ट्रंप ने बिगाड़ा RBI का हिसाब-किताब! रेपो रेट 5.50% पर अपरिवर्तित, सस्ते होम लोन का सपना टूटा
RBI MPC Meeting | रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने 4-6 अगस्त 2025 को हुई अपनी त्रैमासिक बैठक के बाद रेपो रेट को 5.50% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है। यह निर्णय वैश्विक व्यापारिक तनावों, खासकर अमेरिका द्वारा भारत के निर्यात पर लगाए गए 25% टैरिफ और अन्य वैश्विक अनिश्चितताओं के मद्देनजर लिया गया है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि वैश्विक व्यापार युद्ध और भू-राजनीतिक तनाव भारत की आर्थिक वृद्धि पर दबाव डाल रहे हैं, जिसके चलते केंद्रीय बैंक ने सतर्क रुख अपनाया है। इस फैसले से सस्ते होम लोन, ऑटो लोन और कम EMI की उम्मीदों को फिलहाल झटका लगा है। हालांकि, RBI ने FY26 के लिए GDP वृद्धि अनुमान को 6.5% पर बरकरार रखा है और मुद्रास्फीति (CPI) के अनुमान को 3.7% से घटाकर 3.1% कर दिया है। आइए, इस नीति के प्रभाव, कारणों और भारत की अर्थव्यवस्था पर इसके असर को विस्तार से समझते हैं। RBI MPC Meeting
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने 4-6 अगस्त 2025 को हुई अपनी बैठक में रेपो रेट को 5.50% पर स्थिर रखने का सर्वसम्मति से फैसला किया। यह निर्णय वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं, विशेष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के निर्यात पर लगाए गए 25% टैरिफ और रूस से तेल आयात को लेकर दी गई धमकियों के मद्देनजर लिया गया है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “वैश्विक व्यापार तनाव और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं भारत की आर्थिक वृद्धि पर जोखिम डाल रही हैं। हमने पहले ही इस साल 100 बेसिस पॉइंट्स (1%) की दर कटौती की है, और इसका ट्रांसमिशन अभी भी अर्थव्यवस्था में हो रहा है।”
इस फैसले का मतलब है कि बैंकों को RBI से उधार लेने की लागत में कोई बदलाव नहीं होगा। नतीजतन, होम लोन, ऑटो लोन और अन्य कर्जों की ब्याज दरें और EMI में तत्काल राहत की संभावना कम है। ग्रामवासियों और मध्यम वर्ग के लिए, जो सस्ते कर्ज की उम्मीद कर रहे थे, यह निर्णय निराशाजनक हो सकता है। हालांकि, RBI ने यह सुनिश्चित किया है कि वह आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए सतर्क और सक्रिय रहेगा।
2025 में रेपो रेट में पहले हुई कटौती
RBI ने इस साल पहले ही तीन बार रेपो रेट में कटौती की है, जिससे ब्याज दर 6.50% से घटकर 5.50% हो गई है। ये कटौतियां निम्नलिखित हैं:
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फरवरी 2025: रेपो रेट 6.50% से 6.25% (25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती)।
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अप्रैल 2025: रेपो रेट 6.25% से 6.00% (25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती)।
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जून 2025: रेपो रेट 6.00% से 5.50% (50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती)।
इन कटौतियों का उद्देश्य घटती मुद्रास्फीति और कमजोर वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के बीच भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना था। हालांकि, अगस्त 2025 की बैठक में RBI ने सतर्क रुख अपनाते हुए दरों को स्थिर रखा, क्योंकि वैश्विक व्यापार युद्ध और टैरिफ अनिश्चितताएं भारत के निर्यात और आर्थिक विकास पर दबाव डाल रही हैं।
रेपो रेट क्या है और इसका प्रभाव
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। जब रेपो रेट कम होता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है, जिसे वे ग्राहकों को कम ब्याज दरों पर ऋण के रूप में प्रदान करते हैं। इससे होम लोन, कार लोन और अन्य कर्जों की EMI कम हो सकती है। रेपो रेट में कटौती से उपभोक्ता खर्च और निवेश बढ़ता है, जो आर्थिक वृद्धि को गति देता है। लेकिन वर्तमान में रेपो रेट को 5.50% पर स्थिर रखने से बैंकों की उधार लागत में कोई बदलाव नहीं होगा, और ग्राहकों को सस्ते लोन के लिए और इंतजार करना पड़ सकता है।
ट्रंप के टैरिफ और वैश्विक अनिश्चितताओं का असर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 7 अगस्त 2025 से भारत के निर्यात पर 25% टैरिफ लागू करने और रूस से तेल आयात के लिए अतिरिक्त टैरिफ की धमकी ने वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ा दी है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “अमेरिकी टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव नहीं होगा, जब तक कि जवाबी टैरिफ की स्थिति न आए। भारत की मुद्रास्फीति बाहरी कारकों पर कम निर्भर है।” फिर भी, टैरिफ के कारण भारत के निर्यात, विशेष रूप से इंजीनियरिंग सामान और अन्य वस्तुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मल्होत्रा ने बताया कि अप्रैल 2025 में GDP वृद्धि अनुमान को पहले ही 6.7% से घटाकर 6.5% किया गया था, जिसमें वैश्विक अनिश्चितताओं को शामिल किया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ युद्ध भारत के निर्यात को प्रभावित कर सकता है, जिससे GDP वृद्धि 6.1% तक कम हो सकती है। इसके अलावा, रुपये में 5% की गिरावट से मुद्रास्फीति में 35 बेसिस पॉइंट्स की वृद्धि हो सकती है, हालांकि निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ने से GDP में 25 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी हो सकती है।
मुद्रास्फीति और GDP अनुमान
RBI ने FY26 के लिए मुद्रास्फीति (CPI) अनुमान को 3.7% से घटाकर 3.1% कर दिया है, जो अनुकूल मानसून, खरीफ बुवाई, और पर्याप्त खाद्य भंडार के कारण संभव हुआ है। तिमाही अनुमान निम्नलिखित हैं:
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Q2 FY26: 2.1%
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Q3 FY26: 3.1%
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Q4 FY26: 4.4%
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Q1 FY27: 4.9%
हालांकि, मल्होत्रा ने चेतावनी दी कि Q4 FY26 से मुद्रास्फीति 4% से ऊपर जा सकती है, क्योंकि आधार प्रभाव और मांग-संबंधी कारक प्रभावी होंगे। GDP वृद्धि अनुमान को 6.5% पर स्थिर रखा गया है, जिसमें तिमाही अनुमान इस प्रकार हैं:
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Q1 FY26: 6.5%
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Q2 FY26: 6.7%
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Q3 FY26: 6.6%
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Q4 FY26: 6.3%
RBI का मानना है कि ग्रामीण मांग मजबूत बनी हुई है, और सेवा क्षेत्र में स्थिरता के साथ त्योहारी सीजन में आर्थिक गतिविधियों में तेजी की उम्मीद है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
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होम लोन और EMI: रेपो रेट स्थिर रहने से बैंकों की उधार लागत में कोई बदलाव नहीं होगा। इससे होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरें स्थिर रहेंगी, और EMI में कमी की उम्मीद टल गई है।
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निर्यात और MSME: अमेरिकी टैरिफ से भारत के निर्यात, विशेष रूप से इंजीनियरिंग सामान, पर दबाव पड़ सकता है। MSME क्षेत्र, जो पहले से ही वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है, को सस्ते कर्ज के लिए और इंतजार करना पड़ सकता है।
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रियल एस्टेट: रियल एस्टेट क्षेत्र, जो कम ब्याज दरों से प्रोत्साहन की उम्मीद कर रहा था, को स्थिर रेपो रेट के कारण मांग में कमी का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, डेवलपर्स लचीले भुगतान योजनाओं के जरिए खरीदारों को आकर्षित कर रहे हैं।
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बाजार और निवेश: रेपो रेट स्थिर रहने से शेयर बाजार में मिश्रित प्रतिक्रिया देखी गई। सेंसेक्स और निफ्टी में 0.51% और 0.61% की गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि निवेशक वैश्विक अनिश्चितताओं से चिंतित हैं।
विशेषज्ञों की राय
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उपासना भारद्वाज, कोटक महिंद्रा बैंक: “वैश्विक अनिश्चितताओं और मुद्रास्फीति के बढ़ने की संभावना को देखते हुए RBI का रेपो रेट स्थिर रखना सतर्क दृष्टिकोण दर्शाता है। भविष्य में दर कटौती तभी संभव होगी, जब विकास दर में उल्लेखनीय कमी आए।”
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माधवी अरोड़ा, एमके ग्लोबल: “मुद्रास्फीति अनुमान को 3.1% तक कम करना सकारात्मक है, लेकिन RBI का एक साल आगे की मुद्रास्फीति (4% से ऊपर) पर ध्यान देना वैश्विक परिदृश्य में जोखिम भरा हो सकता है।”
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पंकज चड्ढा, EEPC: “MSME और निर्यात क्षेत्र को सस्ते कर्ज की जरूरत है। RBI का स्थिर रुख स्वागत योग्य है, लेकिन भविष्य में दर कटौती की उम्मीद है।”
भविष्य की संभावनाएं
RBI ने संकेत दिया है कि वह अक्टूबर 2025 की नीति बैठक में डेटा के आधार पर रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती पर विचार कर सकता है, बशर्ते आर्थिक विकास में कमी आए। इसके अलावा, सरकार द्वारा निर्यातकों के लिए विशेष योजनाओं और वित्तीय प्रोत्साहन की घोषणा से वैश्विक व्यापार युद्ध के प्रभाव को कम किया जा सकता है। RBI रुपये की अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करने को तैयार है, और भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ($630.6 बिलियन, जनवरी 2025 तक) 10 महीने से अधिक के आयात को कवर करने में सक्षम हैं।
RBI का रेपो रेट को 5.50% पर स्थिर रखने का फैसला वैश्विक अनिश्चितताओं, विशेषरूप से अमेरिकी टैरिफ युद्ध और भू-राजनीतिक तनावों के प्रति सतर्क रुख को दर्शाता है। हालांकि इससे सस्ते लोन की उम्मीदों को झटका लगा है, लेकिन RBI का ध्यान आर्थिक स्थिरता और दीर्घकालिकविकास पर है। ग्रामीणमांग, सेवा क्षेत्र की स्थिरता, और अनुकूल मानसून के कारण भारत की अर्थव्यवस्था 6.5% की वृद्धि दर के साथ लचीली बनी हुई है। भविष्य में, यदि वैश्विक परिदृश्यस्थिर होता है और विकासदर में कमी आती है, तो RBI दर कटौती के रास्ते पर आगे बढ़ सकता है। RBI MPC Meeting
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।