निर्जला एकादशी 2025: 6 या 7 जून? जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व
Nirjala Ekadashi 2025 | हिंदू धर्म में एकादशी तिथियों का विशेष महत्व है, और इनमें से सबसे अधिक पुण्यदायी मानी जाती है निर्जला एकादशी। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत और पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति, सुख-समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से साल भर की 24 एकादशियों का पुण्य एक साथ प्राप्त हो जाता है। इस साल निर्जला एकादशी की तिथि को लेकर कुछ असमंजस है, क्योंकि विभिन्न पंचांगों में तिथि भिन्न बताई जा रही है। आइए, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के हवाले से जानते हैं कि निर्जला एकादशी 2025 कब मनाई जाएगी, इसका शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और धार्मिक महत्व क्या है। Nirjala Ekadashi 2025
निर्जला एकादशी 2025: सही तिथि और समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 5 जून 2025, गुरुवार को रात 2:15 बजे शुरू होगी और 7 जून 2025, शनिवार को सुबह 4:47 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के नियमों के आधार पर, गृहस्थ लोगों के लिए निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा। वहीं, वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी 7 जून 2025, शनिवार को यह व्रत रखेंगे।
व्रत पारण का समय
निर्जला एकादशी का व्रत पारण (व्रत खोलने का समय) द्वादशी तिथि पर किया जाता है, लेकिन यह हरि वासर (द्वादशी तिथि का पहला चौथाई हिस्सा) समाप्त होने के बाद ही किया जाना चाहिए।
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स्मार्त व्रत पारण: 7 जून 2025, दोपहर 1:44 बजे से शाम 4:31 बजे तक।
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वैष्णव व्रत पारण: 8 जून 2025, सुबह 5:23 बजे से सुबह 7:17 बजे तक।
नोट: अपने क्षेत्र के अनुसार पारण का सटीक समय जानने के लिए स्थानीय पंडित से संपर्क करें।
निर्जला एकादशी 2025: शुभ मुहूर्त
निर्जला एकादशी के दिन कई शुभ मुहूर्त और योग बन रहे हैं, जो इस व्रत को और भी फलदायी बनाते हैं। 6 जून 2025 को निम्नलिखित मुहूर्त विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं:
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ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:08 बजे से 4:56 बजे तक। इस समय स्नान, ध्यान, और व्रत का संकल्प लेना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान दान-पुण्य करना भी पुण्यकारी होता है।
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प्रातःकाल पूजा मुहूर्त: सुबह 4:22 बजे से 5:23 बजे तक। यह समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा, मंत्र जाप, और विष्णु सहस्रनाम पाठ के लिए आदर्श है।
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अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:52 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक। यह किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने के लिए सर्वोत्तम समय है।
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शाम की पूजा मुहूर्त: शाम 7:17 बजे से रात 8:18 बजे तक। इस दौरान विष्णु चालीसा या भगवान विष्णु के मंत्रों का पाठ करें।
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विजय मुहूर्त: दोपहर 2:39 बजे से 3:35 बजे तक।
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गोधूलि मुहूर्त: शाम 7:16 बजे से 7:36 बजे तक।
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निशिता मुहूर्त: रात 12:00 बजे से 12:40 बजे तक।
विशेष योग
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हस्त नक्षत्र: 6 जून को हस्त नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो कार्यों में सफलता और शुभ फल प्रदान करता है।
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सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 9:40 बजे से अगले दिन सुबह 5:23 बजे तक। यह योग सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है।
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गजकेसरी राजयोग: इस दिन गुरु (बृहस्पति) के प्रभाव से गजकेसरी राजयोग बनेगा, जो धन लाभ, समृद्धि, और भाग्य वृद्धि में सहायक है।
निर्जला एकादशी का धार्मिक महत्व
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसका नाम पांडवों में सबसे बलशाली भाई भीम के नाम पर पड़ा। पौराणिक कथा के अनुसार, भीम अन्य एकादशियों का व्रत रखने में असमर्थ थे क्योंकि उन्हें भूख नियंत्रित करना मुश्किल लगता था। तब वेद व्यास ने उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत करने की सलाह दी, जिसके पालन से उन्हें सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त हुआ।
प्रमुख धार्मिक महत्व
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सभी एकादशियों का पुण्य: निर्जला एकादशी का व्रत रखने से साल की सभी 24 एकादशियों का फल एक साथ प्राप्त होता है।
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पापों से मुक्ति: इस व्रत को विधि-विधान से करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
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मोक्ष की प्राप्ति: मान्यता है कि इस व्रत को करने वाले भक्तों को मृत्यु के बाद यमदूत नहीं, बल्कि विष्णु के दूत वैकुंठ ले जाते हैं।
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सुख-समृद्धि: यह व्रत धन, ऐश्वर्य, सुख, और दीर्घायु प्रदान करता है।
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जल दान का महत्व: गर्मी के चरम मौसम में जल दान करना इस व्रत का विशेष हिस्सा है, जो सभी तीर्थों के स्नान के बराबर पुण्य देता है।
निर्जला एकादशी पूजा विधि
निर्जला एकादशी का व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें अन्न और जल दोनों का त्याग किया जाता है। नीचे दी गई पूजा विधि का पालन करें:
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प्रातःकाल स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। स्नान के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाएं। सूर्योदय से पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें।
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व्रत संकल्प: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें। संकल्प मंत्र: ॐ नारायणाय नमः, मैं निर्जला एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करता/करती हूँ।
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पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को साफ करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उनके साथ मातालक्ष्मी और तुलसीजी की पूजा करें।
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पूजा सामग्री: धूप, दीप, फूल, चंदन, तुलसी पत्र, पीला वस्त्र, और फल अर्पित करें। भगवान को केले और मिश्री का भोग लगाएं।
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मंत्र जाप: निम्न मंत्रों का जाप करें:
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
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शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं… (विष्णु मंत्र)
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ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्
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विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
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रात्रि जागरण: रात में भगवान विष्णु के भजन, कीर्तन, और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। सोनावर्जित है।
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दान-पुण्य: जरूरतमंदों को जल, छाता, खान-पान की वस्तुएं, और वस्त्र दान करें। यह कार्य अभिजीतमुहूर्त में करना शुभ होता है।
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पारण विधि: द्वादशी तिथि पर हरि वासर समाप्त होने के बाद पारण करें। स्नान और पूजा के बाद अन्न और जलग्रहण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें। Nirjala Ekadashi 2025
निर्जला एकादशी के ज्योतिषीय उपाय
निर्जला एकादशी के दिन कुछ विशेष उपाय करने से ग्रहों की शांति और जीवन में सकारात्मकता आती है:
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जल दान: गर्मी के मौसम में जल दान करना अत्यंत पुण्यकारी है। प्याऊ लगवाएं या जरूरतमंदों को पानीपिलाएं।
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तुलसी पूजा: तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें और दीपक जलाएं। तुलसीपत्र भगवान विष्णु Nirjala Ekadashi 2025
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।