Share Market crash | शेयर बाजार में बड़ा झटका: निवेशकों को भारी नुकसान
Share Market crash | गुरुवार का दिन घरेलू शेयर बाजार के लिए बेहद निराशाजनक रहा, जब सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में तीव्र गिरावट देखी गई। वैश्विक बाजारों में चल रहे उथल-पुथल और विशेष रूप से पश्चिम एशिया में ईरान और इस्राइल के बीच बढ़ते तनाव ने निवेशकों को बेहद सतर्क बना दिया है। इस सतर्कता का परिणाम भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली के रूप में सामने आया, जिससे प्रमुख सूचकांकों ने दोपहर के सत्र में भारी गिरावट दर्ज की।
सेंसेक्स और निफ्टी में जोरदार गिरावट
बीएसई सेंसेक्स में दिन भर के कारोबार के दौरान 1800 अंकों से अधिक की गिरावट आई, और यह 82,455.08 के स्तर तक पहुंच गया। दिन के अंत में सेंसेक्स 1,769.19 अंक यानी 2.09% की गिरावट के साथ 82,497.10 पर बंद हुआ। दूसरी ओर, निफ्टी भी इस दबाव से अछूता नहीं रहा और 546.81 अंकों की भारी गिरावट के साथ 25,250.10 पर बंद हुआ, जो 2.12% की गिरावट को दर्शाता है।
बाजार पूंजीकरण में भारी गिरावट
इस गिरावट का असर सिर्फ सूचकांकों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण भी 5.63 लाख करोड़ रुपये घटकर 469.23 लाख करोड़ रुपये रह गया। निवेशकों को इस गिरावट से लगभग 11 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।
पश्चिम एशिया में तनाव से बाजार में बेचैनी
इस भारी गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण पश्चिम एशिया में बढ़ता तनाव है। ईरान द्वारा इस्राइल पर बैलिस्टिक मिसाइल दागे जाने की खबरों ने वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ा दी है। इस घटना के बाद से इस्राइल और लेबनान के बीच जारी संघर्ष ने कच्चे तेल की आपूर्ति को लेकर चिंता बढ़ा दी है। अगर यह संघर्ष और बढ़ता है तो कच्चे तेल की आपूर्ति में रुकावट आ सकती है, जिसका सीधा असर भारत जैसे देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा जो कि तेल आयात पर निर्भर हैं।
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल
इस तनाव का प्रभाव कच्चे तेल की कीमतों पर भी पड़ा है। ब्रेंट क्रूड की कीमतें 75 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई हैं, जबकि बेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड 72 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। इन बढ़ी हुई कीमतों से भारत जैसे देशों के आयात बिलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, क्योंकि कच्चा तेल देश की आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वायदा कारोबार के नियमों का असर
सेबी द्वारा हाल ही में वायदा और विकल्प (F&O) सेगमेंट के नियमों में बदलाव की मंजूरी भी इस गिरावट का एक प्रमुख कारण रही। नए नियमों में साप्ताहिक एक्सपायरी को एक दिन तक सीमित करना और अनुबंध आकार को बढ़ाना शामिल है। इन सख्त नियमों ने रिटेल निवेशकों के बीच चिंता बढ़ाई है, जिससे बाजार में ट्रेडिंग की मात्रा घटने की आशंका है। इस अनिश्चितता ने निवेशकों को और सतर्क कर दिया है।
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चीन का प्रभाव और विदेशी निवेशक
चीन के शेयर बाजार में हालिया मजबूती ने भी भारतीय बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। चीनी शेयरों में तेजी के बाद वैश्विक निवेशकों ने भारतीय बाजारों से अपना पैसा निकालना शुरू कर दिया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पिछले दो कारोबारी सत्रों में भारतीय शेयर बाजार से 15,370 करोड़ रुपये निकाले हैं, जिससे बाजार पर और अधिक दबाव बढ़ा है।
रुपया कमजोर, निवेशकों की चिंता बढ़ी
गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया भी 11 पैसे कमजोर होकर 83.93 पर आ गया। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और विदेशी निवेशकों द्वारा पैसे की निकासी से रुपया कमजोर हुआ है। इसका सीधा असर भारतीय बाजारों पर देखने को मिल रहा है, जिससे निवेशकों की चिंता और बढ़ गई है।
किन शेयरों ने दी सबसे बड़ी चोट?
सेंसेक्स के जिन प्रमुख शेयरों ने इस गिरावट में सबसे बड़ा योगदान दिया, उनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एमएंडएम, एलएंडटी और भारती एयरटेल प्रमुख रहे। इन कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, कुछेक कंपनियां जैसे जेएसडब्ल्यू स्टील और टाटा स्टील ने बढ़त दर्ज की, लेकिन ये बाजार की गिरावट को थामने में नाकाफी रहीं।
निफ्टी ऑयल एंड गैस इंडेक्स में भी गिरावट
मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव का असर निफ्टी के ऑयल एंड गैस इंडेक्स पर भी पड़ा। इस इंडेक्स में 1.2% से अधिक की गिरावट आई, और हिंदुस्तान पेट्रोलियम, आईओसी और जीएसपीएल के शेयर सबसे ज्यादा दबाव में रहे। इस गिरावट का कारण तेल की बढ़ती कीमतों और आपूर्ति पर अनिश्चितता को बताया जा रहा है।
इंडिया VIX में उछाल
बाजार की अस्थिरता को मापने वाला इंडिया VIX भी 8.9% बढ़कर 13.06 पर पहुंच गया। यह बढ़ोतरी बाजार में निवेशकों की बढ़ती चिंता और अस्थिरता को दर्शाता है। VIX में यह उछाल बताता है कि निवेशक बाजार में और गिरावट की संभावना को लेकर सतर्क हैं।
आगे की स्थिति
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, पश्चिम एशिया में तनाव के साथ-साथ कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, सेबी के नए वायदा कारोबार नियम और विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी के चलते भारतीय शेयर बाजार पर दबाव बना रहेगा। जब तक इन चुनौतियों का समाधान नहीं होता, बाजार में स्थिरता लौटने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है।
निवेशकों को फिलहाल सावधानी से कदम उठाने की सलाह दी जा रही है, क्योंकि वैश्विक और घरेलू कारकों का प्रभाव शेयर बाजार पर पड़ता रहेगा।
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