हिंदुओं के घर में घुसा अमेरिकी, कहा- ईसाई बनो, समृद्धि मिलेगी: अमेरिकी नागरिक जैकब सहित दो गिरफ्तार
Pimpri_Chinchwad_Religious_Conversion_Case | महाराष्ट्र के पिंपरी-चिंचवड में विदेशी फंडिंग के जरिए संगठित धर्मांतरण रैकेट का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पुलिस ने एक अमेरिकी नागरिक शेफर जैविन जैकब (41) और उसके भारतीय सहयोगी स्टीवन विजय कदम (46) को गिरफ्तार किया है, जो स्थानीय हिंदू परिवारों को पैसों और समृद्धि का लालच देकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे। इस मामले में एक नाबालिग को भी हिरासत में लिया गया, जिसे बाद में उसकी मां को सौंप दिया गया। यह घटना भारत में विदेशी फंडिंग और टूरिस्ट/बिजनेस वीजा के दुरुपयोग के जरिए धर्मांतरण की कोशिशों पर फिर से सवाल उठाती है। पिंपरी-चिंचवड पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है, जिसमें डिजिटल साक्ष्य, वित्तीय लेनदेन, और संभावित अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की पड़ताल शामिल है। Pimpri_Chinchwad_Religious_Conversion_Case
27 जुलाई 2025 को सुबह 11:30 बजे, पिंपरी के हिंदू-सिंधी समुदाय के 27 वर्षीय सनी बंसीलाल धनानी ने पिंपरी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की। उनके अनुसार, अमेरिकी नागरिक शेफर जैविन जैकब और स्टीवन विजय कदम उनके घर आए और ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव डाला। आरोपियों ने दावा किया कि ईसाइयत अपनाने से सनी और उनके परिवार को “सुख, शांति, समृद्धि, और मानसिक स्वास्थ्य” मिलेगा। उन्होंने विदेशी आर्थिक सहायता और हिंदू धर्मग्रंथों की चयनित व्याख्याओं का हवाला देकर ईसाइयत को “मोक्ष का बेहतर रास्ता” बताया। सनी ने आरोपियों के इरादों पर शक होने पर तुरंत पुलिस को सूचित किया, जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। Pimpri_Chinchwad_Religious_Conversion_Case
आरोपियों की पहचान
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शेफर जैविन जैकब (41): कैलिफोर्निया, अमेरिका का निवासी, जो पिंपरी-चिंचवड के मुकाई चौक, रावेत में किराए के फ्लैट में रह रहा था। जांच में पता चला कि जैकब 2016 से टूरिस्ट और बिजनेस वीजा पर भारत आ रहा था। इस बार वह 5 जुलाई 2025 को बिजनेस वीजा पर भारत आया, जिसमें उसने टेक्सटाइल व्यवसाय से जुड़ा होने का दावा किया था। हालांकि, पुलिस को कोई व्यावसायिक गतिविधि का सबूत नहीं मिला, जिससे वीजा नियमों के उल्लंघन का संदेह गहरा गया है।
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स्टीवन विजय कदम (46): पिंपरी के रईसोनी सोसाइटी का निवासी, जो एक निजी कंपनी में काम करता है। वह जैकब के साथ प्रार्थना सभा में मिला था और कथित तौर पर धर्मांतरण के प्रयासों में उसका सहयोगी था।
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नाबालिग: एक 16 वर्षीय लड़के को भी हिरासत में लिया गया, जिसे बाद में उसकी मां को सौंप दिया गया। पुलिस को संदेह है कि उसका उपयोग परिवारों का विश्वास जीतने और आउटरीच गतिविधियों में सहायता के लिए किया गया था। उसकी भूमिका की जांच जारी है।
पुलिस कार्रवाई और कानूनी कदम
पिंपरी-चिंचवड पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) और विदेशी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है:
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BNS धारा 299: धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर किए गए कृत्य।
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BNS धारा 3(5): प्रलोभन देकर धर्मांतरण का प्रयास।
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विदेशी अधिनियम धारा 14(b) और 14(c): जैकब पर वीजा नियमों का उल्लंघन और अनधिकृत गतिविधियों में शामिल होने का आरोप।
पुलिस ने आरोपियों के पास से दो मोबाइल फोन, प्रचार सामग्री, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए हैं, जिनकी फॉरेंसिक जांच चल रही है। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक अशोक कदलाग ने कहा, “हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। टूरिस्ट या बिजनेस वीजा का उपयोग धार्मिक प्रचार के लिए करना राष्ट्रीय सुरक्षा नियमों का उल्लंघन है।” दोनों आरोपियों को 28 जुलाई 2025 को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें दो दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया।
डिजिटल और वित्तीय नेटवर्क की जांच
पुलिस को संदेह है कि जैकब और कदम एक संगठित धर्मांतरण रैकेट का हिस्सा थे, जो स्थानीय परिवारों को प्रभावित करने के लिए डिजिटल और व्यक्तिगत संचार के मिश्रित तरीकों का उपयोग करता था।
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डिजिटल ट्रेल: व्हाट्सएप और मोबाइल कॉल्स के जरिए परिवारों से संपर्क किया जाता था।
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प्रचार सामग्री: जब्त सामग्री में धार्मिक पुस्तकें और पर्चे शामिल हैं, जिनमें हिंदू धर्मग्रंथों की गलत व्याख्या कर ईसाइयत को श्रेष्ठ दिखाने की कोशिश की गई थी।
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वित्तीय जांच: पुलिस विदेशी फंडिंग के स्रोत और संभावित अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जांच कर रही है। सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि जैकब के 2016 से भारत दौरे और उसके संपर्कों की विस्तृत जांच हो।
विदेशी फंडिंग और वीजा दुरुपयोग का सवाल
जांच से पता चला है कि जैकब 2016 से टूरिस्ट और बिजनेस वीजा पर सात बार भारत आ चुका है। पुलिस का कहना है कि उसने बिजनेस वीजा पर टेक्सटाइल व्यवसाय का हवाला दिया था, लेकिन कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं पाई गई। इससे वीजा नियमों के उल्लंघन और धार्मिक प्रचार के लिए वैध यात्रा के दुरुपयोग का संदेह बढ़ गया है। इमिग्रेशन अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है, और जैकब का वीजा स्थायी रूप से रद्द होने या उसे डिपोर्ट किए जाने की संभावना है।
सामाजिक संगठनों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि विदेशी नागरिकों के वीजा उपयोग की सख्त निगरानी हो और धर्मांतरण गतिविधियों के लिए विदेशी फंडिंग पर रोक लगे। यह मामला भारत में विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के तहत विदेशी फंडिंग की जांच को और तेज कर सकता है।
भारत में धर्मांतरण पर विवाद
यह घटना भारत में विदेशी फंडिंग के जरिए धर्मांतरण की कोशिशों पर चल रही बहस को और हवा दे रही है। भारत का संविधान (अनुच्छेद 25) धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन कई राज्यों में धर्म स्वतंत्रता कानून (एंटी-कन्वर्जन लॉ) प्रलोभन, धोखाधड़ी, या दबाव से धर्मांतरण को प्रतिबंधित करते हैं। महाराष्ट्र में भी ऐसे कानून प्रस्तावित हैं, और यह मामला इनकी मांग को और मजबूत कर सकता है।
हिंदू राष्ट्रवादी संगठन, जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और बजरंग दल, लंबे समय से विदेशी मिशनरियों पर हिंदुओं को लालच देकर धर्मांतरण का आरोप लगाते रहे हैं। दूसरी ओर, ईसाई समुदाय का कहना है कि ऐसी कार्रवाइयां धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाती हैं और संवैधानिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती हैं। Pimpri_Chinchwad_Religious_Conversion_Case
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना ने स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाई हैं:
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सामाजिक संगठन: विश्व हिंदू परिषद (VHP) और अन्य संगठनों ने जैकब के 2016 से भारत दौरे की CBI जांच की मांग की है। उनका दावा है कि यह संगठित धर्मांतरण का हिस्सा है।
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राजनीतिक प्रतिक्रिया: महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और वीजा नियमों को सख्त करने की बात कही है।
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स्थानीय समुदाय: पिंपरी-चिंचवड के हिंदू-सिंधी समुदाय ने इस घटना पर गुस्सा जताया है और पुलिस कार्रवाई की सराहना की है।
पुलिस ने कहा कि वह इस मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी जांच रही है, क्योंकि विदेशी नागरिकों की ऐसी गतिविधियां देश की सामाजिक और धार्मिक सद्भावना को प्रभावित कर सकती हैं।
भारत में धर्मांतरण का व्यापक संदर्भ
भारत में धर्मांतरण एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रतिदिन 3-4 बार ईसाइयों के खिलाफ हमले दर्ज किए गए, जिनमें जबरन “घर वापसी” (हिंदू धर्म में पुन: धर्मांतरण) शामिल है। दूसरी ओर, हिंदू संगठन विदेशी मिशनरियों पर लालच और धोखाधड़ी से धर्मांतरण का आरोप लगाते हैं।
महाराष्ट्र, जहां ईसाई समुदाय की आबादी 1% से कम है, में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाएं पहले भी दर्ज की गई हैं। 2006 में कासा, महाराष्ट्र में ईसाइयों पर हमले की घटना इसका उदाहरण है। Pimpri_Chinchwad_Religious_Conversion_Case
पिंपरी-चिंचवड में शेफर जैविन जैकब और स्टीवनविजय कदम की गिरफ्तारी ने भारत में विदेशी फंडिंग और वीजा दुरुपयोग के जरिए धर्मांतरण की कोशिशों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। यह मामला न केवल धार्मिक स्वतंत्रता और राष्ट्रीयसुरक्षा के बीच टकराव को दर्शाता है, बल्कि विदेशीनागरिकों की गतिविधियों की निगरानी और FCRA नियमों को और सख्त करने की जरूरत को भी रेखांकित करता है। पिंपरी-चिंचवड पुलिस की जांच से इस रैकेट के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन और फंडिंग के स्रोतों का खुलासा होने की उम्मीद है। जैकब को डिपोर्ट करने और उसके वीजा को रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। यह मामला भारत में धार्मिकसहिष्णुता और कानूनी ढांचे पर नई बहस को जन्म दे सकता है। Pimpri_Chinchwad_Religious_Conversion_Case
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।