प्रकाश पर्व: गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन और उनके आदर्शों की गाथा
Prakash Parv 2025 | प्रकाश पर्व सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व उनकी जीवन गाथा, शिक्षाओं, और बलिदानों को समर्पित है, जिन्होंने मानवता के लिए एक नई दिशा और प्रेरणा प्रदान की। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने पूरे जीवन में सच्चाई, धर्म और न्याय के लिए संघर्ष किया और एक आदर्श समाज के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।
गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रारंभिक जीवन
गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पटना साहिब में हुआ था। उनका मूल नाम गोबिंद राय था। उनके पिता, गुरु तेग बहादुर जी, सिख धर्म के नौवें गुरु थे, जिन्होंने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी की माता, गुजरी जी, ने उन्हें बचपन से ही आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा दी। गुरु गोबिंद सिंह जी ने छोटी उम्र में ही साहस और नेतृत्व के गुण प्रदर्शित किए। वे बचपन से ही धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते थे और वीरता तथा ज्ञान के प्रतीक बन गए थे। उनकी शिक्षा-दीक्षा आनंदपुर साहिब में हुई, जहाँ उन्होंने तलवारबाजी, घुड़सवारी और अन्य युद्धकला में महारत हासिल की।
गुरु गोबिंद सिंह जी का योगदान
गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन धर्म, त्याग और बलिदान का प्रतीक है। उन्होंने सिख धर्म में कई महत्वपूर्ण सुधार किए और समाज में समानता, न्याय और स्वतंत्रता की स्थापना के लिए कार्य किया। उनका सबसे बड़ा योगदान खालसा पंथ की स्थापना थी।
1. खालसा पंथ की स्थापना
13 अप्रैल 1699 को बैसाखी के दिन, गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने पांच प्यारों का चयन किया, जो सिख धर्म के आदर्शों के प्रतीक बने। खालसा पंथ ने जाति, धर्म, और क्षेत्रीय भेदभाव को समाप्त कर एकजुटता और भाईचारे का संदेश दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने सभी खालसा को पांच ककार (केश, कड़ा, कृपाण, कंघा, कच्छा) धारण करने का निर्देश दिया, जो उनके सिद्धांतों और अनुशासन का प्रतीक हैं।
2. शब्द और साहस का संगम
गुरु गोबिंद सिंह जी ने न केवल एक योद्धा के रूप में ख्याति अर्जित की, बल्कि वे एक महान कवि और विचारक भी थे। उन्होंने दशम ग्रंथ की रचना की, जिसमें आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों का वर्णन किया गया है। उनकी रचनाएँ जीवन के उच्च आदर्शों को स्थापित करती हैं और आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।
3. धार्मिक सहिष्णुता और मानवता का संदेश
गुरु गोबिंद सिंह जी ने हमेशा धार्मिक सहिष्णुता और मानवता के प्रति प्रेम का संदेश दिया। उन्होंने अपने अनुयायियों को सिखाया कि हर व्यक्ति समान है और हमें जाति, धर्म, या सामाजिक स्थिति के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए।
4. त्याग और बलिदान का प्रतीक
गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने परिवार के बलिदान को भी मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया। उनके चार पुत्रों ने धर्म और न्याय की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग दिए। चमकौर की लड़ाई और सरहिंद की घटनाएँ उनके परिवार के बलिदान की गाथा को अमर बनाती हैं।
प्रकाश पर्व का महत्व
प्रकाश पर्व न केवल सिख धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह पर्व गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं को याद करने और उनके आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने का अवसर प्रदान करता है।
- धार्मिक आयोजन इस दिन गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन, अरदास, और लंगर का आयोजन होता है। लोग गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं का अध्ययन करते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।
- सामाजिक समरसता का संदेश प्रकाश पर्व हमें जाति और धर्म के भेदभाव से ऊपर उठकर मानवता की सेवा करने की प्रेरणा देता है। यह पर्व हमें एकजुटता और भाईचारे का संदेश देता है, जो आज के समय में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
गुरु गोबिंद सिंह जी के आदर्श और वर्तमान समय
गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन में जो आदर्श स्थापित किए, वे आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी शिक्षाएँ हमें सिखाती हैं कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी धर्म और सत्य का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए।
- समानता और स्वतंत्रता गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखाया कि सभी मनुष्य समान हैं। जाति, धर्म, या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। यह संदेश आज भी सामाजिक असमानता और अन्याय के खिलाफ लड़ाई में प्रेरणा देता है।
- साहस और दृढ़ता उनके जीवन से हमें सिखने को मिलता है कि मुश्किल समय में भी अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। उनकी वीरता और बलिदान आज के युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
- शिक्षा और ज्ञान गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने अनुयायियों को शिक्षित होने और ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। आज के समय में भी शिक्षा को प्राथमिकता देना और नैतिक मूल्यों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रकाश पर्व हमें गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन और उनकी शिक्षाओं को याद करने का अवसर प्रदान करता है। उनका जीवन साहस, सेवा, और समर्पण का प्रतीक है। आज जब समाज में अनेक प्रकार की चुनौतियाँ और विभाजन देखने को मिलते हैं, तो उनके आदर्श हमें एकजुटता और सहिष्णुता का पाठ पढ़ाते हैं। इस प्रकाश पर्व पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करेंगे और उनके बताए मार्ग पर चलकर समाज और देश के विकास में योगदान देंगे।
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।