नवरात्रि 2025 व्रत कथा: मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए 9 दिन करें इस पवित्र कथा का पाठ

नवरात्रि 2025 व्रत कथा: मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए 9 दिन करें इस पवित्र कथा का पाठ

Navratri Vrat katha | नवरात्रि के पावन नौ दिनों में मां दुर्गा की उपासना का विशेष महत्व है। श्रीमद् देवी भागवत पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति इन नौ दिनों में विधि-विधान से मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां दुर्गा की कृपा और मनोरथ सिद्धि के लिए नवरात्रि व्रत कथा का पाठ करना अत्यंत फलदायी है। आइए जानें इस पवित्र कथा को, जिसका पाठ नवरात्रि में मां की कृपा प्राप्त करने के लिए जरूरी है। Navratri Vrat katha

नवरात्रि व्रत कथा: बृहस्पति और ब्रह्मा संवाद

बृहस्पति जी ने ब्रह्मा जी से पूछा, “हे प्रभु! आप सर्वशास्त्र के ज्ञाता हैं। कृपया बताएं कि चैत्र, आश्विन, माघ और आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष में नवरात्रि व्रत क्यों किया जाता है? इस व्रत का फल, विधि और इसे सबसे पहले किसने किया, यह सब विस्तार से बताएं।” बृहस्पति के प्रश्न पर ब्रह्मा जी बोले, “तुमने प्राणियों के हित के लिए उत्तम प्रश्न किया। यह नवरात्रि व्रत सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला है। इससे संतान, धन, विद्या, सुख और रोगमुक्ति प्राप्त होती है। बंधन में फंसा व्यक्ति मुक्त होता है, और सभी विपत्तियां दूर होकर समृद्धि प्राप्त होती है।”

सुमति की कथा: भगवती दुर्गा की कृपा

ब्रह्मा जी ने बताया, “पीठत नगर में अनाथ नाम का एक ब्राह्मण रहता था, जो भगवती दुर्गा का परम भक्त था। उसकी सुमति नाम की सुंदर और गुणी कन्या थी। सुमति बचपन में सहेलियों के साथ खेलती थी, परंतु अपने पिता के साथ नियमित रूप से मां दुर्गा की पूजा में शामिल होती थी। एक दिन वह खेल में व्यस्त होकर पूजा में नहीं आई। इससे क्रुद्ध होकर पिता ने उसे कुष्ठी और दरिद्र व्यक्ति से विवाह देने की धमकी दी। सुमति ने निर्भयता से कहा, ‘पिता जी, मैं आपकी कन्या हूं। मेरे भाग्य में जो लिखा है, वही होगा।’ क्रोध में आकर पिता ने उसका विवाह एक कुष्ठी से कर दिया और घर से निकाल दिया।”

सुमति अपने पति के साथ वन में चली गई और वहां कष्टमय रात बिताई। उसकी दशा देखकर मां दुर्गा प्रकट हुईं और बोलीं, “हे ब्राह्मणी! मैं तुम पर प्रसन्न हूं। जो चाहो, वर मांगो।” सुमति ने पूछा, “आप कौन हैं?” मां ने उत्तर दिया, “मैं आदि शक्ति, ब्रह्मा, विद्या और सरस्वती हूं। तुम्हारे पूर्व जन्म के पुण्य से मैं प्रसन्न हूं।” मां ने बताया कि सुमति पूर्व जन्म में निषाद की पतिव्रता पत्नी थी। चोरी के आरोप में उसे और उसके पति को जेल में डाला गया, जहां नवरात्रि के नौ दिन भोजन-पानी के बिना व्रत हो गया। उस पुण्य के प्रभाव से मां दुर्गा ने सुमति को वर मांगने को कहा।

सुमति ने अपने पति का कुष्ठ रोग दूर करने का वर मांगा। मां ने कहा, “तुमने नवरात्रि में जो व्रत किया, उसका एक दिन का पुण्य अर्पित करो।” सुमति ने ऐसा किया, और मां की कृपा से उसका पति कुष्ठमुक्त होकर सुंदर और कान्तिमान हो गया। सुमति ने मां की स्तुति की, “हे दुर्गे! आप दुखों को हरने वाली, रोगमुक्ति और मनोरथ पूर्ण करने वाली हैं। मेरे पिता ने मुझे अपमानित कर निकाला, पर आपने मेरा उद्धार किया।”

मां दुर्गा द्वारा नवरात्रि व्रत की विधि

सुमति ने मां से नवरात्रि व्रत की विधि पूछी। मां ने बताया, “आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नौ दिन तक विधि-विधान से व्रत करें। यदि पूर्ण उपवास संभव न हो तो एक समय भोजन करें। विद्वान ब्राह्मण से परामर्श लेकर घट स्थापना करें और वाटिका बनाएं। महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की मूर्तियों की पूजा करें। पुष्पों से अर्घ्य दें: बिजौरा से रूप, जायफल से कीर्ति, दाख से कार्य सिद्धि, आंवला से सुख और केला से आभूषण मिलते हैं।” Navratri Vrat katha

मां ने हवन की सामग्री बताई, “खांड, घी, गेहूं, शहद, जौ, तिल, नारियल आदि अर्पित करें। गेहूं से लक्ष्मी, खीर और चंपा से धन, आंवला से यश, केला से पुत्र और कमल से राज सम्मान प्राप्त होता है।” व्रती को आचार्य को दक्षिणा देनी चाहिए। मां ने कहा, “यह व्रत समस्त पापों का नाश करता है और अश्वमेध यज्ञ का फल देता है।” Navratri Vrat katha

व्रत का फल और महत्व

ब्रह्मा जी ने बृहस्पति से कहा, “जो भी इस व्रत को श्रद्धा से करता है, उसे इस लोक में सुख और अंत में मोक्ष प्राप्त होता है।” सुमति को मां ने बुद्धिमान, धनवान और कीर्तिवान पुत्र का वरदान दिया। यह कथा सुनकर बृहस्पति जी कृतज्ञता से भर उठे और बोले, “हे प्रभु! आपने इस व्रत का महत्व बताकर मुझे अनुग्रहित किया। मां दुर्गा ही जगत की पालक हैं।” Navratri Vrat katha

नवरात्रि में कथा पाठ का महत्व

नवरात्रि के नौ दिनों तक इस कथा का पाठ करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। यह व्रत और कथा सभीमनोकामनाएं पूर्ण करती है, रोग, बंधन और विपत्तियों से मुक्ति दिलाती है। नवरात्रि में मां की आरती “जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी…” के साथ पूजा को पूर्ण करें। Navratri Vrat katha


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