मिन्त्रा पर 1654 करोड़ का FEMA उल्लंघन: ED की जांच में खुलासा, थोक व्यापार की आड़ में मल्टी-ब्रांड रिटेल कारोबार

मिन्त्रा पर 1654 करोड़ का FEMA उल्लंघन: ED की जांच में खुलासा, थोक व्यापार की आड़ में मल्टी-ब्रांड रिटेल कारोबार

Myntra FDI Violation Case | प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने फ्लिपकार्ट के स्वामित्व वाली फैशन ई-कॉमर्स कंपनी मिन्त्रा डिजाइंस प्राइवेट लिमिटेड (Myntra Designs Pvt. Ltd.), उसकी सहयोगी कंपनियों और निदेशकों के खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 की धारा 16(3) के तहत ₹1654.35 करोड़ के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) उल्लंघन का मामला दर्ज किया है। ED की जांच में पाया गया कि मिन्त्रा ने ‘थोक कैश एंड कैरी’ (Wholesale Cash & Carry) के नाम पर मल्टी-ब्रांड रिटेल व्यापार (MBRT) किया, जो भारत की FDI नीति का स्पष्ट उल्लंघन है। इस मामले में मिन्त्रा ने अपनी सहयोगी कंपनी वेक्टर ई-कॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड (Vector E-Commerce Pvt. Ltd.) के जरिए B2C (बिजनेस-टू-कस्टमर) लेनदेन को B2B (बिजनेस-टू-बिजनेस) के रूप में दिखाकर FDI नियमों को दरकिनार करने की कोशिश की। यह मामला भारत में ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए FDI नियमों के पालन को लेकर एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं। Myntra FDI Violation Case

23 जुलाई 2025 को, ED के बेंगलुरु जोनल ऑफिस ने मिन्त्रा और उसकी सहयोगी कंपनियों के खिलाफ FEMA के तहत शिकायत दर्ज की। यह कार्रवाई विश्वसनीय जानकारी के आधार पर शुरू की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मिन्त्रा ने थोक व्यापार के नाम पर ₹1654.35 करोड़ का विदेशी निवेश प्राप्त किया, लेकिन वास्तव में वह मल्टी-ब्रांड रिटेल कारोबार में शामिल थी। भारत की FDI नीति के अनुसार, मल्टी-ब्रांड रिटेल में विदेशी निवेश पर सख्त प्रतिबंध हैं, जबकि थोक व्यापार में 100% FDI की अनुमति है, बशर्ते कुछ शर्तें पूरी की जाएं। Myntra FDI Violation Case

ED की जांच में पाया गया कि मिन्त्रा ने अपनी ग्रुप कंपनी वेक्टर ई-कॉमर्स को 100% उत्पाद बेचे, जो बाद में इन्हें सीधे ग्राहकों को रिटेल में बेचती थी। यह व्यवस्था FDI नीति के उस नियम का उल्लंघन करती है, जो थोक व्यापार करने वाली कंपनियों को अपनी ग्रुप कंपनी को अधिकतम 25% बिक्री की अनुमति देता है।


ED की जांच में क्या खुलासा हुआ?

ED की जांच में निम्नलिखित प्रमुख तथ्य सामने आए:

  1. थोक व्यापार की आड़ में रिटेल कारोबार:
    • मिन्त्रा ने दावा किया कि वह ‘थोक कैश एंड कैरी’ व्यवसाय में है, जिसके तहत उसने ₹1654.35 करोड़ का विदेशी निवेश प्राप्त किया।
    • जांच में पाया गया कि मिन्त्रा ने अपने अधिकांश उत्पाद वेक्टर ई-कॉमर्स को बेचे, जो मिन्त्रा की ही ग्रुप कंपनी है। वेक्टर ने इन उत्पादों को सीधे ग्राहकों को रिटेल में बेचा, जो मल्टी-ब्रांड रिटेल कारोबार की श्रेणी में आता है।
  2. FDI नीति का उल्लंघन:
    • 1 अप्रैल 2010 और 1 अक्टूबर 2010 के FDI नीति संशोधनों के अनुसार, थोक व्यापार करने वाली कंपनी अपनी ग्रुप कंपनी को केवल 25% तक बिक्री कर सकती है। मिन्त्रा ने इस नियम का उल्लंघन करते हुए 100% बिक्री वेक्टर को की।
    • यह व्यवस्था जानबूझकर बनाई गई थी ताकि B2C लेनदेन को B2B के रूप में दिखाया जाए, जिससे FDI नियमों को दरकिनार किया जा सके।
  3. वेक्टर ई-कॉमर्स की भूमिका:
    • ED ने पाया कि वेक्टर ई-कॉमर्स को विशेष रूप से इस उद्देश्य से बनाया गया था ताकि मिन्त्रा के रिटेल कारोबार को थोक व्यापार के रूप में छिपाया जा सके। वेक्टर ने मिन्त्रा से उत्पाद खरीदकर उन्हें सीधे उपभोक्ताओं को बेचा, जो FDI नीति के तहत प्रतिबंधित है।
  4. FEMA का उल्लंघन:
    • मिन्त्रा और उसकी सहयोगी कंपनियों ने FEMA, 1999 की धारा 6(3)(b) और 2010 की समेकित FDI नीति का उल्लंघन किया। यह उल्लंघन ₹1654.35 करोड़ की राशि से संबंधित है।

मिन्त्रा की प्रतिक्रिया

मिन्त्रा ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “हम भारत के सभी लागू कानूनों का पालन करने और उच्चतम स्तर की अनुपालन और अखंडता के साथ काम करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। एक स्वदेशी मार्केटप्लेस के रूप में, हम डिजिटल कॉमर्स के माध्यम से कपड़ा और परिधान पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाकर भारत के राष्ट्र-निर्माण प्रयासों में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने अभी तक संबंधित शिकायत और सहायक दस्तावेजों की प्रति प्राप्त नहीं की है, लेकिन हम किसी भी समय अधिकारियों के साथ पूर्ण सहयोग करने के लिए तैयार हैं।”

मिन्त्रा ने अपने बयान में यह भी उल्लेख किया कि वह भारतीय ब्रांडों, विक्रेताओं, कारीगरों और बुनकरों के साथ मिलकर काम करती है ताकि पारंपरिक शिल्पकला को वैश्विक मंच पर लाया जाए, विशेष रूप से भारतीय डायस्पोरा के बीच। कंपनी ने दावा किया कि उसने डिजिटल कॉमर्स के माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार और उद्यमिता के अवसर पैदा किए हैं।


FDI नियम और ई-कॉमर्स कंपनियों पर प्रभाव

भारत में FDI नीति ई-कॉमर्स क्षेत्र में सख्त नियम लागू करती है:

  • मार्केटप्लेस मॉडल: इस मॉडल में 100% FDI की अनुमति है, लेकिन कंपनी केवल एक मंच के रूप में कार्य कर सकती है और इन्वेंट्री नहीं रख सकती।
  • इन्वेंट्री मॉडल: इस मॉडल में FDI प्रतिबंधित है, और मल्टी-ब्रांड रिटेल व्यापार में विदेशी निवेश के लिए सख्त शर्तें हैं।
  • थोक कैश एंड कैरी: इस मॉडल में 100% FDI की अनुमति है, लेकिन कंपनी केवल B2B लेनदेन कर सकती है और अपनी ग्रुप कंपनी को 25% से अधिक बिक्री नहीं कर सकती।

ED का आरोप है कि मिन्त्रा ने थोक व्यापार के मॉडल का दुरुपयोग किया और वास्तव में मल्टी-ब्रांड रिटेल कारोबार किया, जो FDI नीति के तहत प्रतिबंधित है। यह मामला उन कई ई-कॉमर्स कंपनियों पर बढ़ते नियामक दबाव का हिस्सा है, जो कथित तौर पर जटिल कॉर्पोरेट संरचनाओं के जरिए FDI नियमों को दरकिनार करती हैं। पिछले साल, ED ने अमेजन और फ्लिपकार्ट के कुछ विक्रेताओं के खिलाफ भी इसी तरह की जांच की थी।


कानूनी प्रक्रिया और संभावित परिणाम

ED ने यह शिकायत FEMA की धारा 16(3) के तहत Adjudicating Authority के समक्ष दायर की है। इस प्राधिकरण के पास मामले की सुनवाई और उल्लंघन की पुष्टि करने का अधिकार है। यदि मिन्त्रा और उसकी सहयोगी कंपनियां दोषी पाई जाती हैं, तो संभावित परिणामों में शामिल हो सकते हैं:

  • भारी जुर्माना: FEMA उल्लंघन के लिए राशि का तीन गुना तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • भविष्य में FDI पर प्रतिबंध: मिन्त्रा और उसकी सहयोगी कंपनियों पर भविष्य में विदेशी निवेश प्राप्त करने पर प्रतिबंध लग सकता है।
  • कॉर्पोरेट संरचना में बदलाव: कंपनी को अपने व्यवसाय मॉडल को FDI नीति के अनुरूप बदलना पड़ सकता है।

इसके अलावा, यह मामला भारत में ई-कॉमर्स उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है, क्योंकि सरकार और नियामक विदेशी निवेश नियमों के पालन को लेकर सख्ती बरत रहे हैं। ऑल इंडिया ट्रेडर्स कॉन्फेडरेशन (CAIT) जैसे संगठनों ने लंबे समय से विदेशी फंडिंग वाली ई-कॉमर्स कंपनियों पर गहरी छूट, शिकारी मूल्य निर्धारण और अप्रत्यक्ष इन्वेंट्री नियंत्रण के जरिए FDI नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है।


मिन्त्रा और फ्लिपकार्ट का बैकग्राउंड

मिन्त्रा, जिसकी स्थापना 2007 में हुई थी, अब वॉलमार्ट के स्वामित्व वाले फ्लिपकार्ट समूह का हिस्सा है। यह भारत का एक प्रमुख फैशन और लाइफस्टाइल ई-कॉमर्स मंच है, जिसके पास 70 मिलियन से अधिक मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं और यह लगभग 9700 ब्रांडों के 3.9 मिलियन उत्पादों की पेशकश करता है। मिन्त्रा ने भारतीय फैशन उद्योग में डिजिटल कॉमर्स को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन FDI नियमों के उल्लंघन के आरोपों ने इसके कारोबारी मॉडल पर सवाल उठाए हैं।

फ्लिपकार्ट, जो मिन्त्रा की मूल कंपनी है, भी पहले FDI नियमों के उल्लंघन के आरोपों का सामना कर चुकी है। 2024 में, ED ने फ्लिपकार्ट और अमेजन के कुछ विक्रेताओं के खिलाफ जांच की थी, जिसमें समान आरोप लगाए गए थे। मिन्त्रा का यह मामला उन बढ़ते नियामक दबावों का हिस्सा है, जो विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगाए जा रहे हैं।


प्रमुख बिंदु और समयरेखा

  • जुलाई 2025: ED के बेंगलुरु जोनल ऑफिस ने मिन्त्रा के खिलाफ FEMA की धारा 16(3) के तहत शिकायत दर्ज की।
  • आरोप: मिन्त्रा ने ₹1654.35 करोड़ के FDI का उपयोग थोक व्यापार के बजाय मल्टी-ब्रांड रिटेल में किया, जो FDI नीति और FEMA का उल्लंघन है।
  • वेक्टर की भूमिका: वेक्टर ई-कॉमर्स को मिन्त्रा की ग्रुप कंपनी के रूप में इस्तेमाल किया गया ताकि B2C लेनदेन को B2B के रूप में दिखाया जा सके।
  • FDI नीति उल्लंघन: 2010 की FDI नीति के तहत, थोक व्यापार करने वाली कंपनी अपनी ग्रुप कंपनी को केवल 25% बिक्री कर सकती है, लेकिन मिन्त्रा ने 100% बिक्री वेक्टर को की।
  • आगे की प्रक्रिया: मामला अब Adjudicating Authority के समक्ष है, जो उल्लंघन की पुष्टि और दंड तय करेगा। Myntra FDI Violation Case

मिन्त्रा पर ED की कार्रवाई भारत में ई-कॉमर्सकंपनियों के लिए FDI नियमों के पालन को लेकर एकमहत्वपूर्ण चेतावनी है। जांच में पाया गया कि मिन्त्रा ने थोक व्यापार की आड़ में मल्टी-ब्रांड रिटेल कारोबार किया और वेक्टर ई-कॉमर्सके जरिए FDI नियमों को दरकिनार करने की कोशिश की। यदि मिन्त्रादोषी पाई जाती है, तो उस पर भारी जुर्माना और भविष्य में FDI पर प्रतिबंध जैसेपरिणाम हो सकते हैं। यह मामला भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र में नियामक सख्ती और पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। Myntra FDI Violation Case


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