जुकरबर्ग की टिप्पणी पर विवाद: मेटा ने मांगी माफी, भारत के चुनावों पर दिए बयान को बताया गलती

जुकरबर्ग की टिप्पणी पर विवाद: मेटा ने मांगी माफी, भारत के चुनावों पर दिए बयान को बताया गलती

मेटा ने सफाई देते हुए मांगी माफी

Meta Apology | 2024 के चुनाव (2024 Elections) को लेकर मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) की टिप्पणी ने भारत में विवाद खड़ा कर दिया। उनकी कथित टिप्पणी के बाद मेटा बैकफुट पर आ गई है। कंपनी ने इसे एक “अनजाने में हुई गलती” बताते हुए माफी मांगी है। मेटा इंडिया के सार्वजनिक नीति निदेशक शिवनाथ ठाकुरल (Shivnath Thakurla) ने एक्स पर बयान करते हुए कहा कि मार्क जुकरबर्ग का यह दावा कि “2024 के चुनावों में कई मौजूदा सरकारें वापस नहीं आईं,” भारत के लिए तथ्यात्मक रूप से गलत था। उन्होंने लिखा, “हम इस गलती के लिए भारतीय संसद (Indian Parliament) और यहां की जनता से माफी मांगते हैं। भारत हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है, और हम इसके भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee on Communications and IT) के अध्यक्ष और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने मेटा की इस गलती पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, “किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए ऐसी गलत जानकारी उसकी छवि को धूमिल करती है। मेटा को इस मामले में माफी मांगनी होगी।” दुबे ने यह भी कहा की उनकी समिति इस मामले में मेटा को बुलाएगी जवाब तलब करेगी। इस विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री अश्विन वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने जुकरबर्ग के बयान को “तथ्यत्मक रूप से गलत” बताया। वैष्णव ने कहा कि जुकरबर्ग का यह दावा कि कोविड-19 महामारी (COVID-19 Pandemic) के बाद भारत सहित अधिकांश देशों की मौजूदा सरकारें 2024 में हार गईं, वास्तविकता से परे है। उन्होंने एक्स (X) पर लिखा, “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत ने 2024 के आम चुनाव सफलता संपन्न किए, जिसमें 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने हिस्सा लिया। जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) को लगातार तीसरी बार सत्ता में लाने का भरोसा जताए।” वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की तीसरी बार ऐतिहासिक जीत भारत की जनता के विश्वास और उनके सुशासन का प्रमाण है। उन्होंने कहा, “भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान 80 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन और 2.2 अरब टीकों की आपूर्ति की। साथ ही, भारत ने दुनियाभर में मदद भेजते हुए सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की। यह जीत जनता के भरोसे और मोदी सरकार के कामकाज की पुष्टि करती है।” वैष्णव ने मेटा और जुकरबर्ग पर निशाना साधते हुए कहा, “दुनिया के सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के संस्थापक से इस तरह की गलत सूचना (Misinformation) निराशाजनक है। मेटा को तथ्यों और विश्वसनीयता को बनाए रखने की दिशा में काम करना चाहिए।”

क्या कहा था जुकरबर्ग ने

मामला तब शुरू हुआ जब जुकरबर्ग ने कथित तौर पर एक पॉडकास्ट (Podcast) में कहा कि 2024 में भारत समेत अधिकांश देशों की मौजूदा सरकारों को चुनावी हार का सामना करना पड़ा। उनके इस बयान के बाद भारतीय राजनीति में हलचल मच गई। इस बयान के बाद भारतीय संसद ने सख्त रुख अपनाया। संसदीय पैनल ने मेटा के खिलाफ समन (Summons) जारी करने की घोषणा की। दुबे ने कहा कि जुकरबर्ग और उनकी कंपनी को संसद में आकर जवाब देना होगा। मेटा ने इस विवाद के बावजूद भारत को “अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण देश” बताते हुए भविष्य में सकारात्मक भूमिका निभाने की बात कही। मेटा ने कहा कि वह भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना चाहता है और भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए उच्च-गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस विवाद से यह स्पष्ट है कि भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना होगा। मेटा की माफी ने विवाद को थोड़ा शांत किया है, लेकिन यह घटना कंपनियों के लिए एक सबक है कि गलत सूचना से बचने के लिए तथ्यात्मक सटीकता और जिम्मेदारी बेहद जरूरी है। Meta Apology


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