झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन झारखंड राज्य के गठन में था बड़ा योगदान

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन झारखंड राज्य के गठन में था बड़ा योगदान

Shibu Soren Death News | झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का 4 अगस्त 2025 को दिल्ली के श्री गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। 81 वर्षीय शिबू सोरेन, जिन्हें प्यार से ‘गुरुजी’ और ‘दिशोम गुरु’ कहा जाता था, पिछले एक महीने से किडनी संबंधी गंभीर बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती थे। जून 2025 के अंतिम सप्ताह में उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था, और हाल के दिनों में उनकी स्थिति अत्यंत नाजुक हो गई थी, जिसके कारण उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, शिबू सोरेन का निधन सुबह 8:56 बजे हुआ, जब वह लंबी बीमारी और स्ट्रोक के बाद जीवन रक्षक प्रणाली पर थे। Shibu Soren Death News

झारखंड आंदोलन के नायक

शिबू सोरेन झारखंड की राजनीति और आदिवासी आंदोलन के एक स्तंभ थे। उन्होंने 1970 के दशक में झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की और आदिवासी समुदायों के अधिकारों के लिए अथक संघर्ष किया। उनके नेतृत्व में JMM ने आदिवासी इलाकों में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक चेतना का अभियान चलाया, जिसने झारखंड को बिहार से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 15 नवंबर 2000 को झारखंड भारत का 28वां राज्य बना, और इसमें शिबू सोरेन का योगदान ऐतिहासिक रहा।

शिबू सोरेन ने तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया—पहली बार 2005 में 10 दिनों के लिए, फिर 2008-2009 और 2009-2010 तक। इसके अलावा, वे आठ बार दुमका से लोकसभा सांसद रहे और वर्तमान में राज्यसभा सांसद थे। उन्होंने केंद्र में तीन बार कोयला मंत्री के रूप में भी कार्य किया, जिससे आदिवासी क्षेत्रों में खनन और विकास के मुद्दों पर उनकी आवाज राष्ट्रीय मंच तक पहुंची।

स्वास्थ्य संघर्ष और अंतिम दिन

शिबू सोरेन लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। 2023 में उन्हें सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ों में संक्रमण के कारण रांची के मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया था। इसके बाद, जून 2025 में किडनी संबंधी समस्याओं के कारण उन्हें दिल्ली के श्री गंगा राम अस्पताल में भर्ती किया गया। उनकी हालत हाल के दिनों में गंभीर हो गई थी, और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। 2 अगस्त 2025 को उनकी हालत को अत्यंत नाजुक बताया गया था, और कई प्रमुख हस्तियों, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार शामिल थे, ने अस्पताल में उनकी स्थिति का जायजा लिया था।

उनके निधन की पुष्टि उनके पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की, जिन्होंने एक भावुक पोस्ट में लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूँ…”। हेमंत सोरेन उस समय अस्पताल में ही मौजूद थे और अपने पिता के अंतिम क्षणों में उनके साथ थे।

झारखंड में शोक की लहर

शिबू सोरेन के निधन की खबर फैलते ही पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई। JMM कार्यकर्ताओं, समर्थकों और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उनकी मृत्यु को झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत माना जा रहा है। JMM के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, “गुरुजी का जाना केवल JMM के लिए नहीं, बल्कि पूरे झारखंड के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका योगदान हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।”

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, जो स्वयं झारखंड से हैं, ने शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “उनका आदिवासी समुदाय और झारखंड राज्य के लिए योगदान अविस्मरणीय है। वे एक प्रेरणादायक नेता थे, जिन्होंने सामाजिक न्याय के लिए जीवन समर्पित किया।” दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।

शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को हुआ था। उन्होंने 1970 के दशक में झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की और आदिवासी अधिकारों के लिए एक आंदोलन शुरू किया। उनकी अगुवाई में JMM ने खनन क्षेत्रों में आदिवासियों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई और सामाजिक-आर्थिक सुधारों की मांग की। वे 1980 से 1984, 1989 से 1998, और 2002 से 2019 तक दुमका से लोकसभा सांसद रहे।

हालांकि, उनका राजनीतिक जीवन विवादों से भी घिरा रहा। 1994 में उनके निजी सचिव शशिनाथ झा की हत्या के मामले में उन्हें 2006 में दोषी ठहराया गया था, लेकिन बाद में वे इस मामले में बरी हो गए। इन विवादों के बावजूद, उनकी छवि एक जननेता के रूप में बनी रही, जो आदिवासी समुदायों के लिए समर्पित था।

परिवार और विरासत

शिबू सोरेन अपनी पत्नी रूपी कisku, तीन बेटों—दुर्गा सोरेन, हेमंत सोरेन, और बसंत सोरेन—और बेटी अंजलि सोरेन के साथ अपने परिवार में जीवित हैं। उनके बड़े बेटे दुर्गा सोरेन, जो 1995 से 2005 तक जामा से विधायक रहे, का निधन हो चुका है। हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं, और बसंत सोरेन दुमका से विधायक और झारखंड युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं।

शिबू सोरेन की विरासत उनके परिवार और JMM के माध्यम से जीवित रहेगी। अप्रैल 2025 में JMM के 13वें महाधिवेशन में उन्हें पार्टी का ‘संस्थापक संरक्षक’ चुना गया था, और हेमंत सोरेन को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था।

झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति

शिबू सोरेन का निधन झारखंड की राजनीति और समाज के लिए एक बड़ा झटका है। उनके नेतृत्व ने न केवल झारखंड को एक अलग राज्य की पहचान दी, बल्कि आदिवासी समुदायों को सामाजिक और राजनीतिक मंच पर सशक्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके निधन के बाद पूरे राज्य में शोक सभाएं आयोजित की जा रही हैं, और लोग उनके योगदान को याद कर रहे हैं। Shibu Soren Death News

झारखंड सरकार ने उनके सम्मान में तीन दिन के राजकीयशोक की घोषणा की है। उनके अंतिम संस्कार की तैयारियांरांची में शुरू हो गई हैं, जहां हजारों लोग उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए जुट रहे हैं। शिबू सोरेन का योगदान और उनकीविरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी। Shibu Soren Death News


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