सावन मास : संपूर्ण व्रत कथा, महात्म्य और भगवान शिव की महिमा
Sawan Maas Mahatmya | सावन मास, हिंदू पंचांग का पांचवां महीना, भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र और आध्यात्मिक मास है। यह महीना वर्षा ऋतु का प्रतीक है, जब प्रकृति हरियाली की चादर ओढ़ लेती है और चारों ओर शांति व उल्लास का वातावरण बनता है। सावन मास में कई महत्वपूर्ण त्योहार जैसे हरियाली तीज, नाग पंचमी, रक्षाबंधन, नारियल पूर्णिमा, कजरी पूनम और पवित्रोपना मनाए जाते हैं। यह महीना भगवान शिव की भक्ति, जलाभिषेक और व्रत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। खासकर सावन के सोमवार, जिन्हें श्रावण सोमवार कहा जाता है, का विशेष महत्व है। कुंवारी कन्याएं और विवाहित महिलाएं इस दौरान मनचाहा वर और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए शिवजी की पूजा और व्रत रखती हैं। आइए, सावन मास की संपूर्ण व्रत कथा, इसके महात्म्य और भगवान शिव की महिमा को विस्तार से जानें। Sawan Maas Mahatmya
सावन मास का महत्व
सावन मास को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है, क्योंकि यह भगवान शिव और उनकी अर्धांगिनी पार्वती के प्रेम और तपस्या का प्रतीक है। शास्त्रों के अनुसार, इस मास में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसे चौमासा कहा जाता है। इस दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में होता है। यही कारण है कि सावन मास को शिव भक्ति और साधना के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है। सावन के प्रत्येक दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक, बिल्वपत्र अर्पण और शिव मंत्रों का जाप अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
इस मास में प्रकृति की हरियाली और वर्षा का संगम भक्तों के मन को शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। सावन के सोमवार को व्रत रखने और शिव मंदिरों में दर्शन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। सावन में शिव भक्ति का विशेष महत्व इसलिए भी है, क्योंकि इस महीने में भगवान शिव अपनी ससुराल (हिमालय) जाते हैं, जहां उनका स्वागत जलाभिषेक और भक्ति से किया जाता है। Sawan Maas Mahatmya
सावन मास की पौराणिक कथाएं
1. पार्वती की तपस्या और शिव से विवाह
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से पूछा कि सावन मास उन्हें इतना प्रिय क्यों है, तो शिवजी ने एक प्रेरक कथा सुनाई। देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपने शरीर का त्याग कर दिया था। इसके बाद, उन्होंने संकल्प लिया कि वे अगले जन्म में भी भगवान शिव को ही पति बनाएंगी। अगले जन्म में सती ने हिमाचल और मैना के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने सावन मास में कठोर तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न कर उनका वर प्राप्त किया। इस तपस्या के फलस्वरूप शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ। तभी से सावन मास भगवान शिव के लिए विशेष महत्व रखता है। इसीलिए कुंवारी कन्याएं सावन के सोमवार को व्रत रखकर मनचाहा वर मांगती हैं। Sawan Maas Mahatmya
2. मारकंडेय ऋषि की भक्ति
एक अन्य कथा के अनुसार, महर्षि मरकंडू के पुत्र मारकंडेय को अल्पायु होने का शाप था। उन्होंने सावन मास में भगवान शिव की कठोर तपस्या की और उनकी भक्ति से यमराज को भी पराजित कर दिया। भगवान शिव ने उन्हें दीर्घायु और अमरत्व का वरदान दिया। यह कथा सावन मास में शिव भक्ति की शक्ति को दर्शाती है।
3. समुद्र मंथन और नीलकंठ
सावन मास की एक और महत्वपूर्ण कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तो उसमें से हलाहल विष निकला, जो सृष्टि को नष्ट करने की शक्ति रखता था। भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए इस विष को अपने कंठ में समाहित कर लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया, जिसके कारण उन्हें नीलकंठ कहा गया। विष के दुष्प्रभाव को शांत करने के लिए देवताओं ने शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाया। तभी से सावन मास में शिवलिंग पर जलाभिषेक की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी प्रचलित है।
सावन मास के प्रमुख त्योहार
सावन मास में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं, जो इस महीने को और भी विशेष बनाते हैं:
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हरियाली तीज: यह त्योहार विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए मनाया जाता है। महिलाएं मेहंदी लगाकर, झूला झूलकर और शिव-पार्वती की पूजा करके यह पर्व मनाती हैं।
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नाग पंचमी: इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। लोग अपने घरों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए नागों को दूध और भोग अर्पित करते हैं।
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रक्षाबंधन: भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक यह त्योहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं।
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नारियल पूर्णिमा: दक्षिण भारत में इस दिन मछुआरे समुद्र और वरुण देवता की पूजा करते हैं और नारियल अर्पित करते हैं।
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कजरी पूनम: मध्य भारत में यह त्योहार फसलों की समृद्धि और वर्षा के लिए मनाया जाता है।
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पवित्रोपना: गुजरात में इस दिन लोग अपने पवित्र धागे (जनेऊ) को बदलते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं।
सावन सोमवार व्रत और पूजा विधि
सावन के सोमवार का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने का एक विशेष अवसर है। इस व्रत को रखने की विधि निम्नलिखित है:
व्रत विधि:
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प्रातः स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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शिव मंदिर दर्शन: नजदीकी शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर जल, दूध, बिल्वपत्र, धतूरा और शहद अर्पित करें।
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व्रत संकल्प: भगवान शिव के सामने व्रत का संकल्प लें। कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर और विवाहित महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करें।
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पूजा और मंत्र जाप: शिव पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा और शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भी शुभ माना जाता है।
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उपवास: पूरे दिन फलाहार या एक समय भोजन करें। कुछ लोग निर्जल व्रत भी रखते हैं।
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दान: जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें।
पूजा सामग्री:
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गंगा जल, दूध, शहद
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बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, अक की माला
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धूप, दीप, कपूर
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फल, मिठाई और पंचामृत
सावन मास का आध्यात्मिक महत्व
सावन मास साधना और भक्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस महीने में साधु-संत और भक्त शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। कांवड़ यात्रा भी सावन मास की एक प्रमुख परंपरा है, जिसमें भक्त गंगा जल लेकर पैदल यात्रा करते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। यह महीना न केवल भक्ति का, बल्कि आत्म-चिंतन और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने का भी समय है।
शास्त्रों में कहा गया है कि सावन मास में किए गए पुण्य कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है। शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन में भगवान शिव की भक्ति करने से मानसिक शांति, समृद्धि और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। Sawan Maas Mahatmya
सावन मास में क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
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प्रत्येक सोमवार को व्रत रखें और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
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शिव मंदिरों में दर्शन करें और बिल्वपत्र अर्पित करें।
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शिव मंत्रों और स्तोत्रों का पाठ करें।
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जरूरतमंदों को दान दें और सत्कर्म करें।
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सात्विक भोजन करें और प्रकृति के साथ समय बिताएं।
क्या न करें:
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मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहें।
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दूसरों का अपमान या बुराई न करें।
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अनावश्यक खर्च और क्रोध से बचें।
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व्रत के दौरान नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
सावनमास भगवानशिव और माता पार्वती की भक्ति का एक अनुपमअवसर है। इस महीने में की गई पूजा, व्रत और साधना न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी लाते हैं। सावन के प्रत्येकदिन को शिवभक्ति में समर्पित कर, भक्त अपने जीवन को और अधिक अर्थपूर्ण बना सकते हैं। इस सावन, भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत,पूजा और दान-पुण्य के कार्य करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को प्रकाशित करें। Sawan Maas Mahatmya
ॐ नमः शिवाय
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।