National Savings Certificate | जानिए अकाउंट में निवेशक की मृत्यु पर निकासी प्रक्रिया
National Savings Certificate एक लोकप्रिय और सुरक्षित निवेश योजना है जिसे भारत सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है। यह योजना विशेष रूप से उन लोगों के लिए होती है जो सुरक्षित निवेश के साथ-साथ कर में छूट (tax exemption) का भी लाभ उठाना चाहते हैं। हालांकि, किसी भी निवेश योजना की तरह, NSC में भी कुछ विशेष प्रक्रियाएँ होती हैं जिन्हें उस समय पूरा करना आवश्यक होता है जब निवेशक की मृत्यु हो जाती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि NSC में निवेशक की मृत्यु के बाद पैसे की निकासी (withdrawal) कैसे और कितने समय में की जा सकती है।
NSC क्या है और इसकी प्रमुख विशेषताएँ:
National Savings Certificate, जिसे आमतौर पर NSC कहा जाता है, एक निश्चित अवधि की बचत योजना है जिसे डाकघर (Post Office) के माध्यम से खरीदा जा सकता है। इसका उद्देश्य निवेशकों को सुरक्षित रिटर्न (secure returns) के साथ-साथ कर लाभ (tax benefits) प्रदान करना है। NSC में निवेश करने से आप आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कर छूट प्राप्त कर सकते हैं। इसमें आपको 5 वर्ष की निश्चित समयावधि (lock-in period) के बाद ही अपना निवेश वापस मिलता है। यह योजना विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो मध्यम से लंबी अवधि तक निवेश करना चाहते हैं और जो अपने निवेश पर निश्चित रिटर्न चाहते हैं।
निवेशक की मृत्यु पर NSC निकासी प्रक्रिया:
जब किसी NSC खाते के धारक की मृत्यु हो जाती है, तो खाते से पैसे की निकासी के लिए कुछ विशेष प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है। आइए जानते हैं कि इस स्थिति में पैसे की निकासी (withdrawal) कैसे की जा सकती है और इसके लिए किन दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है।
1. नामांकित व्यक्ति (Nominee) का दावा:
यदि NSC खाते में नामांकित व्यक्ति (nominee) का नाम पहले से दर्ज है, तो उस व्यक्ति को निवेशक की मृत्यु के बाद खाते की राशि निकालने का अधिकार होता है। नामांकित व्यक्ति को इस स्थिति में दावा करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होते हैं:
- निवेशक की मृत्यु का प्रमाण पत्र (Death Certificate)।
- अपना पहचान पत्र (Identity Proof)।
- NSC प्रमाणपत्र (NSC Certificate)।
- नामांकन का प्रमाण (Nomination Proof)।
नामांकित व्यक्ति द्वारा इन दस्तावेज़ों को प्रस्तुत करने के बाद, डाकघर उनके सत्यापन (verification) की प्रक्रिया शुरू करता है। यदि सभी दस्तावेज़ सही पाए जाते हैं, तो नामांकित व्यक्ति को NSC की राशि निकालने की अनुमति मिल जाती है।
2. कानूनी उत्तराधिकारी (Legal Heir) का दावा:
यदि NSC खाते में कोई नामांकित व्यक्ति नहीं है, तो निवेशक की मृत्यु के बाद कानूनी उत्तराधिकारी (legal heir) को NSC की राशि निकालने का अधिकार होता है। इस स्थिति में, कानूनी उत्तराधिकारी को निम्नलिखित दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होते हैं:
- निवेशक की मृत्यु का प्रमाण पत्र (Death Certificate)।
- उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (Legal Heir Certificate) या कोर्ट द्वारा जारी उत्तराधिकार पत्र (Succession Certificate)।
- अपना पहचान पत्र (Identity Proof)।
- NSC प्रमाणपत्र (NSC Certificate)।
इन दस्तावेज़ों के आधार पर डाकघर एक निश्चित प्रक्रिया के तहत सत्यापन करता है और यदि सब कुछ सही पाया जाता है, तो कानूनी उत्तराधिकारी को पैसे की निकासी की अनुमति मिल जाती है।
3. समय सीमा (Time Frame):
पैसे की निकासी की प्रक्रिया में लगने वाला समय कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि दस्तावेज़ कितनी जल्दी जमा किए जाते हैं, सत्यापन प्रक्रिया कितनी तेजी से पूरी होती है, और संबंधित डाकघर की कार्यप्रणाली (working procedure) कैसी है। सामान्यतः, सभी दस्तावेज़ सही होने पर और सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पैसे की निकासी कुछ हफ्तों से लेकर 1-2 महीने तक में हो जाती है।
4. प्राथमिक चरण (Initial Steps):
निवेशक की मृत्यु के बाद सबसे पहले जो कदम उठाए जाने चाहिए, उनमें मृत्यु प्रमाण पत्र (death certificate) प्राप्त करना और उसे डाकघर में जमा करना शामिल है। इसके बाद, नामांकित व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारी को दावा फॉर्म भरना होता है, जिसमें NSC खाते की सारी जानकारी और आवश्यक दस्तावेज़ों का उल्लेख करना पड़ता है।
5. सत्यापन प्रक्रिया (Verification Process):
डाकघर द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ों की गहनता से जांच की जाती है। यदि सभी दस्तावेज़ सही पाए जाते हैं, तो डाकघर निकासी प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है। यदि दस्तावेज़ों में कोई कमी या त्रुटि होती है, तो डाकघर से संपर्क करके इसे सही करना होता है। सत्यापन प्रक्रिया की सटीकता और तेज़ी इस बात पर निर्भर करती है कि दस्तावेज़ कितनी जल्दी और सही तरीके से जमा किए गए हैं।
6. अदालत का हस्तक्षेप (Court Intervention):
कुछ मामलों में, जहां कानूनी उत्तराधिकारी को लेकर विवाद होता है या निवेशक ने कोई वसीयत नहीं छोड़ी है, वहाँ अदालत का हस्तक्षेप आवश्यक हो सकता है। ऐसी स्थिति में, कोर्ट द्वारा जारी किए गए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (succession certificate) के आधार पर ही निकासी की अनुमति दी जाती है।
7. बचत योजनाओं में NSC का महत्व (Importance of NSC in Savings Schemes):
NSC एक सुरक्षित निवेश विकल्प है, जो न केवल अच्छा रिटर्न देता है, बल्कि इसमें कर छूट का भी लाभ मिलता है। यह योजना विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो जोखिम (risk) नहीं लेना चाहते और सुनिश्चित (guaranteed) रिटर्न की तलाश में हैं। निवेशक की मृत्यु की स्थिति में, यह योजना सुरक्षित और निर्धारित प्रक्रिया के साथ पैसे की निकासी का विकल्प प्रदान करती है, जिससे परिवार को वित्तीय सुरक्षा (financial security) मिलती है।
8. अतिरिक्त सुरक्षा (Additional Security):
NSC की योजना में नामांकन सुविधा (nomination facility) उपलब्ध होती है, जिससे किसी अनहोनी की स्थिति में आपके नामांकित व्यक्ति को आसानी से राशि प्राप्त हो सके। इसके अलावा, कानूनी उत्तराधिकारी के लिए भी उचित प्रक्रिया तय की गई है, जो उनके अधिकारों की सुरक्षा करती है।
NSC अकाउंट में निवेशक की मृत्यु के बाद पैसे की निकासी के लिए उचित प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। नामांकित व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारी द्वारा समय पर और सही दस्तावेज़ प्रस्तुत करने पर निकासी प्रक्रिया तेजी से पूरी हो सकती है। इस प्रक्रिया में देरी से बचने के लिए यह जरूरी है कि निवेशक पहले से ही अपने खाते में नामांकित व्यक्ति का नाम दर्ज करा ले, जिससे अनावश्यक जटिलताओं से बचा जा सके। इस लेख में वर्णित प्रक्रियाओं का पालन करके आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपकी निवेश राशि आपके प्रियजनों तक समय पर और सुरक्षित रूप से पहुँच सके।
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