उज्जैन समेत 7 शहरों में ऑक्सीजन पार्क का निर्माण: नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत प्रदूषण कम करने की नई पहल
National Clean Air Programme | मध्य प्रदेश सरकार, नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) के तहत, प्रदूषण से जूझ रहे शहरों को स्वच्छ और हरित बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम उठा रही है। इसके तहत उज्जैन, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, और सतना में ऑक्सीजन पार्क विकसित किए जाएंगे। इन पार्कों में 50,000 से 70,000 पेड़-पौधे लगाए जाएंगे जो न केवल वायु प्रदूषण को कम करेंगे बल्कि शहरवासियों को शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करेंगे। इसके साथ ही उज्जैन में टाइगर और जू सफारी के साथ इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने की योजना भी शुरू हो रही है, जो पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल देगी। यह पहल गुजरात और राजस्थान के सफल ऑक्सीजन पार्क मॉडल से प्रेरित है, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डाल चुके हैं। National Clean Air Programme
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) और मध्य प्रदेश की योजना
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP), जो 2019 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा शुरू किया गया था, का लक्ष्य 131 गैर-प्राप्ति शहरों (non-attainment cities) में PM10 और PM2.5 प्रदूषण को 2026 तक 40% कम करना है। मध्य प्रदेश के सात शहर—उज्जैन, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, और सतना—इस सूची में शामिल हैं, जहां वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय मानकों (NAAQS) को लगातार पांच साल तक पूरा नहीं कर पाई है। इन शहरों में बढ़ते प्रदूषण, विशेष रूप से PM2.5 (2.5 माइक्रोमीटर से छोटे कण) और PM10 (10 माइक्रोमीटर से छोटे कण) के स्तर, स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन रहे हैं।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, मध्य प्रदेश सरकार ने NCAP के तहत ऑक्सीजन पार्क विकसित करने की योजना बनाई है। ये पार्क न केवल वायु प्रदूषण को कम करेगे बल्कि शहरी क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाकर तापमान नियंत्रण और ऑक्सीजन स्तर में सुधार करेंगे। National Clean Air Programme
ऑक्सीजन पार्क: हरित फेफड़ों की नई पहल
क्या हैं ऑक्सीजन पार्क?
ऑक्सीजन पार्क घने वृक्षारोपण वाले क्षेत्र होंगे, जहां एक स्थान पर 50,000 से 70,000 पेड़पौधे लगाए जाएंगे। बड़े पार्कों में यह संख्या दोगुनी तक हो सकती है। ये पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर ऑक्सीजन उत्सर्जन बढ़ाएंगे और PM2.5, PM10, सल्फर डाइऑक्साइड, और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषको को कम करेंगे।
चुने गए सात शहर
मध्य प्रदेश के निम्नलिखित सात शहरों में ऑक्सीजन पार्क विकसित किए जाएंगे:
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उज्जैन: हाल के आंकड़ों के अनुसार, उज्जैन का AQI स्तर 90-120 (मध्यम से खराब) के बीच रहा है, और PM2.5 में 47% की वृद्धि दर्ज की गई है। ऑक्सीजन पार्क इस स्थिति को सुधारने में मदद करेगा।
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भोपाल: राज्य की राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के कारण ऑक्सीजन पार्क की सख्त जरूरत है।
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इंदौर: स्वच्छता में अग्रणी इंदौर का AQI बेहतर है, लेकिन इसे बनाए रखने के लिए पार्क महत्वपूर्ण होंगे।
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जबलपुर, ग्वालियर, सागर, सतना: ये शहर भी प्रदूषण की चुनौती का सामना कर रहे हैं और ऑक्सीजन पार्क से लाभान्वित होंगे। National Clean Air Programme
गुजरात मॉडल से प्रेरणा
गुजरात के अहमदाबाद में सिंधु भवन रोड पर बना ऑक्सीजन पार्क इस पहल का प्रेरणा स्रोत है। इस पार्क ने न केवल वायु गुणवत्ता सुधारी, बल्कि स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डाला। एक अध्ययन के अनुसार, पार्क के आसपास के क्षेत्रों में श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों में कमी देखी गई। राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी इसी मॉडल पर पार्क बनाए गए हैं, और अब मध्य प्रदेश इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
मौजूदा पार्कों का रूपांतरण
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के उप संचालक बीडी भूमरकर के अनुसार, मौजूदा पार्कों को भी ऑक्सीजन पार्क थीम में बदला जाएगा। इससे समय और लागत की बचत होगी। इन पार्कों में नीम, पीपल, बरगद, शीशम, और आंवला जैसे पेड़ों को प्राथमिकता दी जाएगी जो प्रदूषण अवशोषण और ऑक्सीजन उत्पादन में प्रभावी हैं। National Clean Air Programme
उज्जैन में टाइगर और जू सफारी: इको-टूरिज्म का नया आयाम
उज्जैन में नौलखी बीड क्षेत्र में 250 हेक्टेयर में फैले जंगल को टाइगर सफारी, जू सफारी, और इको-टूरिज्म पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना की प्रमुख विशेषताएं:
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पौधरोपण: 1.50 लाख पेड़-पौधे, जैसे शीशम, सागौन, बांस, जामुन और आंवला, पहले ही लगाए जा चुके हैं।
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सफारी जोन: 55 हेक्टेयर में घना जंगल तैयार किया गया है, जहां बाघ, शेर, और भालू जैसे वन्यजीवों को बसाया जाएगा।
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सुविधाएं: 50 फीट ऊंचा वॉच टॉवर, इंटरप्रिटेशन सेंटर, बच्चों के लिए झूले, हट्स और मैरी-गो-राउंड।
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उद्देश्य: यह परियोजना उज्जैन को एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाएगी, जैव विविधता को बढ़ाएगी, और स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करेगी।
वन विभाग के डीएफओ पीडी ग्राब्रियल के अनुसार, 2007 में शुरू हुई इस परियोजना को अब तेजी से पूरा किया जा रहा है। 212 हेक्टेयर जमीन को सफारी और इको-टूरिज्म गतिविधियों के लिए चिह्नित किया गया है और प्रस्ताव भोपाल भेजा गया है। यह प्रोजेक्ट NCAP के लक्ष्यों के साथ संरेखित है, क्योंकि घने जंगल वायु प्रदूषण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। National Clean Air Programme
मध्य प्रदेश में प्रदूषण की स्थिति
मध्य प्रदेश के सात शहरों में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है:
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उज्जैन: 2023 में PM2.5 में 47% की वृद्धि के साथ उज्जैन देश के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक रहा। AQI स्तर अक्सर 90-135 (मध्यम से खराब) के बीच रहता है।
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ग्वालियर: सात शहरों में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाला शहर जहां स्थिति दिल्ली जैसी हो सकती है यदि सुधार नहीं हुआ।
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इंदौर: अपेक्षाकृत बेहतर AQI, लेकिन दीर्घकालिक सुधार के लिए ऑक्सीजन पार्क आवश्यक हैं।
NCAP के तहत 2019 से 2023 तक मध्य प्रदेश के इन शहरों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए रू 9649.99 करोड़ में से 60% राशि उपयोग की गई है, लेकिन केवल इंदौर ने उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है।
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव
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स्वास्थ्य लाभ: ऑक्सीजन पार्क PM2.5 और PM10 जैसे हानिकारक कणों को कम करेंगे, जो श्वसन और हृदय रोगों का कारण बनते हैं। भारत में 2015 में वायु प्रदूषण से 1.09 मिलियन समयपूर्व मौतें हुई थीं, और ऑक्सीजन पार्क ऐसी घटनाओं को कम करने में मदद करेंगे।
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आर्थिक लाभ: स्वच्छ हवा से श्रमिकों की अनुपस्थिति कम होगी, उत्पादकता बढ़ेगी, और स्वास्थ्य खर्च में कमी आएगी। 2019 में स्वच्छ हवा से भारत की GDP में $95 बिलियन की वृद्धि हो सकती थी।
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पर्यावरणीय लाभ: घने पौधरोपण से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषण बढ़ेगा और शहरी तापमान में कमी आएगी।
चुनौतियां और भविष्य की राह
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चुनौतियां:
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उज्जैन और ग्वालियर जैसे शहरों में प्रदूषण स्रोतों (जैसे सड़क धूल, औद्योगिक उत्सर्जन) को नियंत्रित करने की जरूरत है।
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NCAP के तहत फंड उपयोग में पारदर्शिता और प्रभावी कार्यान्वयन की कमी।
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शहरीकरण और बुनियादी ढांचा विकास के कारण हरियाली में कमी।
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समाधान:
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नियमित उत्सर्जन और प्रदूषण डेटा अपडेट।
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शहरी स्थानीय निकायों को अधिक वित्तीय स्वायत्तता।
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क्षेत्रीय प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए airshed-centric दृष्टिकोण।
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मध्य प्रदेश के सात शहरों में ऑक्सीजन पार्क और उज्जैन में टाइगर सफारी की पहल NCAP के तहत एक महत्वपूर्ण कदम है। ये परियोजनाएं न केवल वायु गुणवत्ता सुधारेंगी, बल्कि पर्यटन, जैव विविधता और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देंगी। गुजरात मॉडल की सफलता को दोहराने के लिए सरकार को त्वरित कार्यान्वयन पारदर्शी फंड उपयोग और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। National Clean Air Programme
सलाह: स्थानीय निवासियों को इन पार्कों के रखरखाव और पौधरोपण में शामिल करें और AQI मॉनिटरिंग ऐप्स का उपयोग कर वायु गुणवत्ता पर नजर रखें। National Clean Air Programme
मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।