मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: 24 हफ्ते तक के गर्भपात (MTP) के लिए अदालत की अनुमति जरूरी नहीं
Medical Termination of Pregnancy | भोपाल: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (High Court) ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि दुर्व्यवहार (Abuse) की पीड़िताओं को 24 हफ्ते तक के गर्भपात (MTP – Medical Termination of Pregnancy) के लिए अदालत की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। यह आदेश एक दुष्कर्म (Rape) पीड़िता के मामले में दिया गया, जिसका गर्भ 6-7 हफ्ते का था। न्यायालय ने इस विषय पर कुछ महत्वपूर्ण दिशानिर्देश भी जारी किए।
गर्भपात के लिए नए दिशानिर्देश
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल धगत (Vishal Dhagat) की पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि गर्भकाल (Gestation Period) 20 हफ्ते या उससे कम है, तो एक रजिस्टर्ड डॉक्टर (Registered Doctor) गर्भपात कर सकता है। 20 से 24 हफ्ते के गर्भकाल के लिए दो रजिस्टर्ड डॉक्टरों की आवश्यकता होगी। 24 हफ्ते से अधिक के गर्भपात के मामले में ही हाईकोर्ट का दखल रहेगा, क्योंकि यह कानूनी रूप से प्रतिबंधित है। पीड़िता के लिए प्रक्रिया क्या होगी? न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई पीड़िता (Victim) गर्भपात करवाना चाहती है, तो उसे कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना होगा: एसएचओ (SHO – Station House Officer) पीड़िता की गर्भावस्था की मेडिकल रिपोर्ट तैयार कराकर उसे जिला अदालत (District Court) भेजेगा। जिला अदालत का जज (Judge) पीड़िता को मेडिकल बोर्ड (Medical Board) के पास भेजेगा, जो यह तय करेगा कि गर्भपात संभव है या नहीं। मेडिकल रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद, जिला अदालत पीड़िता और उसके माता-पिता (Parents) को सूचित करेगी। रिपोर्ट को तुरंत हाईकोर्ट रजिस्ट्री (High Court Registry) में संविधान के अनुच्छेद 226 (Article 226) के तहत एक रिट याचिका (Writ Petition) के रूप में दर्ज किया जाएगा। हाईकोर्ट बिना देरी किए मामले की सुनवाई करेगा ताकि जल्द से जल्द आदेश दिया जा सके।
6-7 हफ्ते के भ्रूण का मामला
इस मामले में अदालत ने देखा कि पीड़िता का भ्रूण केवल 6-7 हफ्ते का था, इसलिए उसका गर्भपात (Abortion) मेडिकल कॉलेज में किया जा सकता है।
फैसले के अनुपालन के निर्देश
हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि इस निर्णय की एक प्रति महाधिवक्ता (Advocate General) के कार्यालय, महानिबंधक (Registrar General) और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (Medical & Health Department) के प्रमुख सचिव (Principal Secretary) को भेजी जाए ताकि वे इसका अनुपालन सुनिश्चित कर सकें।
फैसले का महत्व
यह फैसला दुर्व्यवहार पीड़िताओं (Abuse Victims) के लिए राहत देने वाला है। इससे उन्हें कानूनी प्रक्रिया (Legal Process) के लंबे इंतजार से बचने में मदद मिलेगी। अब पीड़िताओं को गर्भपात के लिए अदालत की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे वे जल्दी और सुरक्षित तरीके से चिकित्सा सहायता (Medical Assistance) प्राप्त कर सकेंगी।
न्यायपालिका (Judiciary) का संवेदनशील कदम
इस फैसले को एक ऐतिहासिक (Historic) और संवेदनशील कदम माना जा रहा है। कई मामलों में हाईकोर्ट (High Court) को ऐसे मामलों की सुनवाई करनी पड़ती थी, जिससे पीड़िता को मानसिक और शारीरिक कष्ट उठाने पड़ते थे। अब यह प्रक्रिया पहले से अधिक सरल और तेज़ हो जाएगी।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह फैसला पीड़िताओं को तुरंत न्याय दिलाने में एक बड़ा कदम साबित होगा। इस निर्णय से यह भी स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका (Judiciary) पीड़िताओं के हितों की रक्षा करने के लिए तत्पर है और उन्हें किसी भी प्रकार की अनावश्यक कानूनी उलझनों में नहीं फंसने देगी।
यह फैसला देशभर के लिए एक मिसाल बन सकता है और अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार के दिशानिर्देश अपनाए जा सकते हैं। इससे पीड़िताओं को राहत मिलेगी और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) कानून को और अधिक प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकेगा। Medical Termination of Pregnancy
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वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।