Russia-Ukraine War रूस-यूक्रेन संघर्ष में शांति वार्ता के लिए पुतिन ने जताया भारत पर भरोसा : भारत बन सकता है महत्वपूर्ण मध्यस्थ
Russia-Ukraine War: फरवरी 2022 से रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष ने दोनों देशों को भारी नुकसान पहुंचाया है। युद्ध के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के क्षेत्र पर हमले किए हैं, जिससे न केवल जानमाल की हानि हुई है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तनाव बढ़ा है। इस बीच, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा है कि भारत इस युद्ध को रोकने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
भारत की मध्यस्थता में विश्वास
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने हाल ही में यह संकेत दिया है कि अगर शांति वार्ता शुरू होती है, तो भारत, चीन और ब्राजील जैसे देश इस प्रक्रिया में प्रभावी मध्यस्थ (mediator) हो सकते हैं। पुतिन ने व्लादिवोस्तोक में आयोजित Eastern Economic Forum में इस बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि युद्ध के शुरुआती हफ्तों में इस्तांबुल में यूक्रेनी और रूसी वार्ताकारों के बीच एक प्रारंभिक समझौता हुआ था, जो लागू नहीं हो पाया। अगर नई शांति वार्ता (Peace negotiations) होती है, तो उस समझौते को वार्ता के आधार (basis) के रूप में शामिल किया जा सकता है।
रूस-यूक्रेन संघर्ष का ताजा घटनाक्रम
हाल ही में यूक्रेन की सेना ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र में घुसपैठ कर हमला किया, जिससे रूस में नाराजगी बढ़ी है। यह घटना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रूस के संप्रभु क्षेत्र पर सबसे बड़ा विदेशी हमला माना जा रहा है। 6 अगस्त को यूक्रेनी सैनिकों ने ड्रोन, भारी हथियारों और पश्चिमी देशों द्वारा निर्मित तोपखाने की मदद से इस हमले को अंजाम दिया। इसके बाद से यूक्रेन ने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर रखी है। पुतिन ने इस घटना पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यूक्रेन का यह कदम रूस की पूर्वी यूक्रेन में चल रही रणनीतिक बढ़त को रोकने के लिए किया गया था, लेकिन कीव को इसके लिए अन्य मोर्चों पर अपनी सेना को कमजोर करना पड़ा।
पुतिन की भारत से अपेक्षाएं
पुतिन ने कहा कि युद्ध के समाधान के लिए भारत जैसे देशों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। उन्होंने चीन और ब्राजील का भी नाम लिया, लेकिन खासतौर पर भारत को एक संभावित मध्यस्थ के रूप में देखा है। भारत ने पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूती दी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन दोनों का दौरा किया है और इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए अपनी भूमिका निभाने की इच्छा जताई थी। भारत का रूस के साथ दशकों पुराना संबंध है, जबकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की [Volodymyr Zelensky] के साथ भी मोदी के व्यक्तिगत संबंध अच्छे माने जाते हैं।
शांति वार्ता के लिए रूस का दृष्टिकोण
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यह स्पष्ट किया कि अगर शांति वार्ता शुरू होती है, तो वह पहले हुए इस्तांबुल समझौते को वार्ता का आधार मान सकते हैं। यह समझौता युद्ध के शुरुआती हफ्तों में हुआ था, जब दोनों पक्ष बातचीत के लिए तैयार थे। हालांकि, यह लागू नहीं हो सका। अब, अगर फिर से बातचीत होती है, तो इस समझौते को पुनर्जीवित (revive) किया जा सकता है और इससे एक नई शांति प्रक्रिया की शुरुआत हो सकती है।
पुतिन का यह बयान ऐसे समय आया है जब यूक्रेन की ओर से रूस में हमले किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की कुर्स्क में घुसपैठ का उद्देश्य डोनबास में रूसी बढ़त को धीमा करना था, लेकिन इसके लिए कीव ने अन्य मोर्चों पर अपनी स्थिति को कमजोर कर लिया है। पुतिन ने यह भी कहा कि यूक्रेन ने रूस पर हमला करने के लिए अपने कुछ विशेष प्रशिक्षित सैनिकों को अन्य स्थानों पर भेज दिया, जिससे उनकी सैन्य क्षमता कमजोर हो गई।
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भारत की भूमिका और वैश्विक दृष्टिकोण
भारत की रूस और यूक्रेन के बीच एक मध्यस्थ के रूप में संभावित भूमिका कई मायनों में महत्वपूर्ण हो सकती है। भारत की तटस्थ (neutral) विदेश नीति और उसके दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध उसे एक आदर्श मध्यस्थ बनाते हैं। इसके अलावा, भारत की वैश्विक स्तर पर बढ़ती प्रतिष्ठा और उसकी शांति की पहल को भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय में सराहना मिली है। [International peace initiative]
भारत के लिए यह मौका महत्वपूर्ण हो सकता है कि वह न केवल रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति स्थापित करने में भूमिका निभाए, बल्कि अपने वैश्विक नेतृत्व को भी मजबूत करे। अगर भारत इस वार्ता में सफल होता है, तो यह उसकी कूटनीतिक क्षमता (diplomatic capability) को और मजबूती प्रदान करेगा। [Strategic partnership]
चीन और ब्राजील की भूमिका
रूस के साथ-साथ चीन और ब्राजील भी इस वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। चीन ने हमेशा से रूस के साथ अपने संबंधों को बनाए रखा है और उसके पास आर्थिक और सैन्य ताकत भी है। [Global leadership] वहीं, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनेसियो लूला डा सिल्वा ने भी अंतरराष्ट्रीय मंच [Global leadership] पर शांति के लिए अपनी आवाज उठाई है। ब्राजील, जो दक्षिण अमेरिकी देशों में एक प्रमुख शक्ति (major power) है, इस वार्ता में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। [Diplomatic capability]
भारत की कूटनीतिक रणनीति
भारत ने हमेशा से विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है। भारत की नीति किसी भी देश का समर्थन या विरोध करने की बजाय बातचीत और समझौतों के माध्यम से समाधान ढूंढने की रही है। रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थ के रूप में भारत का नाम आना, उसकी इस नीति की सफलता को दर्शाता है। [Ukraine’s invasion]
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है और वह अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए काम करने की कोशिश करता रहा है। अब देखना यह है कि क्या भारत इस युद्ध को समाप्त करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा पाएगा।
रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष (Russia-Ukraine War) को समाप्त करने के लिए भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों की मध्यस्थता महत्वपूर्ण हो सकती है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा भारत पर भरोसा जताना यह दिखाता है कि भारत की कूटनीतिक क्षमता और उसकी वैश्विक प्रतिष्ठा में लगातार वृद्धि हो रही है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या इन देशों की मध्यस्थता से रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता संभव हो पाती है।
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