नेहरू-गांधी परिवार की नई शुरुआत: प्रियंका गांधी ने लोकसभा सांसद के रूप में ली शपथ, इतिहास में जुड़ा नया अध्याय

नेहरू-गांधी परिवार की नई शुरुआत: प्रियंका गांधी ने लोकसभा सांसद के रूप में ली शपथ, इतिहास में जुड़ा नया अध्याय

नई दिल्ली: प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने आज लोकसभा सांसद के रूप में शपथ लेकर भारतीय संसदीय लोकतंत्र में एक नई शुरुआत की। वायनाड उपचुनाव में चार लाख से अधिक मतों से शानदार जीत दर्ज करने के बाद, प्रियंका गांधी ने संसद में कदम रखा। शपथ ग्रहण के दौरान उनके साथ उनकी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी भी मौजूद थे। इस ऐतिहासिक पल ने गांधी-नेहरू परिवार के संसद में तीन सदस्यों की उपस्थिति को फिर से बहाल कर दिया।

प्रियंका का शपथ ग्रहण और राजनीतिक शुरुआत

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने Priyanka Gandhi को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। संसद भवन पहुंचने पर प्रियंका ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “यह मेरे लिए गर्व का क्षण है।” शपथ लेते समय Priyanka Gandhi ने संविधान की प्रति अपने हाथ में ली थी। उनकी उपस्थिति ने संसद भवन में ऐतिहासिक माहौल बना दिया।

वायनाड में हुए उपचुनाव में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की छोड़ी गई सीट पर प्रियंका ने जीत दर्ज की। इस जीत ने कांग्रेस को एक नया सियासी उत्साह दिया है। Priyanka Gandhi अब अपने भाई राहुल के साथ लोकसभा में सक्रिय भूमिका निभाते हुए केंद्र सरकार पर प्रहार करेंगी।

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नेहरू-गांधी परिवार का संसदीय इतिहास

Priyanka Gandhi ने शपथ लेते ही देश के संसदीय इतिहास में नेहरू-गांधी परिवार के 16वें सदस्य के रूप में अपनी जगह बनाई। यह पहली बार नहीं है जब गांधी परिवार के भाई-बहन एक साथ लोकसभा में पहुंचे हैं। 71 साल पहले 1953 तक जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) और उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित (Vijayalakshmi Pandit) सदन में एक साथ नजर आए थे। अब 2024 में, प्रियंका और राहुल गांधी ने इस परंपरा को पुनर्जीवित किया है।

गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों का योगदान

गांधी परिवार का भारतीय संसद में योगदान ऐतिहासिक रहा है। 1951-52 के पहले लोकसभा चुनाव में परिवार के पांच सदस्य चुने गए थे। इनमें जवाहरलाल नेहरू, विजयलक्ष्मी पंडित, उमा नेहरू, फिरोज गांधी, और श्योराजवती नेहरू शामिल थे। इन सभी ने अलग-अलग समय पर भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी।

1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव में भी परिवार का प्रभाव बना रहा। हालांकि, 1967 के चुनाव में पहली बार कांग्रेस के खिलाफ गांधी परिवार का एक सदस्य चुनाव जीतने में सफल रहा। आनंद नारायण मुल्ला (Anand Narayan Mulla) ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस को हराया और बाद में राज्यसभा सदस्य बने।

प्रियंका की एंट्री: गांधी परिवार की नई ताकत

2024 के लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली से जीते थे, लेकिन वायनाड सीट खाली कर दी गई थी। इस उपचुनाव में Priyanka Gandhi ने बड़ी जीत दर्ज की। अब वह राहुल के साथ केंद्र सरकार को विभिन्न मुद्दों, जैसे महंगाई (Inflation), अडानी विवाद (Adani Controversy), और अन्य जनहित के मामलों पर घेरेंगी।

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1951 से 2024 तक गांधी परिवार का सफर

1951 से लेकर अब तक, नेहरू-गांधी परिवार के कई सदस्य लोकसभा में चुनकर आए हैं। इनमें जवाहरलाल नेहरू, विजयलक्ष्मी पंडित, इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, और अब Priyanka Gandhi शामिल हैं। हर दौर में इस परिवार ने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

1967 में इंदिरा गांधी के साथ विजयलक्ष्मी पंडित ने भी लोकसभा चुनाव जीता। यह वह दौर था जब कांग्रेस ने भारतीय राजनीति में अपनी जड़ें मजबूत कीं। 1980 में इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी लोकसभा पहुंचे। हालांकि, 1977 और 1996 में कुछ असफलताएं भी आईं जब गांधी परिवार के सदस्य चुनाव नहीं जीत सके।

प्रियंका गांधी का भविष्य और परिवार की उम्मीदें

Priyanka Gandhi का संसदीय प्रवेश कांग्रेस पार्टी के लिए एक नई ऊर्जा लेकर आया है। उन्होंने हिमाचल, कर्नाटक, और तेलंगाना विधानसभा चुनाव में अपनी सक्रियता से पार्टी के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब बतौर सांसद, वह राहुल गांधी के साथ संसद में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

इस शपथ ग्रहण के साथ, गांधी परिवार के तीन सदस्य संसद में हैं—राहुल गांधी (लोकसभा), प्रियंका गांधी (लोकसभा), और सोनिया गांधी (राज्यसभा)। यह कांग्रेस के लिए न केवल एक सियासी ताकत है बल्कि एक पारिवारिक परंपरा का प्रतीक भी है।

प्रियंका गांधी का संसदीय सफर उनकी व्यक्तिगत और कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक यात्रा का एक नया अध्याय है। उनका शपथ ग्रहण गांधी-नेहरू परिवार की पुरानी परंपरा को फिर से मजबूत करता है। संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में, प्रियंका के नेतृत्व और सक्रियता पर सभी की नजरें होंगी।


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