शनिवार की शाम पीपल के नीचे दीपक जलाने के खास नियम: शनिदेव की कृपा और साढ़े साती से मुक्ति पाएं
Shaniwar ko Peepal Par Deepak Jalane ke Niyam | शनिवार की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष को पवित्र और देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। मान्यता है कि पीपल की जड़ों में भगवान विष्णु, तने में भगवान शिव और शाखाओं में ब्रह्माजी का वास होता है। इसके अलावा, शनिदेव का भी पीपल से विशेष संबंध है। शनिवार को पीपल के नीचे दीपक जलाने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है, और साढ़े साती या ढैया जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। लेकिन इस कार्य को करने के कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी है। आइए, सरल भाषा में जानते हैं पीपल के नीचे दीपक जलाने के 7 खास नियम और उनके महत्व। Shaniwar ko Peepal Par Deepak Jalane ke Niyam
1. सही समय में जलाएं दीपक
शनिवार की शाम को दीपक जलाने का सबसे शुभ समय शाम 5 बजे से 7 बजे के बीच होता है। इस समय सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सबसे अधिक होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रात 9 बजे के बाद दीपक जलाने से बचें क्योंकि इससे शुभ फल प्राप्त नहीं होते। सूर्यास्त के बाद और रात होने से पहले का समय दीपक जलाने के लिए सबसे उपयुक्त है।
2. सरसों के तेल का ही करें प्रयोग
पीपल के नीचे दीपक जलाते समय सरसों का तेल इस्तेमाल करें। शनिदेव को सरसों का तेल प्रिय है, और यह नवग्रहों की शांति के लिए भी लाभकारी माना जाता है। केवड़ा नारियल या अन्य सुगंधित तेलों का उपयोग करने से बचें, क्योंकि ये शनिवार के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते। दीपक में रुई की बत्ती डालें और इसे पीपल की जड़ के पास रखें।
3. दीपक जलाने के बाद करें परिक्रमा
दीपक जलाने के बाद पीपल के पेड़ की 7 परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। परिक्रमा करते समय शनिदेव और त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) का ध्यान करें। परिक्रमा दक्षिणावर्त (घड़ी की दिशा में) करें और हर परिक्रमा के साथ शनिदेव से अपने कष्टो को दूर करने की प्रार्थना करें। इससे शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
4. शनि चालीसा या मंत्र का करें जाप
दीपक जलाने के बाद तुरंत वहां से न जाएं। पीपल के नीचे कुछ देर रुकें और शनि चालीसा या शनि मंत्र (“ॐ शं शनैश्चराय नमः”) का जाप करें। यह जाप कम से कम 11 या 21 बार करें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। अगर समय कम हो, तो शनिदेव को प्रणाम करते हुए अपनी प्रार्थना जरूर करें।
5. दीपक में सिक्का डालने से बचें
कई लोग मानते हैं कि दीपक में सिक्का डालने से माता लक्ष्मी की कृपा मिलती है, लेकिन शनिवार को पीपल के नीचे दीपक जलाते समय ऐसा करना गलत है दीपक में केवल तेल और बत्ती ही रखें। यदि आप धन की कामना करते हैं, तो मंदिर में दान करें या किसी जरूरतमंद को भोजन दान करें। सिक्का डालने से शनिदेव की पूजा का प्रभाव कम हो सकता है।
6. स्वच्छता और शुद्धता का ध्यान रखें
दीपक जलाने से पहले अपने हाथ-पैर धोकर शुद्ध हो जाएं। हो सके तो स्नान कर लें। पीपल के नीचे साफ-सफाई का ध्यान रखें और वहां कोई कचरा न छोड़ें। दीपक जलाने के लिए मिट्टी का दीया उपयोग करें क्योंकि यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर है। दीपक को ऐसी जगह रखें जहां हवा से वह बुझे नहीं।
7. प्रार्थना और विश्वास के साथ करें पूजा
दीपक जलाते समय मन में शनिदेव के प्रति श्रद्धा और विश्वास रखें। अपनी समस्याएं, जैसे साढ़े साती, ढैया या अन्य परेशानियां शनिदेव के सामने रखें। प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन से कष्टों को दूर करें। पूजा के बाद पीपल के पेड़ को प्रणाम करें और उसे छूकर आशीर्वाद लें। यह कार्य आपके मन को शांति देगा और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा।
क्यों है पीपल के नीचे दीपक जलाना खास?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल का वृक्ष त्रिदेवों का निवास स्थान है। शनिदेव का पीपल से गहरा संबंध माना जाता है, क्योंकि यह पेड़ सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ऊर्जाओं को संतुलित करता है। शनिवार को दीपक जलाने से शनिदेव की कृपा मिलती है, और जीवन में चल रही परेशानियां, जैसे आर्थिक तंगी, स्वास्थ्य समस्याएं या पारिवारिक कलह कम हो सकती हैं।
अतिरिक्त उपाय शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए
- काले तिल का दान करें: शनिवार को काले तिल किसी मंदिर में दान करें या जरूरतमंद को दें।
- हनुमानजी की पूजा: शनिदेव के साथ हनुमानजी की पूजा भी करें। हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनिदेव की कृपा दोगुनी होती है।
- गरीबों को भोजन दान करें: शनिवार को उड़द दाल, काले चने या सरसों तेल से बनी चीजें दान करें।
शनि मंदिर में दर्शन: यदि संभव हो, तो शनिवार को शनि मंदिर जाएं और वहां सरसों का तेल चढ़ाएं।
सही समय का ध्यान रखें
- शुभ समय: शाम 5 बजे से 7 बजे के बीच।
- बचें: रात 9 बजे के बाद दीपक न जलाएं।
सरसों के तेल का उपयोग करें
- तेल: केवल सरसों का तेल इस्तेमाल करें।
- बचें: केवड़ा, नारियल या सुगंधित तेलों से परहेज करें।
- बत्ती: रुई की बत्ती का उपयोग करें।
परिक्रमा अवश्य करें
- संख्या: 7 परिक्रमा करें।
- दिशा: दक्षिणावर्त (घड़ी की दिशा में)।
- ध्यान: शनिदेव और त्रिदेव का ध्यान करें।
शनि चालीसा या मंत्र का जाप
- जाप: शनि चालीसा या “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 11 या 21 बार जाप करें।
- प्रार्थना: दीपक जलाने के बाद कुछ देर रुककर प्रार्थना करें।
दीपक में सिक्का न डालें
- बचें: दीपक में सिक्का डालने से शनिदेव की पूजा का प्रभाव कम हो सकता है।
- वैकल्पिक: मंदिर में दान करें या जरूरतमंद को भोजन दें।
स्वच्छता और शुद्धता
- शुद्धता: दीपक जलाने से पहले हाथ-पैर धोएं या स्नान करें।
- सफाई: पीपल के नीचे साफ-सफाई रखें, कचरा न छोड़ें।
- दीया: मिट्टी का दीया उपयोग करें।
श्रद्धा और विश्वास
- प्रार्थना: शनिदेव से कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करें।
- आशीर्वाद: पूजा के बाद पीपल को प्रणाम करें और छूकर आशीर्वाद लें।
अतिरिक्त उपाय
- काले तिल या उड़द दाल का दान करें।
- हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- शनि मंदिर में सरसों का तेल चढ़ाएं।
- गरीबों को भोजन दान करें।
शनिवार की शाम पीपल के नीचे दीपक जलाना शनिदेव को प्रसन्न करने और साढ़े साती, ढैया जैसी समस्याओं से मुक्ति पाने का प्रभावी उपाय है। उपरोक्त 7 नियमों का पालन करके आप इस पूजा को और फलदायी बना सकते हैं। श्रद्धा और विश्वास के साथ यह कार्य करें, और शनिदेव की कृपा से आपके जीवन में सुख-समृद्धि आएगी।
यह भी पढें….
आज का राशिफल: मेष, मिथुन, तुला और मीन राशि के लिए धन और समृद्धि का विशेष योग
मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।