पितृ पक्ष के अंतिम दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान, तर्पण और पिंडदान की विधि
Sarvapitri Moksha Amavasya 2025 | 21 सितंबर 2025 को पितृ पक्ष की अंतिम तिथि, सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या, मनाई जाएगी। इसके अगले दिन, 22 सितंबर से नवरात्रि शुरू होगी। इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान, तर्पण, पिंडदान और दान जैसे कार्य करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन सभी ज्ञात और अज्ञात पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करने का विशेष अवसर है। आइए जानते हैं इस दिन की मान्यताएं, जरूरी चीजें, विधि और परंपराएं। Sarvapitri Moksha Amavasya 2025
मान्यताएं
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सभी पूर्वजों की तृप्ति: इस दिन किए गए श्राद्ध से सभी ज्ञात और अज्ञात पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति और मोक्ष प्राप्त होता है। यदि किसी पूर्वज की मृत्यु तिथि अज्ञात हो, तो इस दिन श्राद्ध करना विशेष फलदायी होता है।
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पितरों का आगमन और प्रस्थान: मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर देवता अपने वंशजों के घर आते हैं और सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर अपने धाम, पितृ लोक, लौट जाते हैं।
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आशीर्वाद और सुख-शांति: पितरों के लिए किए गए धूप-ध्यान और तर्पण से वे तृप्त होकर वंशजों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
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नदी स्नान की परंपरा: अमावस्या पर नदी स्नान का विशेष महत्व है। यदि नदी स्नान संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिश्रित पानी से स्नान करें।
जरूरी चीजें
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तर्पण के लिए: तिल, जौ, कुशा घास, गंगाजल, सफेद फूल, चावल, गाय का कच्चा दूध, तांबे का चौड़ा बर्तन।
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पिंडदान के लिए: चावल, तिल, जौ, गाय का कच्चा दूध।
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धूप-ध्यान के लिए: गाय के गोबर से बना कंडा, गुड़, घी, खीर-पूरी।
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दान के लिए: शुद्ध शाकाहारी भोजन, वस्त्र, दक्षिणा।
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अन्य: गौमूत्र (घर की शुद्धि के लिए), रंगोली सामग्री।
धूप-ध्यान और तर्पण की विधि
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सुबह की तैयारी:
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सुबह जल्दी उठें और गंगाजल मिश्रित पानी से स्नान करें।
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घर की सफाई करें, गौमूत्र का छिड़काव करें और घर के बाहर रंगोली बनाएं।
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घर के मंदिर में देवी-देवताओं की पूजा करें।
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पितरों की तृप्ति और मोक्ष के लिए संकल्प लें।
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दोपहर में धूप-ध्यान (कुतुप काल, लगभग 12 बजे):
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दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बाएं पैर को मोड़कर, घुटने को जमीन पर टिकाकर बैठें।
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तांबे के चौड़े बर्तन में जौ, तिल, चावल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल, सफेद फूल और पानी डालें।
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हाथ में कुशा घास लें और जल को हथेली में भरकर दाएं हाथ के अंगूठे की ओर से उसी बर्तन में 11 बार अर्पित करें, पितरों का ध्यान करते हुए।
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पिंडदान:
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चावल, तिल और जौ से पिंड तैयार करें।
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पितरों का ध्यान करते हुए पिंड अर्पित करें।
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गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं। जब धुआं बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़, घी और खीर-पूरी अर्पित करें।
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हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों का ध्यान करते हुए जमीन पर अर्पित करें।
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भोजन और दान:
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देवताओं, गाय, कुत्ते, कौए और चींटियों के लिए अलग-अलग भोजन निकालें।
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जरूरतमंद लोगों को शुद्ध शाकाहारी भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
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परंपराएं और सावधानियां
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सात्विक भोजन: इस दिन केवल शुद्ध शाकाहारी और सात्विक भोजन बनाएं। मांस, मदिरा या तामसिक भोजन से परहेज करें।
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शांति बनाए रखें: घर में गुस्सा या क्लेश न करें, क्योंकि इससे पितर देवता तृप्त नहीं होते। शांत और सौम्य व्यवहार रखें।
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दान का महत्व: गरुड़ पुराण और विष्णु पुराण के अनुसार, तिल, जौ, जल और भोजन का दान पितरों को तृप्त करता है।
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कुतुप काल: दोपहर 12 बजे का समय पितरों के लिए धूप-ध्यान और तर्पण के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
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पवित्रता: सभी कार्य शुद्ध मन और पवित्रता के साथ करें।
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर पितरों के लिए किए गए कार्यों से उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। यह दिन परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए विशेष महत्व रखता है। पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन श्राद्ध, तर्पण और दान अवश्य करें। Sarvapitri Moksha Amavasya 2025
नोट: यह जानकारीसामान्यज्योतिषीय और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। व्यक्तिगतपरिस्थितियों के लिए विद्वान पंडित या ज्योतिषी से परामर्श लें। Sarvapitri Moksha Amavasya 2025
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।