जैविक खेती: आमदनी बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण का एक सशक्त माध्यम

जैविक खेती: आमदनी बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण का एक सशक्त माध्यम

Organic Farming | भारत में प्राकृतिक कृषि (Natural Farming) का प्रचलन आदिकाल से रहा है। पारंपरिक कृषि में प्राकृतिक संसाधनों (Natural Resources) के माध्‍यम से विभिन्‍न फसलों की सफलतापूर्वक खेती की जाती थी। लेकिन आधुनिक वैज्ञानिक कृषि (Modern Scientific Agriculture) के विकास के साथ-साथ, देश की पारंपरिक कृषि धीरे-धीरे हाशिये पर पहुँच गई। कृषि रसायनों (Agricultural Chemicals) के अधिक उपयोग से खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में गिरावट आई है और इसके प्रति जागरूकता बढ़ने लगी है। इसी कारण जैविक खेती (Organic Farming) आज एक वैकल्पिक प्रणाली के रूप में उभरी है। यह प्रणाली भारतीय किसानों, विशेष रूप से अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) के लिए एक ऋण-मुक्त (Debt-Free) और लाभकारी आजीविका का माध्यम बन रही है।

जैविक कृषि के विकास के तीन आयाम

भारत में जैविक कृषि (Organic Agriculture) के विकास के तीन मुख्य आयाम हैं:

  • पारंपरिक जैविक किसान (Traditional Organic Farmers): इस श्रेणी में वे किसान आते हैं, जो ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहाँ रासायनिक कृषि (Chemical Farming) का अब तक कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। इन क्षेत्रों में जैविक खेती जीवन का आधार है और इसे परंपरा का हिस्सा माना जाता है।
  • संक्रमण कालीन किसान (Transitioning Farmers): ये वे किसान हैं, जिन्होंने हाल ही में पारंपरिक कृषि के बुरे प्रभावों, जैसे मृदा की गिरती उर्वरता (Declining Soil Fertility), खाद्य विषाक्तता और बढ़ती लागत के कारण जैविक कृषि को अपनाया है। इनमें प्रमाणित (Certified) और गैर-प्रमाणित दोनों प्रकार के खेत शामिल हैं।
  • व्यावसायिक जैविक किसान (Commercial Organic Farmers): ये उद्यमी किसान हैं, जो उभरते हुए बाजार के अवसरों और उच्च कीमतों को ध्यान में रखते हुए व्यवस्थित रूप से जैविक कृषि अपनाते हैं। इन किसानों के प्रक्षेत्र प्रायः प्रमाणित (Certified) होते हैं और ये जैविक कृषि पर उपलब्ध अधिकांश आँकड़ों के मुख्य स्रोत हैं।

वैश्विक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

  • वर्ष 2016 तक, दुनिया के 187 देशों में जैविक खेती की जा रही थी। वैश्विक जैविक क्षेत्रफल (Global Organic Area) 72.3 मिलियन हेक्टेयर तक पहुँच गया है, जिसमें 1003 प्रमाणन संस्थाओं के साथ रूपांतरण क्षेत्र भी शामिल है। वैश्विक कृषि योग्य भूमि (Global Agricultural Land) का केवल 1.6% क्षेत्र ही जैविक है।
  • जैविक उत्पादों का वैश्विक बाजार (Global Market for Organic Products) अब 106 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुँच गया है। भारत में, जैविक प्रणालीकरण प्रक्रिया के तहत 10,171,922 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र पंजीकृत है। इसमें 5,391,792.97 हेक्टेयर क्षेत्र में कृषि जैविक रूप से की जा रही है, जबकि शेष 4,780,130.56 हेक्टेयर वन फसल संग्रह क्षेत्र (Forest Produce Collection Area) है।
  • भारत में जैविक खेती के लिए 29 प्रमाणन एजेंसियाँ कार्यरत हैं। देश 2,900,000 टन जैविक उत्पादों का उत्पादन करता है और 312,800.51 टन जैविक उत्पादों का निर्यात करता है। इसका मूल्य लगभग 708.33 मिलियन अमेरिकी डॉलर (5525.18 हजार करोड़ रुपये) है।

झारखंड में जैविक खेती की संभावनाएँ

झारखंड में वर्ष 2022-23 तक 54,119.87 हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती प्रमाणन प्रक्रिया के तहत पंजीकृत किया गया है। इसमें से 4,363.09 टन जैविक उत्पादों का उत्पादन होता है (स्रोत: एपीडा )। राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में नगण्य रसायनों का उपयोग होता है। ये क्षेत्र स्वाभाविक रूप से जैविक (Organic) हैं और यहाँ व्यवस्थित जैविक कृषि की अपार संभावनाएँ हैं।

टिकाऊ और लाभकारी कृषि प्रणाली

  • जैविक कृषि (Organic Agriculture) एक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादन विधि है। यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। भारत जैसे विकासशील देशों में यह प्रणाली छोटे किसानों के लिए उपयुक्त है।
  • व्यावसायिक जैविक खेती (Commercial Organic Farming) कृषि की लागत को कम करके और टिकाऊ उत्पादन द्वारा गरीबी उन्मूलन (Poverty Alleviation) और खाद्य सुरक्षा (Food Security) में योगदान दे सकती है। यह प्रणाली जैव-विविधता (Biodiversity) और प्राकृतिक संसाधनों (Natural Resources) का संरक्षण भी करती है।

कृषि विज्ञान केंद्र की पहल

कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) ने जैविक खेती के प्रचार-प्रसार के लिए बड़े पैमाने पर स्थानीय संसाधन आधारित कम लागत वाले प्रशिक्षण (Low-Cost Resource-Based Training) कार्यक्रमों का आयोजन किया है। इन कार्यक्रमों से किसानों को जैविक खेती के फायदों और उसकी तकनीकों के बारे में जागरूक किया गया।जैविक खेती भारत के कृषि क्षेत्र के लिए एक उम्मीद की किरण है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण (Environmental Conservation) में मदद करती है, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति (Economic Status) को भी सुदृढ़ बनाती है। इसके लिए जरूरी है कि सरकार और कृषि संस्थान मिलकर किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करें और उनकी मदद करें। Organic Farming


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