आचार्य विद्यासागर महाराज की स्मृति में 100 रुपए का विशेष सिक्का जारी करेगा केंद्र सरकार

आचार्य विद्यासागर महाराज की स्मृति में 100 रुपए का विशेष सिक्का जारी करेगा केंद्र सरकार

Sant Acharya Vidyasagar Maharaj coin | इंदौर। केंद्र सरकार ने संत आचार्य विद्यासागर महाराज (Sant Acharya Vidyasagar Maharaj) की स्मृति में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उनके प्रथम समाधि दिवस (First Samadhi Day) के अवसर पर 100 रुपए का स्मारक सिक्का (100 Rupees Commemorative Coin) जारी किया जाएगा। यह पहली बार है जब किसी जैन संत (Jain Saint) के सम्मान में भारत सरकार इस प्रकार का विशेष सिक्का जारी कर रही है। इस ऐतिहासिक फैसले का जैन समाज (Jain Community) ने पूरे हृदय से स्वागत किया है।

गजट नोटिफिकेशन जारी, 6 फरवरी को होगा विमोचन

वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) ने 31 जनवरी (31 January) को गजट नोटिफिकेशन (Gazette Notification) जारी कर इस सिक्के की आधिकारिक घोषणा की। इस घोषणा से पूरे जैन समाज (Jain Community) में हर्ष की लहर दौड़ गई है। धर्म समाज प्रचारक (Religious Society Promoter) राजेश जैन (Rajesh Jain) ने इस फैसले को जैन समाज के लिए गौरव का क्षण (Moment of Pride) बताया। उन्होंने कहा कि यह सिक्का 6 फरवरी (6 February) को आचार्यश्री के प्रथम समाधि स्मृति दिवस (First Samadhi Memorial Day) पर विमोचित किया जाएगा।

सिक्के की विशेषताएँ: मिश्र धातु और डिज़ाइन

यह विशेष सिक्का (Special Coin) 44 मिलीमीटर व्यास (44 mm Diameter) का होगा और इसे मिश्र चतुर्धातु (Quadruple Alloy) से बनाया जाएगा। इस धातु में निम्नलिखित धातुएँ शामिल होंगी:

  • 50% चांदी (50% Silver)
  • 40% तांबा (40% Copper)
  • 5% निकल (5% Nickel)
  • 5% जस्ता (5% Zinc)

सिक्के के अग्र और पृष्ठ भाग का डिज़ाइन

सिक्के के अग्रभाग (Obverse Side) में अशोक स्तंभ (Ashoka Pillar) अंकित होगा, जिसके ठीक नीचे ‘सत्यमेव जयते’ (Satyameva Jayate) लिखा होगा। इसके अलावा, सिक्के पर भारत (Bharat) और INDIA भी अंकित किया जाएगा।

सिक्के के पृष्ठ भाग (Reverse Side) पर आचार्य विद्यासागर महाराज (Acharya Vidyasagar Maharaj) की प्रतिमा (Portrait) उकेरी जाएगी। उनके चित्र के बाईं ओर (Left Side) कमंडल (Kamandalu) और दाईं ओर (Right Side) पिच्छी (Picchi) का चित्रांकन होगा। सिक्के की ऊपरी परिधि (Upper Periphery) पर देवनागरी और अंग्रेजी (Devanagari and English) दोनों लिपियों में लिखा होगा – “संत शिरोमणि दिगंबर जैनाचार्य विद्यासागर महामुनिराज” (“Sant Shiromani Digambar Jainacharya Vidyasagar Mahamuniraj”)।

जैन समाज में हर्ष और गर्व का माहौल

इस ऐतिहासिक निर्णय के बाद जैन समाज में हर्षोल्लास (Joy and Excitement) का माहौल है। समाज के विभिन्न संगठनों और नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया और इसे धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर (Religious and Cultural Heritage) के संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।

इंदौर (Indore), जो आचार्यश्री के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है, इस अवसर को लेकर विशेष रूप से उत्साहित है। विभिन्न स्थानों पर समारोह और उत्सव (Ceremonies and Celebrations) आयोजित किए जा रहे हैं। समाज के लोगों का मानना है कि इस सिक्के का विमोचन न केवल आचार्य विद्यासागर महाराज की अनुपम विरासत (Unique Legacy) को सम्मानित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों (Future Generations) को उनके आदर्शों और शिक्षाओं (Ideals and Teachings) से प्रेरणा लेने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा।

विद्यासागर महाराज: एक संत, जिनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक

आचार्य विद्यासागर महाराज (Acharya Vidyasagar Maharaj) न केवल एक महान जैन संत (Jain Saint) थे, बल्कि उनकी शिक्षाएँ आध्यात्मिकता, अहिंसा और त्याग (Spirituality, Non-Violence, and Renunciation) पर आधारित थीं। उन्होंने अपने पूरे जीवन में समाज को सदाचार और नैतिक मूल्यों (Virtuous Conduct and Ethical Values) की सीख दी।

उनका जीवन सरलता, संयम और आत्मानुशासन (Simplicity, Restraint, and Self-Discipline) का प्रतीक रहा। उनके द्वारा स्थापित शिक्षा और धर्म केंद्र (Education and Religious Centers) आज भी उनके आदर्शों को आगे बढ़ा रहे हैं। सरकार द्वारा उनकी स्मृति में सिक्का जारी करना उनके योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने (Recognizing at the National Level) का प्रतीक है।

समारोह में गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति

6 फरवरी को होने वाले इस सिक्का विमोचन समारोह (Coin Release Ceremony) में कई गणमान्य व्यक्ति (Dignitaries) और राजनीतिक हस्तियाँ (Political Figures) शामिल होंगी। यह आयोजन न केवल जैन समाज के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण होगा।

भारत सरकार द्वारा आचार्य विद्यासागर महाराज के सम्मान में 100 रुपए का सिक्का जारी करना एक ऐतिहासिक निर्णय (Historic Decision) है। यह कदम न केवल जैन समुदाय (Jain Community) के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक गुरुओं की विरासत को संजोने और सम्मान देने की परंपरा जारी है।

इस सिक्के का विमोचन भारतीय समाज में आध्यात्मिकता और नैतिकता (Spirituality and Morality) के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य करेगा और आचार्यश्री की शिक्षाओं और आदर्शों (Teachings and Ideals) को व्यापक रूप से फैलाने में मदद करेगा। Sant Acharya Vidyasagar Maharaj coin


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