सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: नागरिकता कानून की धारा 6A वैध

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: नागरिकता कानून की धारा 6A वैध 

Section 6A of Citizenship Act | नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता कानून, 1955 की धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने तीन अलग-अलग जजमेंट दिए हैं। बहुमत के आधार पर धारा 6A को वैध करार दिया गया है, जिसमें असम में बांग्लादेश से आए शरणार्थियों के लिए नागरिकता प्राप्त करने की एक विशेष प्रक्रिया निर्धारित की गई थी। संविधान पीठ का यह निर्णय न केवल असम के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि देश में नागरिकता कानून और शरणार्थी नीति पर भी इसका दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है।

क्या है धारा 6A का महत्व?

भारतीय Section 6A of Citizenship Act का गठन विशेष रूप से असम के संदर्भ में किया गया था। इसके तहत बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) से 1 जनवरी 1966 से लेकर 25 मार्च 1971 तक असम में आए लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस कट-ऑफ तारीख को संवैधानिक रूप से सही ठहराया है और कहा कि यह तारीख इस क्षेत्र की ऐतिहासिक और सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप है।

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस फैसले को सुनाते हुए कहा कि 25 मार्च 1971 की कट-ऑफ डेट असम के लिए उचित और व्यावहारिक थी। मुख्य न्यायाधीश ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार इस कानून को देश के अन्य हिस्सों में भी लागू कर सकती थी, लेकिन असम की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसे केवल असम तक ही सीमित रखा गया।

असम की विशेष स्थिति और जनसांख्यिकी संकट

सुप्रीम कोर्ट ने असम की स्थिति को स्वतंत्रता के बाद पूर्वी पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों के संदर्भ में गंभीर बताया। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद असम में अवैध प्रवास की समस्या अन्य राज्यों की तुलना में अधिक थी, जिससे राज्य का जनसांख्यिकीय संतुलन प्रभावित हुआ। इसके परिणामस्वरूप राज्य के मूल निवासियों के राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों को खतरा पैदा हुआ। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि धारा 6A न तो अधिक समावेशी है और न ही कम समावेशी। यह एक संतुलित प्रावधान है जो असम की विशेष स्थिति के अनुरूप है। Section 6A of Citizenship Act

फैसले का महत्व

इस फैसले के बाद, 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच बांग्लादेश से असम आने वाले शरणार्थी भारतीय नागरिकता के लिए पात्र बने रहेंगे। इस दौरान जिन लोगों को नागरिकता मिली है, उनकी नागरिकता भी बरकरार रहेगी। Section 6A of Citizenship Act

असम के संदर्भ में यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस राज्य में लंबे समय से अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक तनाव बना रहा है। कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में दावा किया था कि 1966 के बाद से असम में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी शरणार्थियों के आने से राज्य की जनसांख्यिकी बिगड़ गई है और इसके परिणामस्वरूप राज्य के निवासियों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें –

[maxbutton id=”4″]

 

कानूनी और राजनीतिक दृष्टिकोण

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का कानूनी दृष्टिकोण से एक बड़ा प्रभाव है क्योंकि यह नागरिकता कानून के एक महत्वपूर्ण प्रावधान को वैध ठहराता है। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि नागरिकता कानून में धारा 6A को जोड़े जाने का उद्देश्य अवैध घुसपैठ को कानूनी मंजूरी देना नहीं था, बल्कि असम की स्थिति को स्थिर करना था।

असम समझौता और धारा 6A का संदर्भ

धारा 6A को असम समझौते के तहत नागरिकता कानून में जोड़ा गया था, जिसका उद्देश्य असम में शांति स्थापित करना और अवैध प्रवासियों के मुद्दे को हल करना था। इस समझौते के तहत, 25 मार्च 1971 की कट-ऑफ डेट निर्धारित की गई थी, जिसके बाद असम में आने वाले शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता के लिए पात्र नहीं माना जाएगा।

हमारे व्‍हाट्सएप्‍प चैनल को फॉलो करें – 

[maxbutton id=”3″]

 

फैसले का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

इस फैसले का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव असम के निवासियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, असम के मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए राज्य में जनसांख्यिकीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया गया है।

नागरिकता और आप्रवासन नीति पर भविष्य के प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारतीय नागरिकता कानून और देश की आप्रवासन नीति पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में नागरिकता के मुद्दे को स्थानीय सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों के आधार पर सुलझाया जा सकता है।

असम और पूर्वोत्तर भारत के लिए क्या है अगला कदम?

असम और पूर्वोत्तर भारत में नागरिकता के मुद्दे पर यह फैसला निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण मोड़ है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि इस फैसले के बाद राज्य में किस प्रकार की राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं देखने को मिलेंगी।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, यह सवाल भी उठता है कि असम में नागरिकता कानून के तहत आने वाले अन्य शरणार्थियों के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे और उनकी स्थिति क्या होगी।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला असम के नागरिकता संकट को कानूनी दृष्टिकोण से हल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह फैसला असम के निवासियों के अधिकारों की रक्षा करता है और राज्य के विशेष ऐतिहासिक और सामाजिक संदर्भ को ध्यान में रखता है।

 

यह खबर भी पढ़ें –

Leave a Comment

बाइक और स्कूटर चलाने वालों के लिए बड़ी खबर! Anti-Lock Braking System लो हो गया पंचायत सीजन 4 रिलीज, यहां देखें एमपी टूरिज्म का नया रिकॉर्ड, रिकॉर्ड 13 करोड़ पर्यटक पहुंचे Astronauts को सैलरी कितनी मिलती है MP CM Holi | होली के रंग में रंगे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव pm modi in marisas : प्रधानमंत्री मोदी मॉरीशस दौरे पर