आवारा कुत्तों के काटने को हल्‍के में न लें, तुरंत करें ये उपाय

Rabies Outbreak: आवारा कुत्तों के काटने को हल्‍के में न लें, हो सकता रेबीज : लक्षण, बचाव और इलाज की पूरी जानकारी जरूरी पढ़ें

Rabies Outbreak : भारत में आवारा कुत्तों की समस्या गंभीर होती जा रही है, और इसके साथ ही रेबीज (Rabies) के मामले भी बढ़ रहे हैं। रेबीज एक जानलेवा वायरस है, जो संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है। भारत में आवारा कुत्ते सबसे बड़े वाहक माने जाते हैं, क्योंकि इन्हें नियमित रूप से टीकाकरण (Vaccination) नहीं मिलता। अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज न किया जाए, तो यह मरीज़ की मौत का कारण बन सकता है। इस खबर में हम जानेंगे कि रेबीज के लक्षण, बचाव और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है।

रेबीज क्या है?

रेबीज एक वायरल बीमारी (Viral Disease) है, जो सीधे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। यह वायरस मुख्य रूप से जानवरों, विशेषकर कुत्तों के काटने से फैलता है। जब संक्रमित कुत्ता किसी व्यक्ति को काटता है, तो उसके लार (Saliva) में मौजूद वायरस घाव के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और धीरे-धीरे मस्तिष्क (Brain) और स्पाइनल कॉर्ड (Spinal Cord) पर हमला करता है।

रेबीज कैसे फैलता है?

रेबीज का वायरस जानवरों से मनुष्यों में फैलता है, खासकर तब जब कोई संक्रमित कुत्ता किसी इंसान को काटता है या उस पर हमला करता है। जब कुत्ते की लार घाव पर लगती है, तो वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है। एक बार यह वायरस मस्तिष्क में पहुँच जाता है, तो इसका इलाज बेहद मुश्किल हो जाता है। आवारा कुत्ते आमतौर पर इस वायरस के प्रमुख वाहक होते हैं, क्योंकि उनका टीकाकरण नहीं होता।

रेबीज के लक्षण क्या होते हैं?

रेबीज के लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होते हैं और शुरुआत में साधारण फ्लू (Flu) जैसे लगते हैं। काटने के स्थान पर दर्द (Pain) और झनझनाहट (Tingling) हो सकती है। लेकिन जैसे-जैसे वायरस तंत्रिका तंत्र में फैलता है, लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:

  1. तेज़ बुखार (Fever)
  2. सिरदर्द (Headache)
  3. चिड़चिड़ापन (Irritability)
  4. उलझन (Confusion)
  5. मांसपेशियों में कमजोरी (Muscle Weakness)
  6. हाइड्रोफोबिया (Hydrophobia) – पानी का डर, जो रेबीज का सबसे प्रमुख लक्षण है।

जैसे ही वायरस मस्तिष्क पर हमला करता है, मरीज़ को पक्षाघात (Paralysis), कोमा (Coma), और अंततः मौत का सामना करना पड़ता है, अगर समय पर इलाज न हो।

रेबीज से बचाव कैसे करें?

रेबीज से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय टीकाकरण (Vaccination) है। आवारा कुत्तों के काटने के बाद तुरंत इलाज कराना बेहद जरूरी है। यहां कुछ उपाय दिए गए हैं जिनसे रेबीज से बचा जा सकता है:

  1. टीकाकरण (Vaccination): अगर कुत्ता काट ले, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर एंटी-रेबीज टीके (Anti-rabies Vaccine) लगवाएं। यह टीके आपके शरीर को वायरस से लड़ने की क्षमता देते हैं।
  2. घाव की सफाई (Wound Cleaning): काटने के तुरंत बाद घाव को साबुन और पानी से कम से कम 15 मिनट तक धोएं। इससे वायरस की संख्या को कम किया जा सकता है।
  3. आवारा कुत्तों से दूरी (Avoid Stray Dogs): आवारा कुत्तों से बचें और उन्हें उकसाने से बचें। किसी भी कुत्ते के व्यवहार में असामान्यता दिखने पर उससे दूर रहें।
  4. पालतू जानवरों का टीकाकरण (Pet Vaccination): अपने पालतू कुत्तों और बिल्लियों का नियमित टीकाकरण करवाएं, ताकि वे वायरस के वाहक न बनें।

रेबीज का इलाज क्या है?

रेबीज का इलाज समय रहते शुरू करना बहुत जरूरी है, क्योंकि एक बार लक्षण प्रकट हो जाएं तो इलाज मुश्किल हो जाता है। अगर कुत्ता काटता है, तो निम्नलिखित कदम उठाएं:

  1. रेबीज टीका (Rabies Vaccine): काटने के 24 घंटे के अंदर पहला टीका लगवाएं और डॉक्टर द्वारा निर्धारित समय पर बाकी टीके लें।
  2. इम्यूनोग्लोबुलिन इंजेक्शन (Rabies Immunoglobulin Injection): यह इंजेक्शन शरीर में वायरस को फैलने से रोकता है और तुरंत लगवाना जरूरी है।
  3. घाव की सही देखभाल (Wound Care): घाव को साफ रखें और किसी भी संक्रमण से बचने के लिए नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह लें।

भारत में रेबीज के हालात

भारत में रेबीज के मामलों में सबसे अधिक योगदान आवारा कुत्तों का है। भारत में हर साल हजारों लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, रेबीज से हर साल करीब 59,000 मौतें (Deaths) होती हैं, जिनमें से अधिकतर भारत में होती हैं। इसका मुख्य कारण है आवारा कुत्तों की संख्या और उनकी टीकाकरण की कमी (Lack of Vaccination)।

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सरकार की पहल

भारत सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन (NGOs) रेबीज की रोकथाम के लिए काम कर रहे हैं। वर्ल्ड रेबीज डे (World Rabies Day) हर साल 28 सितंबर को मनाया जाता है, ताकि लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। साथ ही, आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने और उनका टीकाकरण करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

रेबीज एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी है, लेकिन समय पर टीकाकरण और सही देखभाल से इसे रोका जा सकता है। आवारा कुत्तों से दूर रहकर और अगर किसी को कुत्ता काटे, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करके इस बीमारी से बचा जा सकता है। हमें अपने और अपने पालतू जानवरों के टीकाकरण के प्रति जागरूक रहना चाहिए, ताकि रेबीज जैसी गंभीर बीमारी से बचाव हो सके।

रेबीज के मामलों को रोकने के लिए हमें समाज में जागरूकता फैलाने और आवारा कुत्तों की समस्या के समाधान के लिए संगठित प्रयास करने की जरूरत है।

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