S-400 की ताकत के आगे बेबस पाकिस्तान, मिसाइल हमले ध्वस्त

S-400 की ताकत के आगे बेबस पाकिस्तान, मिसाइल हमले ध्वस्त

S400 air defence system | पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की कोशिश की, लेकिन भारतीय वायु सेना ने रूस निर्मित S-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणाली की ताकत से इसे पूरी तरह नाकाम कर दिया। यह कार्रवाई 10 मई, 2025 को तब हुई, जब पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले की कोशिश की। यह हमला भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा एक दिन पहले पाकिस्तान में चार और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में पांच आतंकवादी शिविरों पर सटीक हमलों के जवाब में था। S400 air defence system

S400 air defence system

S-400, जिसे दुनिया की सबसे उन्नत और घातक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों (SAM) में से एक माना जाता है, ने पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रोनों को हवा में ही नष्ट कर दिया। इस प्रणाली ने न केवल भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत किया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर इसकी ताकत का डंका भी बजाया है। आइए, S-400 की पूरी कहानी और इसके तकनीकी चमत्कार को विस्तार से समझते हैं।


S-400 ट्रायम्फ: एक परिचय

S-400 ट्रायम्फ, जिसे रूस में SA-21 ग्रॉलर के नाम से भी जाना जाता है, रूस के अल्माज-एंटे द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है। यह प्रणाली विमानों, क्रूज मिसाइलों, ड्रोनों और मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है। इसे पहली बार 2007 में रूसी सेना में शामिल किया गया था, और तब से यह वैश्विक रक्षा क्षेत्र में गेम-चेंजर साबित हुई है।

भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ 5.4 बिलियन डॉलर (लगभग 40,000 करोड़ रुपये) के सौदे पर हस्ताक्षर कर S-400 की पांच इकाइयां खरीदीं। पहली इकाई दिसंबर 2021 में भारत पहुंची, और अब तक तीन इकाइयां तैनात की जा चुकी हैं, जो पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हैं।


S-400 की प्रमुख विशेषताएं और तकनीकी क्षमता

S-400 को दुनिया की सबसे उन्नत लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  1. तीन प्रमुख घटक:
    • मिसाइल लांचर: S-400 विभिन्न प्रकार की मिसाइलों का उपयोग करता है, जैसे 48N6E3 (250 किमी रेंज), 40N6E (400 किमी रेंज), और 9M96E2 (120 किमी रेंज)। ये मिसाइलें अलग-अलग दूरी और लक्ष्यों के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
    • रडार सिस्टम: इसका 91N6E बिग बर्ड रडार 600 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और एक साथ 100 से अधिक लक्ष्यों पर नजर रख सकता है। यह स्टील्थ विमानों को भी पकड़ने में सक्षम है।
    • कमांड सेंटर: 55K6E कमांड सेंटर सभी घटकों को एकीकृत करता है और स्वचालित रूप से लक्ष्यों को प्राथमिकता देता है।
  2. लंबी दूरी और बहुमुखी प्रतिक्रिया:
    • यह प्रणाली 400 किलोमीटर तक की दूरी पर लक्ष्य को नष्ट कर सकती है और 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक प्रभावी है।
    • यह विमान, ड्रोन, क्रूज मिसाइलें और बैलिस्टिक मिसाइलें (3,000 किमी रेंज तक) को मार गिराने में सक्षम है।
    • इसकी मिसाइलें मैक 12 (12 गुना ध्वनि की गति) तक की रफ्तार से लक्ष्य को भेद सकती हैं।
  3. एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला:
    • S-400 एक साथ 36 लक्ष्यों को निशाना बना सकता है और 72 मिसाइलों को दाग सकता है।
    • इसका रडार 360-डिग्री कवरेज प्रदान करता है, जिससे यह किसी भी दिशा से आने वाले खतरों से निपट सकता है।
  4. स्टील्थ तकनीक का तोड़:
    • S-400 का रडार सिस्टम स्टील्थ तकनीक वाले विमानों और ड्रोनों को भी ट्रैक कर सकता है, जो इसे अमेरिका की पैट्रियट प्रणाली से कहीं अधिक प्रभावी बनाता है।
    • यह कम ऊंचाई पर उड़ने वाली क्रूज मिसाइलों को भी पकड़ने में माहिर है।
  5. मोबाइल और तेज तैनाती:
    • S-400 एक मोबाइल प्रणाली है, जिसे कुछ ही मिनटों में तैनात या स्थानांतरित किया जा सकता है।
    • यह कठिन मौसम और परिस्थितियों में भी प्रभावी ढंग से काम कर सकती है।

भारत में S-400 की तैनाती और उपयोग

भारत ने S-400 की तैनाती को रणनीतिक रूप से किया है ताकि पाकिस्तान और चीन दोनों से आने वाले खतरों से निपटा जा सके। इसकी तैनाती के प्रमुख बिंदु:

  • पहली इकाई: पंजाब में तैनात, जो पाकिस्तान से लगी सीमा की रक्षा करती है।
  • दूसरी इकाई: राजस्थान में, जो पश्चिमी सीमा और गुजरात के हवाई क्षेत्र को कवर करती है।
  • तीसरी इकाई: जम्मू-कश्मीर में, जो PoK और चीन की सीमा पर नजर रखती है।
  • चौथी और पांचवीं इकाई: 2025 के अंत तक तैनात होने की उम्मीद, जो पूर्वी सीमा (चीन) को मजबूत करेंगी।

10 मई, 2025 को पाकिस्तान ने भारत के उधमपुर, पठानकोट और भुज हवाई अड्डों पर HQ-9 मिसाइलों और शाहीन-III बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ हमला करने की कोशिश की। S-400 की तैनाती ने इन मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया। भारतीय वायु सेना के प्रवक्ता ग्रुप कैप्टन राहुल शर्मा ने बताया कि S-400 ने 12 में से 10 मिसाइलों को सफलतापूर्वक रोका, और बाकी दो मिसाइलें लक्ष्य से भटक गईं। इसके अलावा, S-400 ने पाकिस्तान के JF-17 थंडर फाइटर जेट्स और ड्रोनों को भी निशाना बनाया, जिससे पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ।


S-400 की वैश्विक स्थिति

S-400 ने वैश्विक रक्षा परिदृश्य में अपनी मजबूत छाप छोड़ी है। इसके कुछ प्रमुख पहलू:

  • खरीदार देश:
    • चीन: 2014 में पहला खरीदार, जिसने छह इकाइयां खरीदीं।
    • तुर्की: 2019 में खरीदा, जिसके कारण अमेरिका ने तुर्की पर CAATSA प्रतिबंध लगाए।
    • भारत: 2018 में सौदा, 2021 से तैनाती शुरू।
    • अन्य रुचि रखने वाले देश: सऊदी अरब, कतर, और बेलारूस।
  • नाटो के लिए खतरा: नाटो देश S-400 को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं, क्योंकि यह F-35 जैसे स्टील्थ विमानों को भी ट्रैक कर सकता है। तुर्की की खरीद के बाद नाटो ने इसे “रूसी प्रभाव का विस्तार” माना।
  • अमेरिकी प्रतिबंध: भारत ने CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) के बावजूद S-400 खरीदा। हालांकि, भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के कारण भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाए गए।

भारत के लिए S-400 का महत्व

S-400 ने भारत की रक्षा क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया है। इसके प्रमुख लाभ:

  1. पाकिस्तान और चीन के खिलाफ रक्षा: S-400 पाकिस्तान की मिसाइलों (जैसे शाहीन-III) और चीन की डोंगफेंग मिसाइलों को नाकाम कर सकता है।
  2. रणनीतिक संतुलन: यह भारत को क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करता है और चीन-पाकिस्तान गठजोड़ के खिलाफ मजबूत जवाब देता है।
  3. आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई: S-400 ने PoK में ड्रोन और मिसाइल हमलों को रोककर भारत की आतंकवाद-विरोधी नीति को मजबूत किया।
  4. हवाई क्षेत्र की सुरक्षा: यह भारत के प्रमुख सैन्य और नागरिक ठिकानों, जैसे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु, को हवाई हमलों से बचाता है।

चुनौतियां और भविष्य

S-400 की तैनाती के बावजूद कुछ चुनौतियां हैं:

  • रखरखाव और प्रशिक्षण: S-400 को संचालित करने के लिए उच्च प्रशिक्षित कर्मियों की जरूरत है। भारत ने रूस में सैन्य कर्मियों को प्रशिक्षण के लिए भेजा है।
  • लागत: 5.4 बिलियन डॉलर का सौदा भारत के रक्षा बजट पर भारी है।
  • तकनीकी एकीकरण: S-400 को भारत की स्वदेशी प्रणालियों, जैसे अकाश और बराक-8, के साथ एकीकृत करना एक जटिल प्रक्रिया है।

भविष्य में, भारत S-400 की तकनीक का उपयोग अपनी स्वदेशी लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली विकसित करने में कर सकता है। डीआरडीओ पहले ही प्रोजेक्ट कुशा पर काम कर रहा है, जो S-400 की तरह की क्षमताएं प्रदान करेगा।

S-400 ट्रायम्फ ने 10 मई, 2025 को पाकिस्तानी हमलों को नाकाम कर भारत की रक्षा क्षमता का लोहा मनवाया। यह प्रणाली न केवल भारत के हवाई क्षेत्र को सुरक्षित करती है, बल्कि क्षेत्र


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