नाग पंचमी व्रत कथा : इस कथा को पढ़ने से मिलेगा नाग देवता का आशीर्वाद, सर्प भय से मुक्ति
Nag Panchami Vrat Katha | नाग पंचमी का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, खासकर शिव भक्तों के लिए यह दिन अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। यह पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्तगण नाग देवता की मूर्तियों, चित्रों या शिवलिंग की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। यह अवसर नागों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक है, साथ ही यह आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी अहम है। मान्यता है कि नाग पंचमी पर विधि-विधान से पूजा करने और व्रत कथा पढ़ने से काल सर्प दोष का निवारण होता है, सर्प दंश का भय समाप्त होता है, और भगवान शिव तथा नाग देवता की कृपा प्राप्त होती है। सावन मास में पड़ने के कारण यह पर्व और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। आइए, इस लेख में नाग पंचमी की व्रत कथा को विस्तार से जानते हैं और समझते हैं कि इस दिन की पूजा और कथा का क्या महत्व है। Nag Panchami Vrat Katha
नाग पंचमी का महत्व
नाग पंचमी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण और प्रकृति के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी को दर्शाता है। हिंदू धर्म में नागों को देवता के रूप में पूजा जाता है, क्योंकि वे प्रकृति के संरक्षक माने जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नाग भगवान शिव के गले का हार हैं और उनके प्रिय हैं। इसलिए, इस दिन नाग देवता की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और संतान सुख का आशीर्वाद देते हैं।
हमारे पंडित जी, श्री अरविंद त्रिपाठी, बताते हैं कि नाग पंचमी का व्रत और पूजा करने से न केवल काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन के सभी कष्टों और भय से भी छुटकारा मिलता है। इस दिन नाग देवता को कच्चा दूध, हल्दी, घी और पुष्प अर्पित किए जाते हैं, और उनकी कथा पढ़ने से मन को शांति मिलती है। यह पर्व परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए भी विशेष माना जाता है।
नाग पंचमी व्रत कथा
प्राचीन काल में एक समृद्ध नगर में एक राजा रहता था, जिसके सात पुत्र थे। सभी पुत्रों का विवाह हो चुका था और छह पुत्रों को संतान सुख प्राप्त था, लेकिन सबसे छोटे पुत्र की कोई संतान नहीं थी। इस कारण राजा की छोटी पुत्रवधू बहुत दुखी रहती थी। अन्य बहुएं उसे बांझ और निःसंतान कहकर ताने मारती थीं, जिससे उसका मन और अधिक व्यथित हो जाता था। वह अक्सर अपनी सास-ससुर और पति से अपने दुख को व्यक्त करती, लेकिन उसे कोई सांत्वना नहीं मिलती थी।
एक दिन, जब वह अपने दुख से त्रस्त होकर अपने पति से बात कर रही थी, तो उसने कहा, “मुझे संतान न होने के कारण सभी ताने मारते हैं। मेरा मन बहुत दुखी है। क्या कोई उपाय है जिससे मुझे संतान सुख प्राप्त हो?” राजा के छोटे पुत्र ने अपनी पत्नी को समझाया, “दुनिया की बातों पर ध्यान मत दो। तुम अपने कर्तव्यों का पालन करो और भगवान पर भरोसा रखो। सब कुछ ठीक हो जाएगा।” यह सुनकर छोटी बहू को थोड़ी राहत मिली, लेकिन वह मन ही मन संतान सुख की कामना करती रही।
समय बीतता गया और सावन का पवित्र महीना आया। सावन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की रात को छोटी पुत्रवधू को स्वप्न में पांच नाग देवता दिखाई दिए। नाग देवताओं ने उससे कहा, “हे पुत्री, कल नाग पंचमी का पवित्र दिन है। यदि तुम इस दिन पूरे विधि-विधान से हमारी पूजा करोगी और कच्चा दूध, हल्दी, घी और पुष्प अर्पित करोगी, तो तुम्हें संतान सुख की प्राप्ति होगी।” यह स्वप्न देखकर छोटी. पुत्रवधू बहुत प्रसन्न हुई और उसने अपने पति को इस स्वप्न के बारे में बताया।
पति ने अपनी पत्नी से कहा, “यदि तुम्हें नाग देवता ने स्वप्न में दर्शन दिए हैं, तो यह बहुत शुभ संकेत है। तुम नाग पंचमी के दिन उनकी मूर्ति या चित्र बनाकर विधि-विधान से पूजा करो। नाग देवता को ठंडा भोजन प्रिय है, इसलिए उन्हें कच्चा दूध, हल्दी और पुष्प अर्पित करना।” छोटी पुत्रवधू ने अपने पति की बात मानी और अगले दिन, नाग पंचमी के अवसर पर, उसने पूरे श्रद्धा-भक्ति के साथ नाग देवता की पूजा की। उसने मिट्टी से नाग की आकृति बनाई, उसे पवित्र स्थान पर स्थापित किया और कच्चा दूध, घी, हल्दी और फूल अर्पित किए। पूजा के बाद उसने नाग पंचमी की कथा सुनी और मन ही मन संतान सुख की कामना की।
नाग देवता छोटी पुत्रवधू की भक्ति और श्रद्धा से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया कि उसकी मनोकामना शीघ्र पूरी होगी। नौ महीने बाद, छोटी पुत्रवधू को एक सुंदर और स्वस्थ पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इस घटना के बाद से राजा के परिवार में खुशी का माहौल छा गया, और छोटी पुत्रवधू को ताने मारने वाली जेठानियों का मुंह बंद हो गया। उस नगर में यह कथा बहुत प्रसिद्ध हो गई, और तब से लोग नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा और व्रत कथा पढ़ने लगे। यह कथा आज भी भक्तों के बीच प्रचलित है और इसे पढ़ने से नाग देवता की कृपा प्राप्त होती है।
नाग पंचमी पूजा विधि
नाग पंचमी की पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
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स्नान और शुद्धिकरण: प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पूजा स्थल की तैयारी: एक पवित्र स्थान पर नाग देवता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। मिट्टी से नाग की आकृति बनाना भी शुभ माना जाता है।
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पूजा सामग्री: कच्चा दूध, हल्दी, घी, पुष्प, धूप, दीप, और प्रसाद तैयार करें।
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पूजा: नाग देवता को कच्चा दूध, हल्दी, घी और पुष्प अर्पित करें। दीप जलाएं और धूप दिखाएं।
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मंत्र जाप: “ॐ नागदेवताय नमः” मंत्र का जाप करें। इसके साथ ही भगवान शिव के मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप भी करें।
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व्रत कथा: पूजा के बाद नाग पंचमी की व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
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प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद परिवार और पड़ोसियों में बांटें।
पूजा सामग्री लिस्ट
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कच्चा दूध
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हल्दी
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घी
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पुष्प (फूल)
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धूप
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दीप (अलसी के तेल का दीया)
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प्रसाद (लड्डू या मिठाई)
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नाग देवता का चित्र या मूर्ति
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पवित्र जल (गंगाजल)
नाग पंचमी के दिन क्या करें?
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दीया जलाएं: नाग पंचमी के दिन अलसी के तेल का दीया जलाना शुभ माना जाता है। इससे नाग देवता प्रसन्न होते हैं।
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नागों को अर्पित करें: कच्चा दूध, हल्दी, घी और पुष्प नाग देवता को अर्पित करें।
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व्रत रखें: संभव हो तो व्रत रखें और दिनभर भगवान शिव और नाग देवता का स्मरण करें।
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दान करें: गरीबों को दान देना और भोजन वितरित करना इस दिन शुभ माना जाता है।
नाग पंचमी के लाभ
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काल सर्प दोष से मुक्ति।
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सर्प दंश के भय से मुक्ति।
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भगवान शिव और नाग देवता की कृपा प्राप्ति।
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संतान सुख और परिवार की सुख-शांति।
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जीवन में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ।
नाग पंचमी का पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि आध्यात्मिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन नागदेवता की पूजा और व्रत कथा पढ़ने से भक्तों को सर्प भय से मुक्तिमिलती है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है। यदि आप इस पर्व को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं, तो निश्चित रूप से नाग देवता और भगवानशिव की कृपा आप पर बरसेगी। इस लेख को अपने मित्रों और परिवार के साथसाझा करें ताकि वे भी इस पवित्रपर्व का महत्व और कथा को समझ सकें।
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।