Supreme Court Stay on Bulldozer Action | अपराधियों को सजा देना अदालत का काम, सरकारी एजेंसियों का नहीं: सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court Stay on Bulldozer Action | सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देशभर में Bulldozer Action पर 1 अक्टूबर 2024 तक Stay Order जारी किया है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगली Hearing तक बिना कानूनी प्रक्रिया के किसी भी प्रकार की Demolition कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस आदेश का उद्देश्य नागरिक अधिकारों की सुरक्षा और कानून के पालन को सुनिश्चित करना है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट की Bench, जिसमें जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे, ने केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की आपत्तियों के बावजूद कहा कि अगर बुलडोजर एक्शन को दो हफ्तों के लिए रोक दिया जाता है, तो इससे कोई गंभीर स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। अदालत ने कहा, “अगर कार्रवाई को 15 दिनों के लिए रोका जाए तो आसमान नहीं फटेगा।” Court ने केंद्र को यह स्पष्ट करने का भी निर्देश दिया कि इस अवधि में किसी भी Illegal Encroachment को हटाने के लिए Bulldozer का उपयोग नहीं किया जाएगा। [Supreme Court Stay on Bulldozer Action]
अवैध अतिक्रमण पर रोक नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि सड़कों, फुटपाथों, और रेलवे लाइनों पर बने Illegal Structures और अवैध अतिक्रमण को इस आदेश से अलग रखा गया है। इसका मतलब यह है कि Public Property पर किए गए अवैध कब्जों को हटाने के लिए Demolition Action जारी रह सकता है, लेकिन इसके लिए भी कानूनी प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। [Supreme Court Stay on Bulldozer Action]
केंद्र सरकार की आपत्ति
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इस तरह के आदेश से संवैधानिक संस्थाओं के हाथ बंध सकते हैं। उन्होंने कहा कि बिना उचित कारण के इस तरह की Legal Proceedings को रोकना गलत होगा। उन्होंने अदालत से अपील की कि वह इस पर पुनर्विचार करे, ताकि सरकारी एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम कर सकें। [Supreme Court Stay on Bulldozer Action]
कोर्ट की प्रतिक्रिया
जस्टिस गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने केंद्र की आपत्तियों का जवाब देते हुए कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि कानून का पालन हो, और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जाए।” कोर्ट ने यह भी कहा कि बिना उचित Legal Procedure के किसी के घर या संपत्ति पर बुलडोजर चलाना कानून का उल्लंघन है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
अदालत का दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस आदेश का उद्देश्य कानून और व्यवस्था बनाए रखना है। अदालत ने कहा कि यह आदेश सार्वजनिक सड़कों या अन्य सरकारी संपत्तियों पर अवैध अतिक्रमण को संरक्षण देने के लिए नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए है कि कोई भी Government Agency बिना कानूनी प्रक्रिया के निजी संपत्तियों पर Bulldozer कार्रवाई न करे। कोर्ट ने सुझाव दिया कि भविष्य में इस प्रकार की कार्रवाइयों के लिए एक National Guideline बनाई जा सकती है, ताकि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इसका पालन करें। [Supreme Court Stay on Bulldozer Action]
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “अगर किसी का बेटा आरोपी है, तो इसका मतलब यह नहीं कि उसके पिता का घर गिरा दिया जाए।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक गलत तरीका है और ऐसा करना कानून का दुरुपयोग है। अदालत ने कहा कि अपराधियों को सजा देने का काम अदालत का है, न कि सरकारी एजेंसियों का। इसलिए, बिना किसी Court Verdict के इस तरह की Arbitrary Actions गलत हैं।
पिछले मामलों में सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
इससे पहले 12 सितंबर 2024 को भी सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा है। उस समय जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने कहा था कि बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए इस तरह की कार्रवाइयों को रोकने की जरूरत है। [Supreme Court Stay on Bulldozer Action]
गुजरात का मामला
यह मामला तब प्रकाश में आया जब गुजरात के खेड़ा जिले के कठलाल में एक परिवार को बुलडोजर एक्शन की धमकी दी गई। परिवार के खिलाफ 1 सितंबर 2024 को एक FIR दर्ज की गई थी, और इसके बाद नगरपालिका ने उन्हें अवैध अतिक्रमण के तहत उनकी संपत्ति को गिराने की धमकी दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में भी हस्तक्षेप करते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और गुजरात सरकार और नगर निगम को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है। अदालत ने यह सुनिश्चित किया है कि बिना कानूनी प्रक्रिया के कोई भी Demolition Drive नहीं चलाई जाएगी। यह आदेश नागरिकों के लिए राहत का काम करेगा, लेकिन साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक संपत्तियों पर अवैध कब्जों को हटाने की प्रक्रिया जारी रहेगी। Judicial Oversight और कानून की प्रक्रिया के बिना इस तरह के बुलडोजर एक्शन को अब कानूनी रूप से चुनौती दी जा सकती है, जिससे नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जा सकेगी। [Supreme Court Stay on Bulldozer Action]
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।