कभी थे मोहम्मद शाहबुद्दीन, आज हैं तिवारी, औरंगजेब के अत्याचारों से हिंदू धर्म में वापसी

कभी थे मोहम्मद शाहबुद्दीन, आज हैं तिवारी, औरंगजेब के अत्याचारों से हिंदू धर्म में वापसी

Mirjapur News | उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के पटीहटा गांव के निवासी जोसफ तिवारी, जिन्हें पहले मोहम्मद शाहबुद्दीन के नाम से जाना जाता था, आज सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। उनकी कहानी न केवल व्यक्तिगत आस्था और ऐतिहासिक जड़ों की खोज की है, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता का एक प्रेरणादायक उदाहरण भी प्रस्तुत करती है। जोसफ तिवारी ने दावा किया है कि उनके पूर्वज तिवारी ब्राह्मण थे, जिन्हें मुगल बादशाह औरंगजेब के अत्याचारों के कारण 1669 में जबरन इस्लाम अपनाना पड़ा। पुराने दस्तावेजों और इतिहास की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने सनातन धर्म में वापसी की और अब वे प्रभु श्रीराम और हनुमान के अनन्य भक्त हैं। उनकी यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था की वापसी की कहानी है, बल्कि समाज में एकता और समरसता का संदेश भी देती है। आइए, उनकी इस अनूठी कहानी को विस्तार से जानते हैं।

औरंगजेब के अत्याचार और धर्म परिवर्तन

जोसफ तिवारी ने बताया कि उनकी आठवीं पीढ़ी के पूर्वज बटुक तिवारी एक ब्राह्मण थे, जो हिंदू धर्म के पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में संलग्न थे। 1669 में मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल के दौरान हिंदुओं, विशेषकर ब्राह्मणों पर अत्याचार चरम पर थे। इतिहास में औरंगजेब की नीतियों, जैसे जजिया कर और मंदिरों के विध्वंस, का उल्लेख मिलता है, जिसने कई हिंदू परिवारों को डर और दबाव में धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया। जोसफ के अनुसार, उनके पूर्वजों ने तलवार के डर से इस्लाम स्वीकार कर लिया, और उनकी वंशावली में नाम बदलकर घूरे, खुदाबक्श, पनारू, बेचू, झिलन-मिलन और उनके पिता हाजी एनुअल हक तक पहुंचे।

हाल ही में, जोसफ को पुराने पारिवारिक दस्तावेजों और स्थानीय बुजुर्गों से अपने हिंदू मूल की जानकारी मिली। इस खोज ने उन्हें अपनी जड़ों की ओर लौटने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “हम सऊदी से नहीं आए, हम यहीं के हैं। हमारे पूर्वज हिंदू थे, और औरंगजेब के अत्याचारों ने हमें मुस्लिम बना दिया। अब हमें सच्चाई पता चली, तो हमने सनातन धर्म में घर वापसी की।”

राम भक्ति और हनुमान चालीसा के प्रति श्रद्धा

जोसफ तिवारी आज प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हैं। वे नियमित रूप से हनुमान चालीसा और रामचरितमानस का पाठ करते हैं। उनकी आस्था का आधार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि राम के आदर्शों और रामराज्य की अवधारणा है। उन्होंने कहा, “रामराज्य में सभी सुखी थे। राम की भक्ति और उनके आदर्श पूरे भारत में स्थापित होने चाहिए।” जोसफ का मानना है कि रामराज्य का मतलब है एक ऐसा समाज जहां सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहें, और कोई भेदभाव न हो।

उनके इस दृष्टिकोण में भक्ति आंदोलन के संतों, जैसे कबीर और गुरु नानक, की शिक्षाओं की झलक मिलती है, जिन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता और निराकार ईश्वर की भक्ति पर जोर दिया था। जोसफ की राम भक्ति न केवल व्यक्तिगत आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक समरसता का भी संदेश देती है।

औरंगजेब के अत्याचार

जोसफ तिवारी ने औरंगजेब के अत्याचारों का जिक्र किया, जो इतिहास की किताबों में भी दर्ज है। औरंगजेब (1658-1707) के शासनकाल में कई हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया, और जजिया कर जैसे उपायों ने हिंदुओं पर दबाव डाला। हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि औरंगजेब की नीतियां पूरी तरह से धार्मिक कट्टरता से प्रेरित नहीं थीं, बल्कि राजनीतिक और आर्थिक कारणों से भी प्रभावित थीं। फिर भी, उस दौर में कई हिंदू परिवारों ने डर या दबाव में धर्म परिवर्तन किया, जैसा कि जोसफ के पूर्वजों के साथ हुआ।

जोसफ का यह दावा कि उनके पूर्वज ब्राह्मण थे, उस समय की सामाजिक संरचना को भी दर्शाता है, जहां ब्राह्मण पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण थे। औरंगजेब के शासन में ब्राह्मणों पर विशेष दबाव डाला गया, क्योंकि वे हिंदू धर्म के प्रतीक थे। जोसफ की कहानी इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को जीवंत करती है और धर्म परिवर्तन के दुखद पहलुओं को उजागर करती है।

रामराज्य और मोदी सरकार के प्रति आस्था

जोसफ तिवारी का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत असली मायने में आजाद हुआ है। उन्होंने कहा, “मोदी जी के आने के बाद देश में रामराज्य की ओर कदम बढ़े हैं।” वे मोदी सरकार की नीतियों, जैसे अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, को देश में एकता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक मानते हैं।

उनका यह दृष्टिकोण उन लोगों के बीच लोकप्रिय भावनाओं को दर्शाता है, जो राम मंदिर आंदोलन को भारत की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा मानते हैं। जोसफ का कहना है, “रामराज्य का मतलब है सबका साथ, सबका विकास। इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी शामिल हैं।” यह बयान गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के हिंदू-मुस्लिम एकता के दृष्टिकोण से मेल खाता है, जिन्होंने एक समन्वयवादी भारत का सपना देखा था।

सामाजिक प्रभाव और चुनौतियां

जोसफ तिवारी की कहानी ने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी है। कुछ लोग उनकी हिंदू धर्म में वापसी को “घर वापसी” के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल मानते हैं। हालांकि, कुछ लोग इस दावे को लेकर संशय भी जता रहे हैं, क्योंकि धर्म परिवर्तन और ऐतिहासिक दस्तावेजों का सत्यापन एक जटिल प्रक्रिया है।

जोसफ ने कहा कि उनकी कहानी का मकसद किसी धर्म का अपमान करना नहीं, बल्कि सच्चाई को सामने लाना और समाज में एकता को बढ़ावा देना है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके परिवार को स्थानीय समुदाय का समर्थन मिल रहा है, लेकिन कुछ लोग धर्म के नाम पर भेदभाव करने की कोशिश करते हैं। उनकी पत्नी और परिवार की अन्य महिलाओं का राखी भेजने का कदम भी इस एकता को मजबूत करने का प्रयास है। Mirjapur News

भक्ति आंदोलन से प्रेरणा

जोसफ तिवारी की कहानी में भक्ति आंदोलन की गूंज सुनाई देती है, जिसने मध्यकाल में हिंदू और मुस्लिम समुदायों को जोड़ा। भक्ति संतों, जैसे कबीर, नानक, और सूफी संतों, जैसे निजामुद्दीन चिश्ती, ने प्रेम और एकेश्वरवाद के माध्यम से लोगों को एकजुट किया। जोसफ का यह विश्वास कि “सब एक ही हैं” भक्ति और सूफी दर्शन की याद दिलाता है, जो भारत की समन्वयवादी संस्कृति का आधार रहा है।

उनकी हनुमान चालीसा और रामचरितमानस के प्रति श्रद्धा तुलसीदास के भक्ति साहित्य की लोकप्रियता को भी दर्शाती है, जो आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। जोसफ की कहानी इस बात का प्रमाण है कि भक्ति की शक्ति धर्म की सीमाओं को पार कर सकती है। Mirjapur News

मोहम्मद शाहबुद्दीन से जोसफ तिवारी बनने की यात्रा केवल धर्मपरिवर्तन की कहानी नहीं है। यह एक ऐसी कहानी है जो इतिहास, आस्था, और सामाजिक एकता को जोड़ती है। जोसफ का दावा कि उनके पूर्वज औरंगजेब के अत्याचारों के कारण मुस्लिम बने, भारत के उस जटिल इतिहास को दर्शाता है, जहां धर्म, सत्ता, और समाज आपस में गूंथे हुए थे। उनकी राम भक्ति और हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश आज के समय में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जब धार्मिक ध्रुवीकरण की चुनौतियां सामने हैं। Mirjapur News

जोसफ तिवारी की कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची आस्था और मानवता की भावना किसी भी धर्म की दीवार को तोड़ सकती है। उनका यह प्रयास कि “रामराज्य पूरे भारत में स्थापित हो” न केवल उनकी व्यक्तिगतआकांक्षा है, बल्कि एक ऐसे भारत का सपना है, जहां सभी लोग मिल-जुलकर रहें। मिर्जापुर के इस राम भक्त की कहानीनिश्चित रूप से समाज के लिए एक प्रेरणा है। Mirjapur News


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