पाकिस्तान-चीन के बाद अब डोनाल्ड ट्रंप के पास कॉन्ग्रेस के युवराज ने गिरवी रखी जमीर

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कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के बयान को सही करार देते हुए भारत की अर्थव्यवस्था को डेड कह दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने ट्रंप को इसके लिए शुक्रिया भी किया। लेकिन पिछले 10 सालों में शेयर बाजार से करोड़ों कमाने वाले राहुल गाँधी ये भूल गए कि उनकी खुद की आमदनी उनसे बयान के उल्ट है।

Rahul Gandhi Says Indian Economy Dead | कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत की अर्थव्यवस्था को ‘मृत’ (dead economy) कहने वाले बयान का समर्थन कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। राहुल ने न केवल ट्रंप के बयान को सही ठहराया, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर निशाना साधते हुए दावा किया कि भारत की अर्थव्यवस्था को बीजेपी ने अडानी के लिए बर्बाद कर दिया। इस बयान ने न केवल सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया, बल्कि कांग्रेस पार्टी के भीतर भी मतभेद उजागर कर दिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जैसे शशि थरूर, मनीष तिवारी, और राजीव शुक्ला ने राहुल के बयान से असहमति जताते हुए भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत और गतिशील बताया। इस बीच, बीजेपी ने राहुल पर देश की छवि खराब करने और विदेशी ताकतों के हाथों में खेलने का आरोप लगाया है।

ट्रंप का बयान और राहुल का समर्थन

31 जुलाई 2025 को, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाओं को ‘मृत’ करार देते हुए कहा, “मुझे परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है। वे अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ डुबो सकते हैं।” ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ और रूस से तेल और रक्षा सौदों के लिए अतिरिक्त दंड की घोषणा की, जिसे उन्होंने भारत के उच्च टैरिफ और रूस के साथ व्यापारिक संबंधों के खिलाफ प्रतिक्रिया बताया।

राहुल गांधी ने इस बयान का समर्थन करते हुए संसद परिसर में पत्रकारों से कहा, “हां, ट्रंप सही हैं। प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को छोड़कर सभी जानते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था मृत है। मुझे खुशी है कि ट्रंप ने तथ्य बताया। बीजेपी ने अडानी की मदद के लिए अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया।” उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी लिखा, “भारत की अर्थव्यवस्था मृत है। मोदी ने इसे मारा। 1. अडानी-मोदी साझेदारी, 2. नोटबंदी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी, 3. असफल ‘असेंबल इन इंडिया’, 4. एमएसएमई का सफाया, 5. किसानों का दमन।”

राहुल ने यह भी सवाल उठाया कि पीएम मोदी ट्रंप के बयानों, जैसे भारत-पाकिस्तान युद्धविराम दावों और कथित तौर पर पांच भारतीय जेट गिरने के दावों, का जवाब क्यों नहीं दे रहे। उन्होंने दावा किया कि सरकार ने आर्थिक, रक्षा, और विदेश नीति को नष्ट कर दिया है।

कांग्रेस में मतभेद: थरूर, शुक्ला और अन्य नेताओं की असहमति

राहुल गांधी के बयान ने कांग्रेस पार्टी के भीतर दरार को उजागर किया। वरिष्ठ कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्रंप के दावे को खारिज करते हुए कहा, “यह सच नहीं है, और हम सभी यह जानते हैं।” उन्होंने भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं को चुनौतीपूर्ण बताया और सुझाव दिया कि यदि अमेरिका अनुचित मांगें रखता है, तो भारत को अन्य बाजारों की ओर रुख करना चाहिए। राजीव शुक्ला ने भी ट्रंप के बयान को “भ्रम” करार देते हुए कहा, “भारत की अर्थव्यवस्था मृत नहीं है। नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकारों ने इसकी नींव रखी थी।” कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और इमरान मसूद ने भी भारत की आर्थिक मजबूती का समर्थन किया और ट्रंप के बयान को आपत्तिजनक बताया।

इंडिया ब्लॉक की सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्रंप के दावे को “अहंकार या अज्ञानता” का परिणाम बताया और कहा, “भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की शीर्ष पांच में है और सबसे तेजी से बढ़ रही है।” यह मतभेद कांग्रेस के भीतर एकता की कमी को दर्शाता है, खासकर तब जब राहुल गांधी का बयान पार्टी की आधिकारिक राय से मेल नहीं खाता।

राहुल पर देश विरोधी होने का आरोप

बीजेपी ने राहुल गांधी के बयान को “देश की महत्वाकांक्षाओं और उपलब्धियों का अपमान” करार दिया। बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, “राहुल गांधी ने ट्रंप के ‘मृत अर्थव्यवस्था’ बयान का समर्थन कर नया निचला स्तर छू लिया। असल में मृत तो राहुल गांधी की अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता है।” बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, “राहुल गांधी की मानसिकता देश विरोधी बयानों को पकड़ने की है।” तमिलनाडु बीजेपी नेता के. अन्नामलाई ने राहुल और थरूर की तुलना करते हुए कहा, “एक ने भारत के हित में बात की, और दूसरे ने विदेशी ताकतों को खुश करने की कोशिश की।”

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, “आईएमएफ ने 2025 के लिए भारत की विकास दर को 6.9% तक बढ़ाया है। विश्व बैंक ने भारत को दशक की सबसे उल्लेखनीय विकास कहानी बताया है।” कर्नाटक बीजेपी ने X पर लिखा, “मृत नहीं है अर्थव्यवस्था, भाई, मृत है तुम्हारा राजनीतिक भविष्य।”

भारत की अर्थव्यवस्था: तथ्य और आंकड़े

राहुल गांधी और ट्रंप के दावों के विपरीत, भारत की अर्थव्यवस्था कई मापदंडों पर मजबूत और गतिशील दिखाई देती है। निम्नलिखित तथ्य इसकी स्थिति को स्पष्ट करते हैं:

  • जीडीपी वृद्धि: 2025 में भारत ने जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव हासिल किया, जिसका जीडीपी $4.19 ट्रिलियन है। 2025-26 के लिए 6.5% से 6.8% की वृद्धि का अनुमान है।

  • एफडीआई और निर्यात: 2014-2024 के बीच भारत में $667.74 बिलियन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया, जो पिछले 24 वर्षों के 67% के बराबर है। सितंबर 2024 तक कुल एफडीआई $1 ट्रिलियन को छू गया।

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था: यूपीआई (Unified Payments Interface) 2025 में दुनिया का नंबर एक रीयल-टाइम पेमेंट सिस्टम बन गया, जो प्रतिदिन 640 मिलियन लेनदेन संभालता है।

  • मुद्रास्फीति और बैंकिंग: 2015-2025 के बीच औसत मुद्रास्फीति 5% रही, जो 2004-2014 के 8.2% से कम है। बैंकों के सकल एनपीए 12 साल के निचले स्तर 2.6% पर हैं।

  • विदेशी मुद्रा भंडार: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $630 बिलियन से अधिक है, जो 2014 के $300 बिलियन से दोगुना है।

  • वैश्विक रैंकिंग: डेलॉयट की रिपोर्ट में 2024-25 के लिए 6.5-6.8% की वृद्धि का अनुमान है, जो मजबूत घरेलू मांग और निवेश पर आधारित है। व्यापार सुगमता सूचकांक में भारत 132वें स्थान से 60वें स्थान पर पहुंच गया।

ये आंकड़े भारत की अर्थव्यवस्था को न केवल जीवंत, बल्कि वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में दर्शाते हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी भारत को 2025 और 2026 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बताया है।

राहुल गांधी की संपत्ति में वृद्धि: एक विडंबना

राहुल गांधी के बयान की विडंबना यह है कि उनकी व्यक्तिगत संपत्ति में पिछले दशक में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जो भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाती है। 2014 में उनके शेयरों की कीमत 83 लाख रुपये थी, जो 2024 तक बढ़कर 8.3 करोड़ रुपये हो गई। म्यूचुअल फंड में भी उन्होंने 6.6-8.3 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया, जो यूपीए शासन के दौरान उनके 60-80 लाख रुपये के मुनाफे से कहीं अधिक है। यह वृद्धि भारत के शेयर बाजार और आर्थिक स्थिरता पर उनके विश्वास को दर्शाती है, जो उनके ‘मृत अर्थव्यवस्था’ दावे के विपरीत है।

ट्रंप का बयान: व्यापारिक दबाव की रणनीति

ट्रंप का बयान भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं में रुकावट और भारत के रूस से तेल और रक्षा सौदों को लेकर उनकी निराशा का परिणाम माना जा रहा है। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने सीएनबीसी को बताया कि ट्रंप और उनकी व्यापार टीम भारत की धीमी वार्ता से “निराश” हैं। ट्रंप ने भारत के उच्च टैरिफ और रूस के साथ व्यापार को निशाना बनाते हुए यह भी कहा कि अमेरिका का भारत के साथ “सीमित व्यापार” रहा है। विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के बयान को “अनुचित और तथ्यात्मक रूप से गलत” बताया और भारत की आर्थिक मजबूती पर जोर दिया।

राहुल गांधी का इतिहास: विवादों से पुराना नाता

राहुल गांधी पर पहले भी विदेशी ताकतों के साथ संरेखित होने के आरोप लगते रहे हैं। बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि उन्होंने चीन के अरुणाचल प्रदेश पर दावे का समर्थन किया और ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाकर भारत की रक्षा नीति को कमजोर करने की कोशिश की। बीजेपी ने राहुल पर पाकिस्तान और चीन की भाषा बोलने का आरोप लगाया, खासकर जब उन्होंने ट्रंप के भारत-पाकिस्तान युद्धविराम दावों को सही माना।

बीजेपी का पलटवार और विपक्ष की रणनीति

बीजेपी ने राहुल के बयान को “देशद्रोही मानसिकता” का प्रतीक बताया और कहा कि वे भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने भी राहुल की आलोचना करते हुए कहा कि वे “ट्रंप के भ्रमित प्रवक्ता” की तरह व्यवहार कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हालांकि ट्रंप के टैरिफ को देश के व्यापार, एमएसएमई, और किसानों के लिए हानिकारक बताया, लेकिन राहुल के बयान का सीधा समर्थन नहीं किया।

राहुल गांधी का यह रुख विपक्षी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जहां वे नोटबंदी, जीएसटी, और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाकर सरकार को घेरते हैं। हालांकि, इन मुद्दों को वे वर्षों से दोहरा रहे हैं, जबकि आर्थिक आंकड़े इन दावों का खंडन करते हैं।

राहुलगांधी का ट्रंप के ‘मृत अर्थव्यवस्था’ बयान का समर्थन न केवल उनकीअपनी पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को भी नुकसान पहुंचा सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था, जो 2025 में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी बन चुकी है और 2030 तक तीसरे स्थान पर पहुंचने की राह पर है, को ‘मृत’ कहना तथ्यों से परे है। आईएमएफ, विश्व बैंक, और डेलॉयट जैसे संस्थानों ने भारत की आर्थिकमजबूती की पुष्टि की है। राहुल का यह बयान उनकी व्यक्तिगत आर्थिक वृद्धि और भारत के शेयर बाजार की ताकत के विपरीत भी है। Rahul Gandhi Says Indian Economy Dead

सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी का यह बयान केवलराजनीतिक लाभ के लिए था, या यह उनकी आर्थिक समझ की कमी को दर्शाता है? क्या यह भारत की प्रगति को कमतरआंकने की कोशिश है, या विदेशी ताकतों के साथ संरेखण का संकेत? समय और जांच इस विवाद की गहराई को उजागरकरेंगे, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि भारत की अर्थव्यवस्था न केवल जीवित है, बल्कि वैश्विक मंच पर तेजी से चमक रही है। Rahul Gandhi Says Indian Economy Dead


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