Profit in Purple Cabbage Farming | पर्पल गोभी उगाए, ज्यादा मुनाफा कमाएं : जाने कैसे करें इसकी खेती
Profit in Purple Cabbage Farming | पर्पल गोभी (Purple Cabbage) एक विशेष प्रकार की गोभी है जिसे स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण बहुत पसंद किया जाता है। भारत में इसकी खेती का विचार कई किसानों के मन में आता है। इस लेख में हम जानेंगे कि पर्पल गोभी की खेती कैसे की जा सकती है, इसके लिए किस तरह की मिट्टी और जलवायु की जरूरत होती है, इसकी खेती का सही मौसम, इसका भारत में थोक मूल्य (Wholesale Price) और इसका उपयोग, साथ ही इस फसल में लगने वाले रोगों और उपयोग में आने वाले खाद और उर्वरकों (Fertilizers) की जानकारी।
पर्पल गोभी की खेती: क्या भारत में संभव है?
भारत में पर्पल गोभी की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है, बशर्ते कि जलवायु और मिट्टी की उपयुक्तता सुनिश्चित की जाए। पर्पल गोभी को ठंडी जलवायु पसंद है, इसलिए इसे उत्तरी भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में उगाना अधिक लाभदायक हो सकता है। लेकिन यदि आप इसे सर्दियों में समतल क्षेत्रों में उगाते हैं, तो भी यह अच्छी फसल दे सकती है।
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मिट्टी और जलवायु की आवश्यकता
पर्पल गोभी को दोमट मिट्टी (Loamy Soil) में उगाना सबसे अच्छा होता है, जिसमें पानी का निकास अच्छा हो। मिट्टी की पीएच (pH) मात्रा 6 से 6.5 के बीच होनी चाहिए, जो इस फसल के लिए आदर्श होती है। जलवायु की बात करें तो पर्पल गोभी के लिए 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे उपयुक्त है। अत्यधिक गर्मी में इस फसल का उत्पादन कम हो सकता है, इसलिए इसे ठंडी जलवायु में उगाना बेहतर होता है।
मौसम और बुवाई का समय
पर्पल गोभी की खेती का सही समय सर्दियों का मौसम (Winter Season) होता है। इसकी बुवाई का समय अगस्त से अक्टूबर के बीच होता है। इस अवधि में बीज बोए जाते हैं और लगभग 90 से 100 दिनों में फसल तैयार हो जाती है।
भारत में पर्पल गोभी का थोक मूल्य
भारत में पर्पल गोभी का थोक मूल्य (Wholesale Price) स्थान और समय के अनुसार बदलता रहता है। आमतौर पर इसका थोक मूल्य 40 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच होता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में यह मूल्य बढ़ या घट सकता है।
पर्पल गोभी का उपयोग
पर्पल गोभी का उपयोग (Usage) विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है, जैसे कि सलाद, सूप, और स्टर-फ्राई। इसका उपयोग भोजन को रंगीन और पौष्टिक बनाने के लिए किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स (Antioxidants) और विटामिन सी (Vitamin C) की प्रचुरता होती है, जो इसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बनाते हैं।
फसल में लगने वाले रोग
पर्पल गोभी की फसल में कुछ सामान्य रोग (Diseases) लग सकते हैं, जैसे कि पत्तियों का झुलसना (Leaf Blight), डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew), और कैबेज लूपर (Cabbage Looper)। इन रोगों से बचाव के लिए समय-समय पर फसल की निगरानी करनी चाहिए और उचित फफूंदनाशक (Fungicides) और कीटनाशक (Insecticides) का प्रयोग करना चाहिए।
खाद और उर्वरक की जानकारी
पर्पल गोभी की खेती के लिए जैविक खाद (Organic Fertilizers) का उपयोग करना लाभदायक होता है। नाइट्रोजन (Nitrogen), फॉस्फोरस (Phosphorus), और पोटेशियम (Potassium) की आवश्यकता होती है, जिनकी मात्रा इस प्रकार होनी चाहिए:
- नाइट्रोजन (Nitrogen) – 120 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
- फॉस्फोरस (Phosphorus) – 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
- पोटेशियम (Potassium) – 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
इसके अलावा, जैविक खाद (Compost) और हरी खाद (Green Manure) का भी उपयोग किया जा सकता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता (Soil Fertility) बढ़ती है और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।
निष्कर्ष: पर्पल गोभी की खेती भारत में सफलतापूर्वक की जा सकती है, बशर्ते कि आप सही जलवायु और मिट्टी का चयन करें। यह फसल न केवल स्वास्थ्यवर्धक है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी लाभदायक साबित हो सकती है। सही समय पर बीज बोना, उचित देखभाल, और आवश्यक खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग, ये सभी बातें पर्पल गोभी की सफल खेती के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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