तिरुपति मंदिर में भगदड़: 6 की मौत, 40 घायल, वैकुंठ द्वार दर्शन के दौरान मची अफरातफरी
Tirupati Stampede 2025 | आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में बुधवार रात 9:30 बजे एक दुखद हादसा हुआ। वैकुंठ द्वार दर्शन टिकट काउंटर के पास मची भगदड़ में एक महिला समेत 6 लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
कैसे हुआ हादसा?
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ट्रस्ट के सदस्य भानु प्रकाश ने बताया कि वैकुंठ द्वार दर्शन के लिए कुल 91 टिकट काउंटर खोले गए थे। टिकट लेने के लिए करीब 4 हजार श्रद्धालु लाइन में खड़े थे। बैरागी पट्टीडा पार्क में कतार लगाने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन जैसे ही आगे जाने की होड़ मची, स्थिति बेकाबू हो गई। धक्का-मुक्की के बीच भगदड़ मच गई, जिससे कई श्रद्धालु जमीन पर गिर गए। भागने की कोशिश में लोग एक-दूसरे पर चढ़ गए, जिसके कारण एक महिला मल्लिका की मौके पर ही मौत हो गई।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंच गई। राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया। घायलों को एंबुलेंस के जरिए अस्पताल भेजा गया। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हादसे पर गहरा दुख जताया। उन्होंने अधिकारियों से स्थिति की जानकारी ली और तिरुपति जाकर घायलों से मिलने का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने भी इस घटना पर शोक व्यक्त किया है।
वैकुंठ द्वार दर्शन की योजना और भीड़ की चुनौती
मंदिर प्रशासन ने 10 से 19 जनवरी तक वैकुंठ एकादशी के अवसर पर वैकुंठ द्वार को भक्तों के लिए खोलने की योजना बनाई थी। यह खास आयोजन सुबह 4:30 बजे प्रोटोकॉल दर्शन से शुरू होता और 8:00 बजे से सर्व दर्शन चालू होता। इन दस दिनों में करीब 7 लाख भक्तों के आने की संभावना है। बुधवार को बड़ी संख्या में लोग टिकट लेने के लिए लाइन में खड़े थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने जो व्यवस्था की थी, वह नाकाफी साबित हुई।
दुनिया का सबसे अमीर मंदिर
तिरुमाला तिरुपति मंदिर भारत का सबसे प्रसिद्ध और अमीर धार्मिक स्थल है। आंध्र प्रदेश के शेषाचलम पर्वत पर स्थित यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। इसकी स्थापना 11वीं सदी में संत रामानुजाचार्य ने की थी। मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार, भगवान वेंकटेश्वर ने देवी पद्मावती से विवाह के समय धन के देवता कुबेर से कर्ज लिया था। भक्तों का मानना है कि वे आज भी इस कर्ज का ब्याज चुकाने में भगवान की मदद के लिए दान देते हैं। मंदिर हर साल लगभग एक टन सोना और भारी मात्रा में नकद दान में प्राप्त करता है।
भीड़ प्रबंधन पर सवाल
हालांकि मंदिर प्रशासन हर साल लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने का दावा करता है, लेकिन इस बार की घटना ने उनकी व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वैकुंठ एकादशी जैसे बड़े आयोजनों के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए सुरक्षा प्रबंधन और भीड़ नियंत्रण के पुख्ता उपायों की आवश्यकता है।
घटना के बाद उठाए गए कदम
TTD ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं और वैकुंठ द्वार दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं और सुरक्षा देने का आश्वासन दिया है। प्रशासन ने कहा है कि आगे ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए विशेष प्रबंध किए जाएंगे।
निष्कर्ष
तिरुपति मंदिर जैसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों पर ऐसी घटनाएं न केवल दुखद हैं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही को भी उजागर करती हैं। लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र यह मंदिर बेहतर प्रबंधन और सुरक्षा उपायों के साथ इन त्रासदियों को टाल सकता है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना हर प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए। Tirupati Stampede 2025
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