शिक्षकों की Geo-Tagging (जियो टैगिंग) से हाजिरी अनिवार्य, हाई कोर्ट ने याचिका की खारिज
हाई कोर्ट का निर्देश – App (एप) बनाकर सुनिश्चित करें उपस्थिति, निजता का न हो उल्लंघन
Teacher Attendance Geo-Tagging | ग्वालियर | सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए अब Geo-Tagging (जियो टैगिंग) से हाजिरी लगानी होगी। इस संबंध में Vidisha (विदिशा) जिला पंचायत के CEO (सीईओ) के आदेश को हाई कोर्ट ने सही ठहराते हुए शिक्षकों की याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही, कोर्ट ने मप्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक App (एप) या कोई अन्य Mechanism (मैकेनिज्म) तैयार करे, जिससे उपस्थिति दर्ज की जा सके और निजता भी सुरक्षित रहे।
हाई कोर्ट ने शिक्षकों की याचिका की खारिज
28 नवंबर 2024 को विदिशा के District Panchayat CEO (जिला पंचायत सीईओ) ने आदेश जारी किया था कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों, स्टाफ और विद्यार्थियों की उपस्थिति Geo-Tagging (जियो टैगिंग) के माध्यम से दर्ज की जाए। इस आदेश को दो प्राथमिक शिक्षकों Mahesh Kumar Koli (महेश कुमार कोली) और Hariprasad Yadav (हरिप्रसाद यादव) ने चुनौती दी थी। उन्होंने तर्क दिया कि यह आदेश मनमाना है और मप्र शासन ने इस संबंध में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया है। साथ ही, उन्होंने यह भी चिंता जताई कि Geo-Tagging (जियो टैगिंग) के चलते महिला शिक्षकों और छात्राओं के फोटो Online (ऑनलाइन) भेजे जा रहे हैं, जिससे Data Leak (डेटा लीक) और Misuse (दुरुपयोग) की संभावना बनी रहती है।
कोर्ट का फैसला – आदेश उचित, निजता का रखें ध्यान
31 जनवरी 2025 को सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद शिक्षकों ने Division Bench (डिवीजन बेंच) में अपील दायर की, जिसे भी गुरुवार को खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश केवल शिक्षकों, स्टाफ और विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए दिया गया है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि महिला शिक्षक और छात्राएं अपने फोटो के स्थान पर स्कूल के Principal (प्रिंसिपल) का फोटो या कक्षा में मौजूद विद्यार्थियों का फोटो भेज सकती हैं। इससे उनकी उपस्थिति की निगरानी भी हो सकेगी और निजता का हनन भी नहीं होगा।
हाई कोर्ट ने मप्र शासन को दिया नया निर्देश
हाई कोर्ट ने मप्र शासन को निर्देश दिया है कि वह एक App (एप) तैयार करे, जिससे उपस्थिति दर्ज करने की प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में उपयोग किए जा रहे Sarthak App (सार्थक एप) जैसे किसी एप या अन्य Digital System (डिजिटल सिस्टम) के माध्यम से उपस्थिति सुनिश्चित की जा सकती है।
शिक्षा की गुणवत्ता पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर भी चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि दो साल पहले एक मामला सामने आया था, जिसमें एक सरकारी स्कूल से 5th Pass (पांचवीं पास) छात्रा कोर्ट में आई थी। जब उसे Hindi (हिंदी) पढ़ने के लिए कहा गया तो वह ठीक से दो लाइन भी नहीं पढ़ पाई। कोर्ट ने कहा कि यदि पांचवीं पास छात्रा हिंदी तक नहीं पढ़ पा रही है, तो यह राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को लेकर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। इससे साफ होता है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की जरूरत है।
क्या कहते हैं अतिरिक्त महाधिवक्ता?
मप्र सरकार की ओर से मामले की पैरवी कर रहे Additional Advocate General (अतिरिक्त महाधिवक्ता) Vivek Khedkar (विवेक खेडकर) ने कहा कि सीईओ विदिशा का यह आदेश पूरी तरह विधिसम्मत है और इसका उद्देश्य सिर्फ उपस्थिति सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट का यह निर्णय मप्र के सभी सरकारी स्कूलों में अनुशासन और उपस्थिति को बेहतर बनाएगा।
हाई कोर्ट का यह निर्णय शिक्षकों और विद्यार्थियों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए लिया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि निजता का उल्लंघन न हो, इसके लिए App (एप) आधारित उपस्थिति प्रणाली विकसित की जानी चाहिए। यह आदेश सरकारी स्कूलों की शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने और उसमें पारदर्शिता लाने के लिए उठाया गया एक प्रभावी कदम माना जा सकता है। Teacher Attendance Geo-Tagging
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।