क्या आपका बच्चा भी सबसे मिलने में शर्माता है? ये टिप्स दूर करेंगी उसका शर्मीलापन
Tips for parents to boost child’s confidence | क्या आपका बच्चा नए लोगों से मिलने में हिचकिचाता है या बात करने से कतराता है? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। कई बच्चे शर्मीलेपन या सोशल एंग्जायटी (Social Anxiety) की वजह से अजनबियों या भीड़ में असहज महसूस करते हैं। लेकिन अच्छी खबर यह है कि सही दृष्टिकोण और थोड़े धैर्य के साथ, आप अपने बच्चे को आत्मविश्वास से भरपूर और खुलकर बोलने वाला बना सकते हैं। मनोविज्ञान और चाइल्ड बिहेवियर एक्सपर्ट्स के सुझाए इन आसान टिप्स की मदद से आप अपने बच्चे की झिझक को धीरे-धीरे दूर कर सकते हैं और उसे सामाजिक परिस्थितियों में सहज होने में मदद कर सकते हैं। Tips for parents to boost child’s confidence
शर्मीलापन या सोशल एंग्जायटी? अंतर को समझें
शर्मीलापन और सोशल एंग्जायटी में थोड़ा अंतर होता है। कुछ बच्चे स्वाभाविक रूप से शांत और अंतर्मुखी होते हैं, जबकि कुछ को नए लोगों या माहौल में घबराहट होती है। अगर आपका बच्चा निम्नलिखित लक्षण दिखाता है, तो यह सोशल एंग्जायटी का संकेत हो सकता है:
-
नए लोगों से मिलने पर पीछे हटना या चुप हो जाना
-
भीड़ में असहज होना या सवालों के जवाब देने से बचना
-
अजनबियों से बात करने में डर या घबराहट महसूस करना
-
सामाजिक परिस्थितियों में शारीरिक लक्षण जैसे पसीना आना, चेहरा लाल होना या दिल की धड़कन तेज होना
एक्सपर्ट्स के अनुसार, इन संकेतों को पहचानना और बच्चे की भावनाओं को समझना पहला कदम है। बच्चे को दोष देने या जबरदस्ती करने की बजाय, उसे सपोर्ट करें और धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करें।
बच्चों की झिझक दूर करने के लिए 7 आसान और असरदार टिप्स
यहां कुछ प्रैक्टिकल टिप्स दिए गए हैं, जिन्हें पैरेंट्स घर पर आसानी से आज़मा सकते हैं। ये टिप्स न केवल बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाएंगे, बल्कि उसे सामाजिक परिस्थितियों में सहज और खुश रहना भी सिखाएंगे।
1. बच्चे से रोज़ाना खुलकर बात करें
बच्चे के साथ रोज़ाना 10-15 मिनट की खुली बातचीत करें। उससे उसके दिन, दोस्तों, स्कूल, या पसंदीदा गेम्स के बारे में सवाल पूछें। बातचीत को मज़ेदार और हल्का-फुल्का रखें ताकि बच्चा बिना दबाव के अपनी बात कह सके। धीरे-धीरे यह आदत उसे दूसरों के साथ भी खुलने में मदद करेगी।
2. रोल-प्ले गेम्स से करें प्रैक्टिस
घर पर रोल-प्ले गेम्स जैसे “दुकानदार और ग्राहक”, “डॉक्टर और मरीज”, या “टीचर और स्टूडेंट” खेलें। ये गेम्स बच्चे को अलग-अलग सामाजिक परिस्थितियों की प्रैक्टिस करने का मौका देंगे। साथ ही, मज़ेदार गेम्स के ज़रिए बच्चे को यह एहसास होगा कि बातचीत करना आसान और मज़ेदार हो सकता है।
3. छोटी-छोटी उपलब्धियों की तारीफ करें
अगर बच्चा किसी नए व्यक्ति को नमस्ते कहता है, सवाल का जवाब देता है, या छोटा-सा टास्क पूरा करता है, तो उसकी तारीफ करें। उदाहरण के लिए, “वाह, तुमने कितने अच्छे से मेहमान को हैलो कहा!” ऐसी सकारात्मक प्रतिक्रिया बच्चे को प्रोत्साहित करती है और अगली बार और बेहतर करने की हिम्मत देती है।
4. छोटे-छोटे टास्क्स देकर आत्मविश्वास बढ़ाएं
बच्चे को छोटे-छोटे ज़िम्मेदारियां दें, जैसे मेहमान को पानी देना, दुकान से सामान लाना, या स्कूल में ग्रुप डिस्कशन में हिस्सा लेना। जब बच्चा इन टास्क्स में सफल होता है, तो उसकाआत्मविश्वास बढ़ता है और वह सामाजिक परिस्थितियों में सहज होने लगता है।
5. तुलना से बचें, प्रोत्साहन दें
कई बार पैरेंट्स अनजाने में बच्चे की तुलना दूसरों से कर देते हैं, जैसे “देखो, तुम्हारा दोस्त कितना खुलकर बात करता है!” ऐसी तुलना बच्चे की झिझक को और बढ़ा सकती है। इसके बजाय, बच्चे की खूबियों पर फोकस करें और उसे उसकी गति से बढ़ने दें। उदाहरण के लिए, “मुझे पसंद है कि तुमने आज कोशिश की, अगली बार और बेहतर होगा!”
6. सुरक्षित माहौल बनाएं
बच्चे तभी खुलकर बोलते हैं जब वे भावनात्मक रूप से सुरक्षित महसूस करते हैं। बच्चे को यह यकीन दिलाएं कि उसकी बातों को सुना और समझा जाएगा। अगर बच्चा गलती करता है या हिचकिचाता है, तो उसे डांटने या मज़ाक बनाने की बजाय, प्यार से समझाएं और प्रोत्साहित करें।
7. सामाजिक अनुभवों को धीरे-धीरे बढ़ाएं
बच्चे को एकदम से बड़ी भीड़ या नए लोगों के बीच न ले जाएं। शुरुआत छोटे ग्रुप्स से करें, जैसे परिवार के सदस्यों या करीबी दोस्तों के साथ समय बिताना। धीरे-धीरे उसे पार्क, बर्थडे पार्टीज़, या स्कूल इवेंट्स में शामिल करें ताकि वह सामाजिक माहौल में सहज हो सके।
बच्चों को गाइड करें, जबरदस्ती न करें
हर बच्चा अनोखा होता है। कुछ बच्चे स्वाभाविक रूप से मिलनसार होते हैं, जबकि कुछ को खुलने में समय लगता है। ज़रूरी है कि पैरेंट्स बच्चे की भावनाओं को समझें और उसे बिना जज किए सपोर्ट करें। बच्चे को जबरदस्ती बात करने या मिलने के लिए मजबूर करने से उसका डर और बढ़ सकता है। इसके बजाय, धैर्य और प्यार के साथ उसे आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करें।
एक्सपर्ट्स की राय: शर्मीलापन एक फेज़ है, दोष नहीं
चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट्स का मानना है कि शर्मीलापन या सोशल एंग्जायटी बच्चों में एक सामान्य विकासात्मक चरण हो सकता है। सही मार्गदर्शन, प्यार, और प्रोत्साहन के साथ, बच्चे इस फेज़ से बाहर आ सकते हैं। अगर आपको लगता है कि बच्चे की झिझक बहुत ज़्यादा है या वह लंबे समय तक सामाजिकपरिस्थितियों से बच रहा है, तो किसी चाइल्ड काउंसलर या साइकोलॉजिस्ट से सलाह लेना फायदेमंद हो सकता है। Tips for parents to boost child’s confidence
इन टिप्स को नियमित रूप से आज़माएं और अपने बच्चे के छोटे-छोटे प्रयासों को सराहें। धीरे-धीरे आप देखेंगे कि आपका बच्चा न केवलझिझक से बाहर आ रहा है, बल्कि आत्मविश्वासके साथ दुनियाकासामना करने के लिए तैयार हो रहा है! Tips for parents to boost child’s confidence
यह भी पढें…
शाजापुर में टला भयंकर रेल हादसा! तेज आंधी ने रेलवे ट्रैक पर गिराया पेड़
मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।