मेरठ में पं. प्रदीप मिश्रा की कथा में भगदड़: कई लोग घायल,  व्यवस्थाओं में खामियां उजागर

मेरठ में पं. प्रदीप मिश्रा की कथा में भगदड़: कई लोग घायल,  व्यवस्थाओं में खामियां उजागर

Pandit Pradeep Mishra Meerut Bhagdad | मेरठ के शताब्दी नगर में आयोजित शिव महापुराण कथा के छठे दिन, पंडित प्रदीप मिश्रा के प्रवचनों के दौरान शुक्रवार को हुई भगदड़ ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा और आयोजन की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। इस हादसे में कई महिलाएं और बुजुर्ग घायल हो गए। लाखों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और कुप्रबंधन के कारण यह घटना घटी।

लाखों की भीड़ के अनुरूप नहीं थी व्‍यवस्‍था 

कथा का आयोजन 15 दिसंबर से 21 दिसंबर तक श्री केदारेश्वर सेवा समिति द्वारा किया जा रहा है। पंडित प्रदीप मिश्रा के प्रवचनों को सुनने के लिए हर दिन करीब डेढ़ लाख लोग जुट रहे हैं। शुक्रवार को कथा के छठे दिन, दोपहर 1 बजे प्रवचन शुरू हुआ। आयोजकों को पहले से ही भीड़ का अनुमान था, लेकिन व्यवस्था पर्याप्त नहीं थी।

बताया जा रहा है कि कथा स्थल पर करीब एक लाख श्रद्धालु पहुंच चुके थे। कथा पंडाल में प्रवेश के दौरान लोगों में जल्दबाजी होने लगी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लगे बाउंसर्स ने एंट्री को रोकने का प्रयास किया, लेकिन इससे स्थिति और बिगड़ गई। पीछे से भीड़ के धक्का देने पर महिलाएं और बुजुर्ग गिरने लगे, जिससे भगदड़ मच गई।

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घटना में 20 से अधिक घायल 

शुक्रवार को दो बार भगदड़ की घटनाएं हुईं। पहली घटना सुबह 9:30 बजे हुई, जब लोग वीआईपी पास के लिए उमड़ पड़े। यह स्थिति जल्द ही शांत कर ली गई। दूसरी बार, दोपहर 1 बजे कथा के दौरान भीड़ नियंत्रण बिगड़ गया और भगदड़ मच गई।

एंट्री गेट पर महिलाएं और बुजुर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुए। एक समय पर करीब 15-20 महिलाएं एक-एक कर गिर गईं। बाउंसर्स और सुरक्षा कर्मियों ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन तब तक कई लोग घायल हो चुके थे।

सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी

कथा स्थल पर 1000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। आयोजकों ने 7 पार्किंग स्थल बनाए और 5,000 सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है।

इसके अलावा, एक मिनी अस्पताल, स्वच्छ पानी, भोजन, और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं। हालांकि, इन व्यवस्थाओं के बावजूद, भीड़ प्रबंधन में बड़ी खामी सामने आई।

मेरठ के एसपी ट्रैफिक राघवेंद्र मिश्रा ने बताया कि भारी वाहनों का डायवर्जन सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक लागू किया गया है। लेकिन भीड़ के चलते यह व्यवस्था भी नाकाफी साबित हुई।

बाउंसर्स और श्रद्धालुओं के बीच झड़प

बताया जा रहा है कि भगदड़ की घटना का एक कारण एंट्री गेट पर बाउंसर्स और श्रद्धालुओं के बीच हुई झड़प भी थी। जिस रास्ते से मुख्य यजमान गुजर रहे थे, उसी रास्ते से भीड़ भी प्रवेश कर रही थी। बाउंसर्स ने महिलाओं को अंदर जाने से रोक दिया, जिससे भीड़ ने धक्का-मुक्की शुरू कर दी। इसके चलते कई महिलाएं और बुजुर्ग गिर गए और भगदड़ मच गई।

दूसरे आयोजनों की याद दिलाता हादसा

इस घटना ने हाथरस के सिकंद्राराऊ में 2 जुलाई को हुए भगदड़ की घटना की याद ताजा कर दी, जिसमें 123 लोगों की मौत हो गई थी और 150 से अधिक घायल हो गए थे। उस मामले में आयोजकों पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगे थे और 11 लोगों के खिलाफ 3200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई थी।

श्रद्धालुओं की परेशानियां और सुरक्षा प्रबंधन पर सवाल

भारी भीड़ और अव्यवस्थित व्यवस्थाओं के कारण कथा स्थल पर आने वाले श्रद्धालु परेशान हैं। आयोजन स्थल पर बड़ी संख्या में लोग पैदल ही पहुंच रहे हैं, क्योंकि यातायात व्यवस्था भीड़ को संभालने में असफल रही है। श्रद्धालुओं का कहना है कि आयोजकों को पहले से भीड़ का अंदाजा था, फिर भी पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए। बाउंसर्स की तैनाती और वीआईपी पास का प्रबंधन भी विवादों का कारण बना।

आयोजन समिति और प्रशासन की जिम्मेदारी

कथा के आयोजकों और प्रशासन की यह जिम्मेदारी थी कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। भीड़ प्रबंधन में लापरवाही के कारण इस तरह की घटनाएं न केवल श्रद्धालुओं की जान खतरे में डालती हैं, बल्कि धार्मिक आयोजनों की गरिमा पर भी सवाल उठाती हैं। आयोजन समिति और पुलिस प्रशासन ने कहा है कि शनिवार को कथा के आखिरी दिन के लिए विशेष सुरक्षा उपाय किए जाएंगे। पुलिस कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाएगी और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बैरिकेडिंग की जाएगी।

मेरठ की इस घटना ने भीड़ प्रबंधन और धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है। यह जरूरी है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए आयोजक और प्रशासन बेहतर योजना बनाएं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।


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