श्रीअन्न: पोषण से भरपूर प्राचीन अनाज

श्रीअन्न: पोषण से भरपूर प्राचीन अनाज

Millets Poshak annaj ki kheti | कभी गरीबों का अनाज समझे जाने वाले श्रीअन्न, जिसे हम मिलेट्स के नाम से भी जानते हैं, आज फिर चर्चा में हैं। बाजरा, रागी, ज्वार, सांवां, कोदो और कुटकी जैसे अनाज भारतीय थाली में कभी अहम स्थान रखते थे, पर समय के साथ ये पोषक अनाज गेहूं और चावल के चलन में आने से उपेक्षित हो गए। इनकी अनदेखी के बावजूद, ये अनाज पोषण और खेती की दृष्टि से असीमित संभावनाओं से भरे हुए हैं। श्रीअन्न विषम परिस्थितियों, जैसे कम पानी, रोग और कीट आदि में भी उपजाऊ होते हैं। इनकी खेती में न तो अधिक लागत आती है और न ही अधिक चिंता करनी होती है, साथ ही इनका भंडारण भी सरल है और ये लंबे समय तक सही बने रहते हैं। यही नहीं, लौह और जिंक जैसे पोषक तत्वों से भरपूर ये अनाज हमारे आहार में शामिल होकर स्वास्थ्य की दृष्टि से कई लाभकारी साबित हो सकते हैं।

भारत में श्रीअन्न का पुनरुत्थान

भारत सरकार श्रीअन्न को वापस मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयासरत है। मिड-डे मील जैसी योजनाओं के अंतर्गत स्कूलों में बच्चों के आहार में इन्हें शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। इन सरकारी प्रयासों से लोगों में जागरूकता बढ़ने की उम्मीद है, जो भविष्य में बाजार में श्रीअन्न की मांग को बढ़ावा दे सकती है। इससे किसान भी इनकी खेती के प्रति प्रोत्साहित होंगे और एक अंतर्राष्ट्रीय बाजार का निर्माण भी संभव हो सकेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, बाजरा जैसे अनाज पर विशेष अनुसंधान कर रहा है। एक समय में लोगों को बाजरे के आटे के जल्दी खराब होने और कड़वापन आने की शिकायत रहती थी, जिसे अब वैज्ञानिकों ने हाइड्रो थर्मल विधि से सुधार कर दिया है। Millets Poshak annaj ki kheti

श्रीअन्न के मूल्यवर्धन और प्रसंस्करण की संभावनाएं

श्रीअन्न को लोकप्रिय बनाने के लिए इन्हें नूडल्स, कुरकुरे जैसे प्रचलित उत्पादों के रूप में बाजार में उतारने की जरूरत है। इससे न केवल बाजार का विस्तार होगा, बल्कि किसानों को भी इनकी खेती के लिए अधिक प्रेरणा मिलेगी। पहले जहाँ कुल अनाज उत्पादन में श्रीअन्न की हिस्सेदारी 40% तक थी, वहीं अब यह घटकर 10% से भी कम हो गई है। इसीलिए आज श्रीअन्न के पुनरुत्थान की कोशिशें हो रही हैं। Millets Poshak annaj ki kheti

वैश्विक स्तर पर श्रीअन्न का महत्व

भारत की पहल पर 2023 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अंतर्राष्ट्रीय श्रीअन्न वर्ष घोषित किया। इसके अंतर्गत विभिन्न योजनाओं और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया ताकि लोगों को श्रीअन्न के पोषण मूल्य के बारे में बताया जा सके। दुनियाभर में श्रीअन्न न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में बल्कि पोषण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अध्ययन बताते हैं कि 3 हजार ईसा पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही श्रीअन्न का उपयोग होता आ रहा है। यजुर्वेद में भी इनका उल्लेख मिलता है। Millets Poshak annaj ki kheti

श्रीअन्न का पोषण और स्वास्थ्य लाभ

श्रीअन्न को पोषण का पावरहाउस कहा जाता है। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इन्हें पोषक अनाज की संज्ञा दी है। ज्वार, बाजरा, रागी, चीना, कोदों, सांवां, कुटकी, कुट्टू और चौलाई जैसे अनाजों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, लौह, जिंक और कैल्शियम पाया जाता है। नियमित रूप से इनके सेवन से कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव संभव है, जैसे मधुमेह, हृदय रोग और मोटापा। यह अनाज आहार में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं और शरीर के लिए लाभकारी हैं। Millets Poshak annaj ki kheti

श्रीअन्न की खेती में चुनौतियां और समाधान

हालाँकि भारत में अब भी कई लोग श्रीअन्न की खेती को लेकर चिंतित हैं, परन्तु बढ़ती जागरूकता से इसकी मांग में वृद्धि हो रही है। किसानों को इसके उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सरकारी और सामाजिक स्तर पर प्रयास जारी हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 के अंतर्गत पात्र परिवारों को रियायती दर पर श्रीअन्न वितरित करने की व्यवस्था की गई है। हालाँकि, राशन की दुकानों के माध्यम से इसका वितरण अभी तक सीमित ही है। Millets Poshak annaj ki kheti

श्रीअन्न का महत्व समय के साथ और अधिक प्रासंगिक होता जा रहा है। बदलती जलवायु और घटते जल स्रोतों के बीच यह अनाज न केवल पोषण बल्कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अब समय आ गया है कि इन्हें हमारे दैनिक जीवन में पुनः शामिल किया जाए और इनकी उपयोगिता को अधिकतम किया जाए।

आज जब भारत और अन्य देश श्रीअन्न के महत्व को समझ रहे हैं, तब यह जरूरी है कि जागरूकता के साथ-साथ इनके प्रसंस्करण और विपणन पर भी ध्यान दिया जाए। मिलेट्स का पुनरुत्थान न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होगा, बल्कि एक सतत कृषि प्रणाली की ओर भी कदम बढ़ाने का माध्यम बनेगा। वैश्विक स्तर पर मिलेट्स की बढ़ती लोकप्रियता इस बात का संकेत है कि भविष्य में ये अनाज एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं। Millets Poshak annaj ki kheti


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