क्या ‘कांतारा: चैप्टर 1’ पर है देवताओं का श्राप? सेट बना डर और मौत का अड्डा
The mysterious and deadly sets of Kantara | ऋषभ शेट्टी की बहुप्रतीक्षित फिल्म कांतारा: चैप्टर 1 का सेट इन दिनों एक फिल्म स्टूडियो से ज़्यादा एक भूतहा क्षेत्र बनता जा रहा है। 2022 की कांतारा ने जहां दर्शकों को पंजुरली और गुलिगा जैसे लोकदेवताओं की शक्ति से रूबरू करवाया था, वहीं अब इसका प्रीक्वल खुद उन्हीं शक्तियों के कोप का शिकार बनता नज़र आ रहा है। The mysterious and deadly sets of Kantara
लगातार हो रही दुर्घटनाएं, अकाल मृत्यु, और डर की छाया — सवाल उठा रही हैं कि क्या इस फिल्म पर दैवीय श्राप है? क्या कांतारा की आत्माएं फिल्म के निर्माण से नाराज़ हैं? The mysterious and deadly sets of Kantara
एक नहीं, कई डरावने हादसे — श्राप की गवाही?
1. नाव का पलटना – पहला संकेत
शिवमोगा जिले में जब ऋषभ शेट्टी और उनकी टीम नाव पर शूटिंग कर रही थी, तभी अचानक नाव पलट गई। 30 लोग उसमें सवार थे। कोई नहीं मरा — लेकिन महंगे कैमरे, उपकरण और रिकॉर्डिंग डूब गई।
स्थानीय लोग कहते हैं – “पंजुरली ने पहली बार चेतावनी दी है…”
2. मौत की दस्तक – कालाभवन नीजू की रहस्यमयी मृत्यु
फिल्म से जुड़े मिमिक्री कलाकार कालाभवन नीजू की अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई। वो पूरी तरह स्वस्थ थे और सिर्फ 40 साल के थे। किसी को अंदेशा तक नहीं था कि शूटिंग के बीच मौत उनका स्वागत करेगी।
3. सौपर्णिका नदी में आत्मा का बुलावा?
एक जूनियर आर्टिस्ट एम.एफ. कपिल शूटिंग ब्रेक के दौरान नहाने नदी में गए। लेकिन कुछ ही मिनटों में गुम हो गए — और फिर वापस नहीं आए। उनका शव अगले दिन बहता हुआ मिला।
क्या नदी ने उन्हें बुलाया? या गुलिगा ने एक और बलि ले ली?
1. पलटी बस – हादसा या दैवी संकेत?
कोल्लूर में शूटिंग से लौट रही मिनी बस बिना किसी बड़ी वजह के पलट गई। 20 लोग सवार थे। कुछ घायल हुए।
प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं — “बस में अजीब सी ठंडक थी… जैसे किसी अनदेखी उपस्थिति ने छुआ हो।”
2. डांस करते हुए मौत – राकेश पुजारे की अंतिम परफॉर्मेंस
कॉमेडियन राकेश पुजारे एक शादी में नाचते-नाचते गिर पड़े। अस्पताल पहुंचते ही मृत घोषित कर दिए गए।
जिस वक्त उन्होंने डांस करना शुरू किया, उसी वक्त बिजली कड़कने लगी थी — वो भी साफ मौसम में।
क्या कांतारा के देवता नाराज़ हैं?
कांतारा: चैप्टर 1 उन आत्माओं की कहानी है जिन्हें सदियों से पूजा जाता रहा है – पंजुरली, जो न्याय के देवता माने जाते हैं, और गुलिगा, जो रक्षक हैं लेकिन क्रोधी।
दक्षिण कन्नड़ के भूत कोला परंपरा से जुड़े लोगों का मानना है कि इन देवताओं की शक्ति का व्यावसायिक उपयोग करना मौत को बुलावा देना है।
थिएटर आर्टिस्ट रामदास पुजारी कहते हैं:
“ये आत्माएं अपने सम्मान की रक्षा करती हैं। उन्हें फिल्म का हिस्सा बनाना ठीक नहीं। जब सम्मान नहीं, तो शाप निश्चित है।”
श्राप या आशीर्वाद – कौन-सी शक्ति काम कर रही है?
दिलचस्प बात ये है कि नाव पलटने के बावजूद सभी लोग बच गए। एक क्रू मेंबर ने इसे दैवीय आशीर्वाद माना।
“अगर पानी गहरा होता, तो कोई नहीं बचता। हमें बचाकर आत्माओं ने चेतावनी दी है… अभी भी समय है संभलने का।”
लेकिन कितनी चेतावनियाँ और मिलेंगी? और कितनी जाने जाएँगी?
‘कांतारा: चैप्टर 1’ – एक श्रापित फिल्म?
इतिहास में एक्जॉर्सिस्ट, ओमेन जैसी हॉरर फिल्मों पर श्राप की कहानियां रही हैं। लेकिनकांतारा: चैप्टर 1 एक हॉरर फिल्म नहीं, एक देवताओं पर आधारित धार्मिक फिल्म है – और इसी वजह से यह और ज़्यादाडरावनी बन जाती है।
हर नई घटना एक संकेत है।
हर मौत एक बलि की तरह लगती है।
और हर दुर्घटना के पीछे, किसी अनदेखी शक्ति की मौजूदगी महसूस होती है।
क्या आने वाले हादसे और भयावह होंगे?
फिल्म की रिलीज डेट 2 अक्टूबर 2025 तय है। लेकिन सेट से आती हरखबर इसे ‘श्रापित फिल्म’ की तरफ और करीब ले जा रही है। The mysterious and deadly sets of Kantara
क्या पंजुरली और गुलिगा वाकई नाराज़ हैं?
या यह केवल इंसानों का डर और भ्रम है?
यह रहस्य अभी बाकी है…
लेकिन जब तक फिल्म रिलीज़ होती है, तब तक यह सेट मौत की परछाई से बाहरनहीं निकलता। The mysterious and deadly sets of Kantara
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।