पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पंचतत्‍व में विलीन, स्‍मारक विवाद बरकरार

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पंचतत्‍व में विलीन, स्‍मारक विवाद बरकरार

Manmohan Singh Memorial | भारतीय राजनीति के मर्मज्ञ और सौम्यता की मिसाल, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अब सदा के लिए मौन हो गए। 92 वर्ष की आयु में दिल्ली एम्स में उन्होंने गुरुवार रात अंतिम सांस ली। उनके निधन से देश ने एक ऐसा नेता खो दिया, जिनकी हर बात को गंभीरता से सुना जाता था। आज दिल्ली के निगमबोध घाट पर उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई। इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, और देशभर के नेताओं ने उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित की।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार और स्मारक के स्थान को लेकर राजनीतिक विवाद गर्मा गया है। जहां केंद्र सरकार ने उनके निगमबोध घाट (Nigambodh Ghat) पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की घोषणा की, वहीं कांग्रेस (Congress) और अन्य विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से आग्रह किया था कि डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर किया जाए, जहां उनके सम्मान में एक स्मारक (Memorial) बनाया जा सके।

यह भी पढ़ें....  धनतेरस पर प्रधानमंत्री की सौगात: बुजुर्गों के लिए 5 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज

क्या बोली केंद्र सरकार

कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने पत्र में लिखा, “डॉ. सिंह का योगदान भारत के इतिहास में एक विशिष्ट स्थान रखता है। उनके सम्मान में एक ऐसा स्मारक होना चाहिए जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित कर सके।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पूर्व प्रधानमंत्रियों और बड़े नेताओं की परंपरा के अनुरूप ही उनका अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए हालांकि, सरकारी सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्मारक बनाने का फैसला कर लिया है, लेकिन उचित स्थान की खोज में कुछ समय लगेगा। एक सरकारी अधिकारी ने स्पष्ट किया, “सरकार का उद्देश्य डॉ. सिंह के प्रति सम्मान प्रकट करना है। लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है।” Manmohan Singh Memorial

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र पर साधा निशाना

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर पोस्ट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, “यह दुखद है कि सरकार ने अभी तक डॉ. सिंह जैसे महान नेता के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए उपयुक्त स्थान नहीं तय किया। यह उनके प्रति जानबूझकर किया गया अपमान है।” शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के नेता सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने भी सरकार के निर्णय की आलोचना की। उन्होंने कहा, “डॉ. सिंह सिख समुदाय के एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की। उनके लिए एक उपयुक्त स्मारक न बनाना अनादर की बात है।” Manmohan Singh Memorial

सरकार ने कहा स्मारक बनेगा, जगह तय नहीं

सरकारी सूत्रों ने देर रात जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह के सम्मान में स्मारक बनाने का निर्णय लिया है। हालांकि, उचित स्थान की पहचान करने में समय लगेगा। सूत्रों ने यह भी कहा कि डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार 28 दिसंबर 2024 (शनिवार) को सुबह 11:45 बजे निगमबोध घाट पर किया जाएगा।

यह भी पढ़ें....  राष्ट्रीय प्रेस दिवस: लोकतंत्र का चौथा स्तंभ और पत्रकारिता की जिम्मेदारी

डॉ. मनमोहन सिंह का कद और योगदान

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने डॉ. सिंह के योगदान को रेखांकित करते हुए सरकार से उनके सम्मान को ध्यान में रखने की अपील की। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “डॉ. सिंह की उपलब्धियां वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं। आर्थिक संकट से उबरने में उनके प्रयासों को विश्व नेताओं ने सराहा। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barack Obama) ने कहा था, ‘जब भारतीय प्रधानमंत्री बोलते हैं, तो पूरी दुनिया सुनती है।'” डॉ. मनमोहन सिंह ने 1991 के आर्थिक सुधारों (Economic Reforms) को सफलतापूर्वक लागू किया, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आया। Manmohan Singh Memorial

अंतिम संस्कार की व्यवस्था

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान (State Funeral) के साथ किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय से भी इस संबंध में आवश्यक तैयारियां करने का अनुरोध किया गया है।

विवाद की जड़: स्मारक की परंपरा

भारत में पूर्व प्रधानमंत्रियों और बड़े नेताओं के लिए स्मारक बनाए जाने की परंपरा रही है। इसके तहत इंदिरा गांधी (Indira Gandhi), राजीव गांधी (Rajiv Gandhi), और अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) जैसे नेताओं के स्मारक बनाए गए हैं।

राजनीतिक माहौल गरमाया

इस पूरे प्रकरण ने राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है। कांग्रेस और अकाली दल ने इसे सिख समुदाय और डॉ. सिंह के खिलाफ भेदभाव करार दिया है। हालांकि, केंद्र सरकार ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह इस संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रही है। डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारत के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके सम्मान में स्मारक बनाए जाने का निर्णय समय की मांग है। हालांकि, इस पूरे मामले में राजनीति और परंपरा के बीच संतुलन बनाए रखना सरकार और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है। Manmohan Singh Memorial

यह भी पढ़ें....  आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा: मध्यप्रदेश में क्यों खास है उनका जन्मदिवस?

यह भी पढ़ें…

कमरख: स्वाद, स्वास्थ्य और सौंदर्य का अनोखा संगम

Leave a Comment