATSUM – All Tribal Students’ Union Manipur) ने एक विरोध रैली आयोजित की, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी।

इस हिंसा के कारण:

  • कुकी समुदाय (Kuki Community) ने इस फैसले का विरोध किया, जिससे दंगे भड़क गए।
  • राज्य के विभिन्न हिस्सों में अग्निकांड (Arson) और लूटपाट (Looting) हुई।
  • सरकार को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अर्धसैनिक बलों (Paramilitary Forces) को तैनात करना पड़ा।

एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे का राजनीतिक प्रभाव

एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है। एनडीए (NDA – National Democratic Alliance) की सहयोगी एनपीपी (NPP – National People’s Party) ने पहले ही राज्य सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और नए नेतृत्व की मांग कर रही थी।

इस इस्तीफे के बाद:

  • भाजपा (BJP – Bharatiya Janata Party) को मणिपुर में नए मुख्यमंत्री की तलाश करनी होगी।
  • कुकी और मैतेई समुदायों (Kuki & Meitei Communities) के बीच शांति स्थापित करने की चुनौती बनी रहेगी।
  • केंद्र सरकार को विकास योजनाओं (Development Projects) को पुनः बहाल करने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी।

क्या मणिपुर में शांति स्थापित हो पाएगी?

मुख्यमंत्री के पद से हटने के बावजूद, एन. बीरेन सिंह ने उम्मीद जताई कि राज्य में शांति स्थापित होगी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में हालात में सुधार हुआ है और 2025 तक राज्य में सामान्य स्थिति बहाल होने की संभावना है। एन. बीरेन सिंह का इस्तीफा मणिपुर के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम है। जातीय हिंसा के चलते राज्य में अस्थिरता बनी हुई थी, और मुख्यमंत्री पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा था। अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर मणिपुर में शांति और स्थिरता लाने के लिए क्या कदम उठाती हैं।


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