रूस के पूर्व राष्ट्रपति बोले- ‘हम ईरान या इजरायल नहीं’, ट्रंप ने लगा दीं 2 परमाणु पनडुब्बियाँ, शीत युद्ध के 17 साल बाद फिर से तैनात हुए न्यूक्लियर वेपन

रूस के पूर्व राष्ट्रपति बोले- ‘हम ईरान या इजरायल नहीं’, ट्रंप ने लगा दीं 2 परमाणु पनडुब्बियाँ, शीत युद्ध के 17 साल बाद फिर से तैनात हुए न्यूक्लियर वेपन

Trump Deploys Nuclear Submarines Again | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के पूर्व राष्ट्रपति व रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव के बीच तीखी बयानबाजी ने वैश्विक मंच पर एक नया तनाव पैदा कर दिया है। ट्रंप ने मेदवेदेव के “भड़काऊ और मूर्खतापूर्ण” बयानों के जवाब में दो परमाणु पनडुब्बियों को “उपयुक्त क्षेत्रों” में तैनात करने का आदेश दिया है। यह कदम 17 साल बाद पहली बार परमाणु हथियारों की तैनाती का संकेत देता है, जिसने शीत युद्ध की यादों को ताजा कर दिया है। यह घटनाक्रम यूक्रेन-रूस युद्ध को खत्म करने के लिए ट्रंप की ओर से दी गई 10-दिवसीय अल्टीमेटम की समय सीमा और रूस के तेल खरीदारों पर टैरिफ की धमकी के बीच आया है। इस बीच, मेदवेदेव ने ट्रंप को चेतावनी दी कि “रूस न तो इजरायल है और न ही ईरान”, और हर नया अल्टीमेटम “युद्ध की ओर एक कदम” है। यह तनाव न केवल रूस-अमेरिका संबंधों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भारत जैसे देशों को भी टैरिफ के दायरे में लाकर वैश्विक व्यापार और कूटनीति को जटिल बना रहा है। Trump Deploys Nuclear Submarines Again

ट्रंप का परमाणु पनडुब्बी आदेश: एक नई शुरुआत

31 जुलाई 2025 को, ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में घोषणा की:

“रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान में रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव के अत्यधिक भड़काऊ बयानों के आधार पर, मैंने दो परमाणु पनडुब्बियों को उपयुक्त क्षेत्रों में तैनात करने का आदेश दिया है, ताकि यह सुनिश्चित हो कि ये मूर्खतापूर्ण और उकसाने वाले बयान केवल शब्दों तक सीमित न हों। शब्द बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और अक्सर अनजाने में गंभीर परिणामों की ओर ले जाते हैं। मैं आशा करता हूँ कि यह ऐसा मामला नहीं होगा।”

ट्रंप ने व्हाइट हाउस से निकलते समय पत्रकारों से कहा, “हमें सावधान रहना होगा। एक धमकी दी गई थी, और हमें यह उचित नहीं लगा। मैं अपने लोगों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठा रहा हूँ।” उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि पनडुब्बियाँ कहाँ तैनात की जा रही हैं या ये परमाणु-संचालित (nuclear-powered) हैं या परमाणु-हथियारबंद (nuclear-armed)। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम रणनीतिक अस्पष्टता (strategic ambiguity) का हिस्सा है, जिसे अमेरिका और नाटो अपनी सैन्य तैनाती में अपनाते हैं।

यह पहली बार है जब ट्रंप ने अपनी दूसरी पारी में परमाणु हथियारों की तैनाती का सार्वजनिक रूप से उल्लेख किया है, जो रूस के साथ बढ़ते तनाव को दर्शाता है। सुरक्षा विश्लेषकों ने इसे “बयानबाजी में वृद्धि” (rhetorical escalation) करार दिया है, लेकिन सैन्य स्तर पर इसे ज्यादा प्रभावी नहीं माना जा रहा, क्योंकि अमेरिका के पास पहले से ही रूस को निशाना बनाने में सक्षम परमाणु पनडुब्बियाँ तैनात हैं।

मेदवेदेव की चेतावनी और ‘डेड हैंड’ का जिक्र

रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने 28 जुलाई 2025 को X पर पोस्ट किया:

“ट्रंप रूस के साथ अल्टीमेटम का खेल खेल रहे हैं: 50 दिन या 10… उन्हें दो बातें याद रखनी चाहिए: 1. रूस न तो इजरायल है और न ही ईरान। 2. प्रत्येक नया अल्टीमेटम युद्ध की ओर एक कदम है। यह युद्ध रूस और यूक्रेन के बीच नहीं, बल्कि आपके अपने देश (अमेरिका) के साथ होगा। जो बाइडेन की राह पर न चलें!”

30 जुलाई को, मेदवेदेव ने अपने टेलीग्राम चैनल पर ट्रंप के “मृत अर्थव्यवस्थाओं” (dead economies) वाले बयान का जवाब देते हुए लिखा:

“जहाँ तक भारत और रूस की ‘मृत अर्थव्यवस्थाओं’ और ‘खतरनाक क्षेत्र’ की बात है, ट्रंप को अपनी पसंदीदा ‘द वॉकिंग डेड’ सीरीज देखनी चाहिए और याद रखना चाहिए कि ‘डेड हैंड’ कितना खतरनाक हो सकता है।”

‘डेड हैंड’ रूस की शीत युद्ध-कालीन स्वचालित परमाणु प्रतिशोध प्रणाली का कोडनेम है, जो हमले की स्थिति में स्वतः परमाणु हमला शुरू करने के लिए डिज़ाइन की गई थी। मेदवेदेव का यह बयान ट्रंप की टैरिफ धमकियों और यूक्रेन युद्ध को लेकर उनके अल्टीमेटम के खिलाफ एक सख्त चेतावनी थी।

मेदवेदेव, जो 2008-2012 तक रूस के राष्ट्रपति रहे और वर्तमान में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी सहयोगी हैं, ने ट्रंप को “असफल पूर्व राष्ट्रपति” कहकर तंज कसा और उनकी नीतियों को “नाटकीय” (theatrical) करार दिया।

यूक्रेन युद्ध और ट्रंप का अल्टीमेटम

यह पूरा विवाद ट्रंप की उस कोशिश का हिस्सा है, जिसमें वे यूक्रेन-रूस युद्ध को खत्म करने का दावा कर रहे हैं। फरवरी 2022 से शुरू हुए इस युद्ध में रूस ने यूक्रेन के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया है, और ट्रंप ने अपनी दूसरी पारी की शुरुआत में इसे “24 घंटे में खत्म करने” का वादा किया था।

जुलाई 2025 में, ट्रंप ने रूस को 50 दिन का अल्टीमेटम दिया था कि वह यूक्रेन के साथ शांति वार्ता शुरू करे, अन्यथा रूस और उसके तेल खरीददार देशों (जैसे भारत, चीन, और तुर्की) पर “गंभीर टैरिफ” लगाए जाएँगे। 28 जुलाई को, ट्रंप ने इस समय सीमा को घटाकर 10-12 दिन कर दिया, जिसका अंत 8 अगस्त 2025 को होगा।

ट्रंप ने रूस के हालिया हमलों, विशेष रूप से 31 जुलाई को कीव पर हुए हमले को “घृणित” बताया, जिसमें 31 नागरिक मारे गए। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “यह युद्ध कभी नहीं होना चाहिए था। यह बाइडेन का युद्ध है, मेरा नहीं। मैं बस इसे रोकने की कोशिश कर रहा हूँ।”

हालांकि, रूस ने ट्रंप के अल्टीमेटम को गंभीरता से नहीं लिया। पुतिन ने 1 अगस्त 2025 को कहा, “हम यूक्रेन में स्थायी और स्थिर शांति चाहते हैं, लेकिन यह रूस और यूक्रेन दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली होनी चाहिए।” पुतिन ने कोई संकेत नहीं दिया कि वे ट्रंप की समय सीमा का पालन करेंगे।

शीत युद्ध की छाया: परमाणु हथियारों की वापसी

ट्रंप का परमाणु पनडुब्बी तैनाती का आदेश शीत युद्ध (1945-1991) की याद दिलाता है, जब अमेरिका और सोवियत संघ परमाणु हथियारों की होड़ में थे। शीत युद्ध के दौरान, अमेरिका ने ब्रिटेन के RAF Lakenheath एयरबेस पर B61 श्रृंखला के परमाणु बम तैनात किए थे। 2008 में, ओबामा प्रशासन ने रूस के साथ तनाव कम होने पर इन्हें हटा लिया था।

हालांकि, 2025 में ट्रंप प्रशासन ने फिर से RAF Lakenheath में B61-12 थर्मोन्यूक्लियर बम तैनात किए हैं, जो F-35A जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों से लॉन्च किए जा सकते हैं। इस एयरबेस पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है, और ‘surety dormitory’ नामक परमाणु हथियारों के सुरक्षित भंडारण की सुविधा स्थापित की गई है।

अमेरिका और रूस के पास दुनिया के सबसे बड़े परमाणु हथियार भंडार हैं, और दोनों देशों की नौसेनाएँ परमाणु-संचालित और परमाणु-हथियारबंद पनडुब्बियों का संचालन करती हैं। अमेरिका की Ohio-क्लास पनडुब्बियाँ, जो परमाणु मिसाइलों से लैस हो सकती हैं, नियमित रूप से विश्व के संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का यह कदम संभवतः पहले से तैनात पनडुब्बियों को रूस के करीब ले जाने का संकेत हो सकता है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है।

भारत पर प्रभाव: टैरिफ की धमकी

ट्रंप ने अपने बयानों में भारत को भी निशाना बनाया, इसे “मृत अर्थव्यवस्था” कहकर और उच्च टैरिफ की आलोचना करते हुए। उन्होंने कहा, “हम भारत के साथ बहुत कम व्यापार करते हैं, क्योंकि उनके टैरिफ दुनिया में सबसे ऊँचे हैं।” ट्रंप ने रूस के तेल खरीददार देशों, विशेष रूप से भारत, चीन, और तुर्की पर सेकेंडरी टैरिफ लगाने की धमकी दी है।

1 अगस्त 2025 को, रॉयटर्स ने बताया कि भारत जाने वाले दो रूसी तेल टैंकरों को अन्य गंतव्यों की ओर मोड़ दिया गया, और भारत अब अजरबैजान, नाइजीरिया, और खाड़ी देशों से तेल खरीदने की योजना बना रहा है। यह ट्रंप की टैरिफ धमकी का असर माना जा रहा है।

भारत की प्रतिक्रिया में, विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के “मृत अर्थव्यवस्था” बयान को “अनुचित और तथ्यात्मक रूप से गलत” बताया। भारत ने 2025 में जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव हासिल किया है, और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 2025-26 के लिए 6.9% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है।

तनाव या बयानबाजी?

सुरक्षा विशेषज्ञों ने ट्रंप के कदम को मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। मैककेन इंस्टीट्यूट की कार्यकारी निदेशक एवेलिन फरकास ने कहा, “यह केवल एक संकेत है। यह परमाणु टकराव की शुरुआत नहीं है, और मुझे लगता है कि रूस भी इसे ऐसे ही देखेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप का यह कदम रूस को यूक्रेन में अपनी नीति बदलने के लिए मजबूर करने में प्रभावी नहीं होगा।

आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक डैरिल किमबॉल ने इसे “गैर-जिम्मेदार और अडवाइजरी” बताया और कहा कि कोई भी नेता, विशेष रूप से परमाणु हथियारों के बारे में, सोशल मीडिया पर इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।

फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के हंस क्रिस्टensen ने कहा कि अमेरिका की परमाणु पनडुब्बियाँ पहले से ही रूस को निशाना बनाने के लिए तैनात हैं, और ट्रंप का यह कदम संभवतः “बयानबाजी का जाल” (commitment trap) है, जो अनावश्यक रूप से तनाव बढ़ा सकता है।

रूस के विपक्षी नेता मिखाइल खोदोरकोव्स्की ने मेदवेदेव के बयानों को “शराब में डूबी बकवास” करार दिया और सुझाव दिया कि ट्रंप को मेदवेदेव के बजाय पुतिन और यूक्रेन पर ध्यान देना चाहिए।

वैश्विक प्रभाव और भविष्य

यह घटनाक्रम न केवल रूस-अमेरिका संबंधों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि वैश्विक व्यापार और कूटनीति को भी जटिल बना रहा है। भारत, जो रूस का एक प्रमुख तेल खरीददार है, अब टैरिफ के दबाव में वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर रहा है।

ट्रंप ने अपने विशेष दूत स्टीव विटकॉफ को रूस भेजने की घोषणा की है, ताकि युद्धविराम पर बातचीत को आगे बढ़ाया जा सके। हालांकि, पुतिन ने अभी तक इस पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह नीति उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा है, लेकिन परमाणु हथियारों की तैनाती का उल्लेख वैश्विक शांति के लिए जोखिम भरा हो सकता है। X पर भारतीय यूजर्स ने इसे “वैश्विक शांति के लिए खतरनाक” कदम बताया है, और कुछ ने इसे “शीत युद्ध की वापसी” करार दिया।

ट्रंप और मेदवेदेव के बीच वाकयुद्ध और परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती ने यूक्रेन युद्ध को लेकर पहले से ही तनावपूर्ण वैश्विक स्थिति को और जटिल कर दिया है। ट्रंप का यह कदम उनकी दबाव रणनीति का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह परमाणु टकराव के जोखिम को भी बढ़ाता है। दूसरी ओर, मेदवेदेव की भड़काऊबयानबाजी और पुतिन की चुप्पी रूस की सख्त रुख को दर्शाती है। भारत जैसे देश, जो रूस के साथ व्यापारिकसंबंध रखते हैं, अब टैरिफ और कूटनीतिक दबाव के बीच फंस गए हैं। क्या यह तनाव शीत युद्ध की तरह लंबे समय तक चलेगा, या ट्रंप और पुतिन के बीच कोईसमझौता होगा? यह समय और कूटनीतिक प्रयास बताएंगे। Trump Deploys Nuclear Submarines Again


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