सुसनेर। स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय सुसनेर में प्राचार्य डॉ. जी. सी. गुप्ता की अध्यक्षता, गोविंद वेदिया, स्थायी सदस्य विद्या भारती मालवा प्रांत के मुख्य आतिथ्य एवं डॉ. जगदीश प्रसाद कुलमी,अध्यक्ष भारतीय शिक्षण मंडल जिला आगर मालवा के विशेष आतिथ्य में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ एवं रेड रिबन क्लब के संयुक्त तत्वावधान में गुरु शिष्य परंपरा एवं व्यास पूजा की महत्ता विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।कार्यशाला का शुभारंभ माँ सरस्वती एवं युवाओं के प्रेरणापुंज प्रतीक पुरुष स्वामी विवेकानंद के छायाचित्र पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन तथा अतिथियों के स्वागत के साथ हुआ ।
तत्पश्चात सहायक प्राध्यापक काशीराम प्रजापति ने उपस्थित अतिथियों का आत्मीय स्वागत करते हुए उनका परिचय कराया। सर्वप्रथम भारतीय शिक्षण मंडल के जिला सचिव डॉ.सुखदेव बैरागी ने भौतिकी के क्षेत्र में विभिन्न देशों की खोजों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत में उत्कृष्ट और उल्लेखनीय खोज पूर्व में हो चुकी थी, उन्हीं का विस्तृत व गहन अध्ययन करके विदेशी अध्यताओं ने अपना नाम आविष्कारों के रूप में दर्ज करा लिया।तत्पश्चात डॉ जगदीश प्रसाद कुलमी ने भारतीय शिक्षण मंडल के गठन से लेकर वर्तमान तक उसकी विकास यात्रा की चर्चा करते हुए इसकी स्थापना के उद्देश्य बताएँ। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने का श्रेय भारतीय शिक्षण मंडल का है। मुख्य वक्ता गोविंद वेदिया ने गुरु शिष्य परंपरा एवं व्यास पूजा पर सारगर्भित एवं प्रेरणाबोधक वक्तव्य में कहा कि प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति गुरुकुल की अवधारणाओं को स्पष्ट करते हुए विभिन्न उदाहरणों,श्लोको एवं अनेकों युक्तियों के माध्यम से गुरु शिष्य परंपरा पर प्रकाश डाला। बेदिया ने कहा कि श्री राम और श्री कृष्ण स्वयं भगवान के अवतार होते हुए भी गुरुओं की शरण में जाकर अपनी जीवन यात्रा को सार्थक बनाया । जो युगों से चली आ रही भारतीय गुरु शिष्य परंपरा के प्रतीक हैं। उन्होंने अंग्रेजी शासन में लॉर्ड मैकाले द्वारा जारी शिक्षा पद्धति के दुष्परिणाम गिनाएँ।
स्वतंत्र भारत की शिक्षा नीतियों का भी उल्लेख करते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा जो सभी विषयों में, सभी क्षेत्रों में, सभी आयामों में फैली हुई है,किंतु उनसे वह अनभिज्ञ हैं, अनजान है, अपरिचित है, उन्हें इस परंपरा का बोध कराने, जीवन में आत्मसात कराने तथा भारतीय परंपरा से परिपूर्ण तरीके से अवगत कराने हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रत्येक कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया। जिससे आने वाली युवा पीढ़ी को भारतीय ज्ञान परंपरा, हमारे प्राचीन भारत की ज्ञानधारा को और उसके इतिहास को जान सके। इसके पश्चात वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ आर व्ही गुप्ता ने उपस्थित विद्यार्थियों एवं स्टॉफ सदस्यों को स्वास्थ्य जागरूकता संदेश देते हुए सदैव स्वस्थ रहने की अपील की। प्राचार्य डॉ गुप्ता ने आभार व्यक्त किया तथा संचालन कार्यशाला समन्वयक रमेश जमरा ने किया।इस अवसर पर बड़ी संख्या में विद्यार्थियों सहित सहायक प्राध्यापक आकांक्षा श्रीवास्तव,रामकुमार अंजोरिया,आदिश कुमार जैन,मुकेश कुमार दांगी,मनोज दुबे,डॉ.कमल जटिया,डॉ रेखा चंद्रपाल,सीमा मुवेल,श्रद्धा पांडे, कार्यालयीन स्टॉफ कैलाश चंद्र सोलंकी,अब्दुल समद खान, नीरज भावसार, सागर भारती, गायत्री परमार,अनिल चौहान, गणेश सोनी,नितेश राठौर,प्रिया मीणा,सुधीर आदि उपस्थित रहे।
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