क्लासरूम में पढ़ रहे थे बच्चे सरकारी स्कूल की छत गिरने से, 4 बच्चों की मौत, 25 दबे,
Rajsthan School roof collapse kills 4 children | राजस्थान के झालावाड़ जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां मनोहर थाना क्षेत्र के पीपलोदी गांव स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में एक भीषण हादसा हुआ। सुबह के समय, जब बच्चे अपनी कक्षाओं में पढ़ाई कर रहे थे, अचानक स्कूल की छत ढह गई, जिसके परिणामस्वरूप चार बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई और करीब 25 बच्चों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है। यह घटना न केवल एक स्कूली हादसा है, बल्कि यह राजस्थान के सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत और शिक्षा व्यवस्था की लापरवाही को उजागर करती है। हादसे के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई, और स्थानीय लोग तत्काल बचाव कार्य के लिए आगे आए। Rajsthan School roof collapse kills 4 children
यह दुखद घटना आज, 25 जुलाई 2025 को सुबह करीब 9:58 बजे के आसपास हुई, जब स्कूल में पढ़ाई का समय चल रहा था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, क्लासरूम में करीब 60 बच्चे मौजूद थे, जो अपनी पढ़ाई में मशगूल थे। तभी एक जोरदार धमाके के साथ छत ढह गई, और मलबा बच्चों के ऊपर गिर पड़ा। चीख-पुकार मचने के साथ ही स्कूल परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। जो बच्चे बच निकले, उन्होंने बताया कि छत पहले से ही दरक रही थी, लेकिन किसी ने इसकी गंभीरता को समझा नहीं। मलबे के ढेर को देखकर ऐसा लग रहा था कि स्कूल की इमारत पहले से ही खंडहर बनने की कगार पर थी। स्थानीय लोगों ने तुरंत मोर्चा संभाला और मलबे से बच्चों को निकालने की कोशिश शुरू की, लेकिन स्थिति को संभालने के लिए प्रशासनिक मदद की सख्त जरूरत पड़ रही थी। Rajsthan School roof collapse kills 4 children
राहत और बचाव कार्य:
हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस, प्रशासन, और स्थानीय आपदा प्रबंधन की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। बचाव कार्य के लिए जेसीबी मशीनों और अन्य भारी उपकरणों को तैनात किया गया ताकि मलबा हटाकर दबे हुए बच्चों को बाहर निकाला जा सके। घायल बच्चों को सबसे पहले नजदीकी मनोहरथाना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) ले जाया गया, जहां डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही है। कुछ गंभीर रूप से घायल बच्चों को झालावाड़ जिला अस्पताल रेफर किया गया है, जहां विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। अभी भी मलबे में कुछ बच्चों के दबे होने की आशंका को देखते हुए बचाव अभियान जारी है। स्थानीय प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि हर संभव प्रयास किया जा रहा है, और एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम को भी बुलाया जा रहा है ताकि अभियान को और तेज किया जा सके।
आधिकारिक बयान और प्रतिक्रिया:
इस हादसे पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, “झालावाड़ के मनोहरथाना क्षेत्र में एक सरकारी स्कूल की इमारत गिरने से कई बच्चों और शिक्षकों के हताहत होने की दुखद सूचना मिली है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि जनहानि कम से कम हो और घायल बच्चों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिले।” गहलोत के इस बयान से स्पष्ट है कि वे इस घटना से बेहद प्रभावित हैं और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जता रहे हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी इस हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए अधिकारियों को तत्काल राहत और बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने और घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाने का आश्वासन दिया है।
जांच और जिम्मेदारी:
स्थानीय प्रशासन ने हादसे के कारणों की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक रिपोर्ट में स्कूल भवन की जर्जर हालत को मुख्य वजह माना जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल की इमारत कई सालों से खराब हालत में थी, और बार-बार शिकायत करने के बावजूद अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। एक ग्रामीण ने बताया, “हमने कई बार पंचायत और शिक्षा विभाग को लिखित शिकायत दी थी कि छत टूट रही है और दीवारों में दरारें आ गई हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।” इस घटना ने एक बार फिर सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे की लापरवाही और रखरखाव की कमी को उजागर किया है। शिक्षा विभाग ने घोषणा की है कि इस मामले में एक उच्च-स्तरीय जांच समिति गठित की जाएगी, जो जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की जांच करेगी और रिपोर्ट सौंपेगी।
समुदाय का दर्द और गुस्सा:
हादसे के बाद पीपलोदी गांव में मातम का माहौल है। माता-पिता अपने बच्चों की सलामती की दुआएं मांग रहे हैं, जबकि कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है। एक मां ने रोते हुए कहा, “मैंने सुबह अपनी बेटी को स्कूल भेजा था, और अब मुझे पता चला कि वह मलबे में दबी है। सरकार ने हमारी सुनवाई क्यों नहीं की?” ग्रामीणों में गुस्सा भी है, और वे स्कूल प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर समय रहते इमारत की मरम्मत कर दी गई होती, तो यह हादसा टल सकता था। इस घटना ने पूरे इलाके में शिक्षा व्यवस्था और बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल:
यह हादसा राजस्थान के सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति का एक और उदाहरण है। पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों में स्कूल इमारतों के ढहने की घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन इन पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूलों के बुनियादी ढांचे पर पर्याप्त बजट नहीं दिया जाता, और रखरखाव का काम लापरवाही से किया जाता है। झालावाड़ हादसे ने यह सवाल उठाया है कि क्या सरकार स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है या नहीं। शिक्षा अधिकारियों का दावा है कि नियमित निरीक्षण किए जाते हैं, लेकिन ग्रामीणों के बयानों से पता चलता है कि ऐसी जर्जर इमारतों की अनदेखी आम बात है।
आगे की राह और मांगें:
प्रशासन ने बचाव कार्य को तेज करने का भरोसा दिया है और घायल बच्चों के इलाज के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं। हालांकि, इस हादसे से सबक लेते हुए जर्जर स्कूल भवनों की तत्काल जांच और मरम्मत की मांग तेज हो गई है। स्थानीय नेताओं और सामाजिक संगठनों ने राज्य सरकार से अपील की है कि वह पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा और सहायता प्रदान करे। इसके अलावा, स्कूलों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष अभियान चलाने की मांग भी उठ रही है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि हर स्कूल की इमारत की संरचनात्मक ऑडिट कराई जानी चाहिए और खराब हालत में पाए जाने वाले भवनों को तुरंत बंद किया जाना चाहिए।
समाज और सरकार की जिम्मेदारी:
यह हादसा न केवल एक त्रासदी है, बल्कि यह समाज और सरकार दोनों के लिए एक सबक है। बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन ऐसी घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि नीति-निर्माण में गंभीर खामियां हैं। अभिभावकों का कहना है कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं, जब तक कि उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती। दूसरी ओर, सरकार को चाहिए कि वह इस घटना के बाद दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।
झालावाड़ स्कूल त्रासदी ने राजस्थान में शिक्षा व्यवस्था और स्कूलीबच्चों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता पैदा की है। चार बच्चों की मौत और दर्जनों के मलबे में दबे होने की खबर ने पूरे देश को झकझोरदिया है। यह घटना जर्जर इमारतों की अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही का जीवंत उदाहरण है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस हादसे के बाद राज्य सरकार ठोस कदम उठाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके। पीड़ितपरिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए, यह समय है कि समाज और सरकार मिलकर बच्चों की सुरक्षासुनिश्चित करने के लिए एकजुट हों। जांच की प्रतीक्षा है, और यह देखना होगा कि क्या इस हादसे से कोई सबकलिया जाता है या यह भी अन्य घटनाओं की तरह भुला दी जाएगी। Rajsthan School roof collapse kills 4 children
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।